चंडीगढ़: हरियाणा में ई टेंडरिंग मामला इन दिनों लगातार तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है. ई-टेंडरिंग को लेकर बीजेपी नेता भी आमने सामने नजर आ रहे हैं. दरअसल, प्रदेश के सरपंच सरकार के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं और इसको लेकर कई बार पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के कार्यक्रमों का जोरदार विरोध भी कर चुके हैं.
बैठक बेनतीजा, पार्टी के नेताओं को क्या बोल गए मंत्री: ई-टेंडरिंग के मसले को हल करने के लिये पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने सरपंचों के साथ बैठक की. हालांकि ये बैठक बेनतीजा रही. इस बैठक से नाराज सरपंचों ने 1 मार्च को सीएम मनोहर लाल के आवास का घेराव करने का ऐलान किया है. सरपंचों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान ई-टेंडरिंग पर ओपी धनखड़ और अजय चौटाला के बयान की चर्चा हुई तो मंत्री ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को दो टूक सुना डाली और कहा कि वो लोग संगठन संभालें, सरकार को हम संभाल रहे हैं.
जब ओपी धनखड़ ने दिया था बयान: गौरतलब है कि हरियाणा के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने फतेहाबाद में बयान दिया था और सरपंचों का समर्थन किया था. अपने दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि सरपंच अपने आप में छोटी सरकार है. सरपंचों पर विश्वास करते हुए काम करना चाहिए. पंचायतों में जो लोग काम करने आते हैं, उनका सम्मान बहुत महत्तवपूर्ण होता है. उनका सम्मान करना चाहिए और उन पर पूरा-पूरा भरोसा करते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
अजय चौटाला ने भी किया था बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का समर्थन: वहीं, जेजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने भी ओपी धनखड़ द्वारा दिये गये बयान का समर्थन किया था और पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के बयान को निंदनीय बताया था. उन्होंने कहा था कि उन्होंने सभी सरपंच को एक लाठी से हांक दिया. सभी सरपंचों को चोर कह दिया. सभी सरपंच चोर थोड़ी होते हैं.
देवेंद्र बबली ने क्या कहा था: दरअसल, आपको बता दें कि अजय चौटाला और ओपी धनखड़ ने पंचायत मंत्री के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी थी, जब देवेंद्र बबली ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि सरपंच सरकार का विरोध कर रहे हैं और सरकार को गांव में नहीं घुसने देंगे, जैसी धमकियां दे रहे हैं. तो उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, पंचायत मंत्री ने सरपंचों पर निशाना साधते हुए कहा था कि कुछ एक लोग राजनीति का फायदा उठाकर अपना पर्सनल इंटरस्ट पूरा करना चाहते हैं और इसका फायदा उठाना चाहते हैं. लेकिन अगर अपने किसी लालच में आकर सरपंच गांव का विकास नहीं करते तो उसके खिलाफ भी हमारे पास प्रावधान है.
क्या है ई-टेंडरिंग: अब आपको बताते हैं आखिर ये मुद्दा इतना गरमाता क्यों जा रहा है और हरियाणा में ई टेंडरिंग आखिर है क्या? दरअसल पंचायतों में जो काम होते हैं, उनमें भ्रष्टाचार रोकने के लिये सरकार ने ई टेंडरिंग प्रक्रिया बनाई है. इस ई टेंडरिंग के तहत 2 लाख रुपये से ज्यादा के विकास कार्यों के लिये ई टेंडरिंग जारी की जाएगी. इसका मतलब है कि टेंडरिंग के तहत अधिकारी ठेकेदारों के द्वारा गांव का विकास करवाएंगे. इसमें सरपंच सरकार को विकास कार्यों के बारे में ब्यौरा देगा. जिसके बाद सरकार ई टेंडरिंग के माध्यम से ठेकेदारों से काम करवाएगी. सरकार का दावा है कि इस प्रक्रिया से भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है.
ई-टेंडरिंग का विरोध क्यों: अब जानना जरूरी हो जाता है कि जब सरकार ने तो भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ये स्कीम बनाई है, तो सरपंच इसका आखिर विरोध क्यों कर रहे हैं. इसके पीछे की वजह भी आप जान लिजिए. दरअसल, सरपंचों का कहना है कि सरकार ने ये स्कीम सरपंचों के खिलाफ बनाई है. उनका कहना है कि ई टेंडरिंग से गांव का अच्छे से विकास नहीं हो पाएगा. अगर सरपंचों को विकास कार्यों के लिये पैसा सीधे तौर पर नहीं दिया जाएगा, तो ठेकेदार और अधिकारी मनमर्जी से गांव में विकास करवाएंगे. लिहाजा सरपंचों का गांव के विकास में कोई भी हाथ नहीं होगा. जिसका जन प्रतिनिधि विरोध कर रहे हैं.
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राइट टू रिकॉल क्या है: अब हरियाणा में राइट टू रिकॉल का भी विरोध सरपंचों द्वारा किया जा रहा है आपको बताते हैं आखिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है और ये है क्या. राइट टू रिकॉल के तहत हरियाणा के ग्रामीणों के पास अधिकार आ गया है, कि अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवा रहा. तो सरपंच को उसी बीच कार्यकाल में ही पद से हटाया जा सकता है. सरपंच को हटाने के लिये गांव के 33 प्रतिशत मतदाता 'अविश्वास' लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे. ये प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा.
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