चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व चीफ सेक्रेटरी सीनियर आईएएस दीपेंद्र सिंह ढेसी ने हाई कोर्ट का रुख किया है. यूटी प्रशासन के हाउस अलॉटमेंट विभाग द्वारा लगाए जुर्माने को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को शुक्रवार तक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है.
ये है पूरा मामला
दरअसल, चंडीगढ़ प्रशासन ने ज्यादा समय तक सेक्टर-7 की सरकारी कोठी को अपने पास रखने के लिए उन पर 3,43, 319 रुपये का जुर्माना लगाया है. विभाग की तरफ से ब्याज सहित राशि को चुकाने के लिए कई नोटिस व रिमाइंडर भी जारी किए जा चुके हैं.
मामला वर्ष 2010 से वर्ष 2011 के बीच का है. इस दौरान सीनियर आईएएस दीपेंद्र सिंह ढेसी का दिल्ली तबादला हो गया. उन्हें सेक्टर-7 की कोठी नंबर 53 को कुछ महीनों के लिए खाली करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. दीपेंद्र सिंह ने 24 जून 2010 से 29 अप्रैल 2011 के बीच सेक्टर-7 की कोठी को अपने पास रखा.
यूटी प्रशासन के हाउस अलॉटमेंट विभाग ने दीपेंद्र सिंह को नोटिस जारी किया. इसके अलावा प्रिंसिपल अमाउंट पर 12% के हिसाब से प्रत्येक वर्ष का ब्याज भी देने के लिए कहा. इस आधार पर दीपेंद्र सिंह को काफी मोटी रकम चुकानी पड़ेगी. गौरतलब है कि अक्टूबर और नवंबर महीने में भी बकाया राशि को चुकाने के लिए रिमाइंडर भेजा गया है.
रिटायर होने के बाद विभागों से लेना होता है नो ड्यूज सर्टिफिकेट
ये पूरा मामला सीनियर आईएएस दीपेंद्र सिंह के रिटायरमेंट के बाद सामने आया है. दरअसल, किसी भी आईएएस के रिटायर होने के बाद सभी विभागों से नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेना होता है, इसलिए हर विभाग को लेटर भेजा गया. इस तरह का एक लेटर हाउस अलॉटमेंट विभाग के पास भी आया.
उन्होंने जो दीपेंद्र सिंह के कार्यकाल और उनके द्वारा चुकाई गई राशि का मिलान किया तो उन्हें इस गड़बड़ी का पता चला. बता दें हरियाणा के मुख्य सचिव की कुर्सी साढ़े 4 साल तक संभालने के बाद आईएएस दीपेंद्र सिंह ढेसी 30 जून 2019 को रिटायर हुए थे. इसके बाद 14 अगस्त को उन्होंने हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन का पदभार संभाला.
ये भी पढे़ं- जुलाई में हो सकते हैं पंचायत चुनाव, सरकार की तैयारी पूरी- दुष्यंत