चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र (haryana assembly winter session) शुक्रवार से शुरू हो चुका है. सत्र के पहले दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सदन में शोक प्रस्ताव रखा गया. जिसमें CDS बिपिन रावत सहित दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी गई. सदन में कई मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच गहमागहमी हुई. जिसके बाद कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सरकार पर कई आरोप लगाए.
कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत (MLA Kiran Choudhary interview) करते हुए कहा कि हमारे पास कई मुद्दे थे. खराब सड़कों का मुद्दा था, बेरोजगारी का मुद्दा था, जलभराव का मुद्दा था और इस तरह कई महत्वपूर्ण मुद्दे थे. जिन्हें सत्र में रद्द कर दिया गया. क्योंकि सरकार हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकती. इसलिए सरकार को लगता है कि उन मुद्दों को ही रद्द कर दिया जाए. किरण चौधरी ने कहा कि प्रदेश में एक के बाद एक भर्ती घोटाले सामने आ रहे हैं. युवाओं का सरकार से विश्वास उठ चुका है. क्योंकि अब प्रदेश में सिर्फ पर्ची-खर्ची के साथ ही नौकरी मिलती है, ना कि पढ़ाई करने से. किरण चौधरी ने कहा कि मैं युवाओं के साथ हो रही इस धोखाधड़ी के खिलाफ काम रोको प्रस्ताव लेकर आई जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया गया. अब सोमवार को इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की जाएगी.
इसके अलावा किरण चौधरी ने कहा कि जिस समय कृषि कानूनों को लागू किया गया था. 'उस समय विधानसभा में केंद्र सरकार के लिए धन्यवाद प्रस्ताव लाया गया था. अब कृषि कानून रद्द हो चुके हैं और यह प्रस्ताव विधानसभा के ऊपर एक कलंक के समान है. इसलिए मैंने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया है कि इस कलंक को मिटाने के लिए विधानसभा में एक और प्रस्ताव लाया जाए. जिसके तहत किसानों को एमएसपी दिए जाने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश की जाए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो धन्यवाद प्रस्ताव जैसे कलंक को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा'.
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विधानसभा सत्र की अवधि को 1 दिन बढ़ाए जाने को लेकर किरण चौधरी ने कहा कि 1 दिन की अवधि बढ़ाए जाने का विधायकों को कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि मुद्दे बहुत सारे हैं लेकिन सरकार उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार ही नहीं है. सरकार को लगता है कि विधायकों को बोलने का समय ही ना दिया जाए. क्योंकि सरकार उनके सवालों के जवाब देने की स्थिति में नहीं है. सरकार हर हाल में विधायकों के सवालों से बचना चाहती है और इसीलिए किसी को भी बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा.
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