चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं वे प्रदेश के किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद-उर्वरक मिलना सुनिश्चित करें. इसके अलावा विशेषकर जिलों में कार्यरत कृषि अधिकारियों को अपने मोबाइल नम्बर समाचार पत्रों के माध्यम से भी किसानों के साथ सांझा करने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर किसान उनसे संपर्क कर सकें.
पहले 50 किलो का डीएपी का कट्टा 1200 रुपये का मिलता था जिसके हाल ही में दाम बढ़ाकर 1600 रुपये कर दिए गए थे, लेकिन अब हरियाणा में सरकार के इन आदेशों के बाद डीएपी का कट्टा 1200 रुपये का ही मिलेगा.
कृषि अधिकारियों को ये निर्देश अंतरराष्ट्रीय मार्केट में फॉस्फेटिक उर्वरकों के कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद भारत सरकार के खाद-उर्वरक बनाने वाली कम्पनियों के साथ आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के तहत दिए गए हैं. इस बैठक में कृषि मंत्रालय ने खाद उत्पादकों को मौजूदा स्टॉक को पुरानी दरों पर ही बेचने के निर्देश दिए हैं.
किसानों को उर्वरकों के मूल्य के बारे में अगर कोई शिकायतें आती हैं तो कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें प्राथमिकता के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए सुलझाएं. जिलों में कार्यरत कृषि उपनिदेशक को किसानों के लिए तुरंत प्रभाव से कई आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दिए हैं. इनमें फॉस्फेटिक उर्वरक डीलरों का जिला स्तर पर स्टॉक रजिस्टर का ऑडिट करेंगे और सभी उर्वरक डीलरों की फॉसफेटिक उर्वरक और स्टॉक की तिथि अनुसार स्टेटमेंट तैयार करेंगे.
ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में लॉकडाउन का असर: खाली दिखीं सड़कें, रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा
इसके साथ ही डीलरों को ये भी निर्देश दिए गए हैं कि फॉस्फेटिक उर्वरकों की पुराने रेट पर बिक्री करके किसानों को बिल अवश्यक जारी करेंगे. उप कृषि निर्देशक फॉस्फेटिक उर्वरक डीलरों का जिला स्तर पर स्टॉक रजिस्टर का ऑडिट करेंगे और सभी उर्वरक डीलरों की फॉस्फेटिक उर्वरक और स्टॉक की तिथि अनुसार स्टेटमेंट भी तैयार करेंगे.
जिला स्तर पर अधिकारी राज्य में कपास उगाने वाले जिलों में बीटी कॉटन के बीज की बिक्री के साथ-साथ डीएपी कीमतों पर भी कड़ी निगरानी रखेंगे. इसके अलावा उन्हें राज्य में उर्वरकों की बिक्री पीओएस मशीन के माध्यम से ही सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
कृषि अधिकारी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की बिक्री के लिए भी माहवार विवरण एकत्र करेंगे, जिसमें किसान का नाम, गांव का नाम व मोबाइल नम्बर भी दर्ज होना अनिवार्य है ताकि किसानों को कॉल करके वास्तविक कीमतों के बारे में जांच की जा सके.
ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन से हरियाणा में दिल्ली बॉर्डर के उद्योग चौपट, अकेले सोनीपत में करीब 10 हजार करोड़ से ज्यादा नुकसान