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हरियाणा सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन ना करने का आरोप-याचिकाकर्ता - एडवोकेट जनरल में कानून अधिकारियों की नियुक्ति

हरियाणा की बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हुई एडवोकेट जनरल ऑफिस में कानून अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में नियुक्तियों पर सवाल उठाया है.

haryana govt accused of not following supreme court guideline
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट
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Published : Dec 2, 2019, 11:34 PM IST

चंडीगढ: हरियाणा की बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हुई एडवोकेट जनरल ऑफिस में कानून अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायत हुई है. याचिकाकर्ता ने सरकार पर आरोपी लगाते हुए कहा है कि कहा है कि कानून अधिकारियों की नियुक्तियों में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए थे निर्देश
हाई कोर्ट के वकील व याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को खास निर्देश दिए थे. कि वो कानून अधिकारियों का चयन कर उनकी सूची हाइ कोर्ट के चीफ जस्टिस को दे और चीफ जस्टिस उस सूची में अंतिम मुहर लाकर कानून अधिकारियों की नियुक्ति करें.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट

'अपने चाहने वाले की दिया पद'
याचिकाकर्ता ने सरकार पर आरोपी लगाते हुए बताया कि सरकार ने अपनी नीति में चीफ जस्टिस को नजरअंदाज कर एडवोकेट जनरल को अपनी मर्जी से पांच वकीलों को बीना प्रॉसेस के चुनने का अधिकार दे दिया. इसके अलावा सरकार ने स्पेशल केस में भी किसी वकील को चुनने का अधिकार अपनी नीति में रखा हुआ है और अपने चेहते वकीलों को लाभ देने व लाभ के पद देने के लिए रखा हुआ है.

ये भी पढ़ें:भारत बचाओ रैली के लिए हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में हुई बैठक

चंडीगढ: हरियाणा की बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हुई एडवोकेट जनरल ऑफिस में कानून अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायत हुई है. याचिकाकर्ता ने सरकार पर आरोपी लगाते हुए कहा है कि कहा है कि कानून अधिकारियों की नियुक्तियों में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए थे निर्देश
हाई कोर्ट के वकील व याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को खास निर्देश दिए थे. कि वो कानून अधिकारियों का चयन कर उनकी सूची हाइ कोर्ट के चीफ जस्टिस को दे और चीफ जस्टिस उस सूची में अंतिम मुहर लाकर कानून अधिकारियों की नियुक्ति करें.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट

'अपने चाहने वाले की दिया पद'
याचिकाकर्ता ने सरकार पर आरोपी लगाते हुए बताया कि सरकार ने अपनी नीति में चीफ जस्टिस को नजरअंदाज कर एडवोकेट जनरल को अपनी मर्जी से पांच वकीलों को बीना प्रॉसेस के चुनने का अधिकार दे दिया. इसके अलावा सरकार ने स्पेशल केस में भी किसी वकील को चुनने का अधिकार अपनी नीति में रखा हुआ है और अपने चेहते वकीलों को लाभ देने व लाभ के पद देने के लिए रखा हुआ है.

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Intro:एंकर -
हरियाणा की भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान एडवोकेट जनरल आफिस में हुई कानून अधिकारियों की नियुक्तियों को चुनोती देने वाले पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट के वकील ने फिर एडवोकेट जनरल ऑफिस में होने वाली नियुक्तियों को लेकर हाइकोर्ट में अर्जी दायर की है । हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिय़ा ने अर्जी दायर कर कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश की पालना नही हो रही है । सरकार ने
अपनी नीति में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को नजरअंदाज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया था कि वो कानून अधिकारियों का चयन कर उसकी सूची हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दे व चीफ जस्टिस उस सूची पर अंतिम मुहर लगाएंगे । लेकिन सरकार ने अपनी नीति में चीफ
जस्टिस को नजरअंदाज एडवोकेट जनरल को अपनी मर्जी के पांच वकीलों को बगैर प्रोसेस के चुनने का अधिकार दे दिया इसके अलावा सरकार ने स्पेशल केस में भी किसी भी वकील को चुनने का अधिकार अपनी नीति में रखा हुआ है तो साफ तौर पर अपने चेहतें वकीलों को लाभ देने के लिए रखा हुआ है ।

।Body:हरियाणा सरकार शीघ्र ही एडवोकेट जनरल आफिस में कानून अधिकारियों की नियुक्ति करने की प्रक्रिया शुरू करने वाली है इससे पहले हरियाणा सरकार की
नियुक्ति करने की प्रक्रिया के खिलाफ हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर की गई है । हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिय़ा ने अर्जी दायर कर बताया कि इस
मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश की पालना नही हो रही है । सरकार ने अपनी नीति में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को नजरअंदाज किया है । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया था कि वो कानून
अधिकारियों का चयन कर उसकी सूची हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दे व चीफ जस्टिस उस सूची पर अंतिम मुहर लगाएंगे । लेकिन सरकार ने अपनी नीति में चीफ जस्टिस को नजरअंदाज एडवोकेट जनरल को अपनी मर्जी के पांच वकीलों को बगैर प्रोसेस के चुनने का अधिकार दे दिया इसके अलावा सरकार ने स्पेशल केस में भी किसी भी वकील को चुनने का अधिकार अपनी नीति में रखा हुआ है तो साफ तौर पर अपने चेहतें वकीलों को लाभ देने के लिए रखा हुआ है ।
याची एडवोकेट प्रदीप रापडिया ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ नीति बना कर पुराने कानून अधिकारियों को
विस्तार दे रही हैं । इन पुराने कानून अधिकारियों की नियुक्ति नियमों को ताक पर रख कर की गई थी । इसके खिलाफ याची ने पहले हाईकोर्ट व बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन सब को हटा कर योग्य कानून
अधिकारियों की नियुक्ति की मांग की थी । सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका का निपटारा करते हुए हरियाणा सरकार को आदेश दिया था कि भविष्य में कानून अधिकारियों की नियुक्ति करने से पहले हरियाणा सरकार एक नीति का पालन कर केवल योग्य कानून अधिकारियों को नियुक्त करें । इसके लिए नियुक्ति से पूर्व आवेदन आमंत्रित किए जाए और हाईकोर्ट से विचार विमर्श कर फिर योग्य अधिकारियों की नियुक्ति की जाए ।Conclusion:गौरतलब है कि याचिकाकर्ता प्रदीप रापड़िया की तरफ से हरियाणा सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कानून अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया था । रापड़िया को इस याचिका की सुनवाई के लिए सुप्रीमकोर्ट जाना पड़ा था । सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करवाने को लेकर अब रापड़िया ने हइकोर्ट में अर्जी दायर की है ।

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