चंडीगढ़: लोग मंदिर में प्रसाद के साथ भगवान पर बड़ी श्रद्धा के साथ फूल चढ़ाते हैं. लेकिन ये फूल बाद में कचरे में फेंक दिए जाते हैं या फिर इन फूलों को नदी में बहा दिया जाता है. जिससे नदियां तो दूषित होती ही हैं, साथ में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. इस बात से आहत होकर गुरुग्राम की पूनम शेरावत ने अनूठी पहल शुरू की. पूनम शेरावत ना सिर्फ फूलों का सही इस्तेमाल (Temple Material from Waste flowers) कर ही हैं. बल्कि लोगों को भी अच्छा संदेश दे रही हैं.
हुनर हाट में लगाई स्टॉल: अनूठी पहल को लेकर पूनम शेरावत चंडीगढ़ के हुनर हाट मेले (Hunar Haat Mela in Chandigarh) में पहुंची हैं. यहां वो मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से बनाए अपने उत्पाद प्रदर्शित कर रही हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मंदिर में बड़ी मात्रा में फूल चढ़ाए जाते हैं, लेकिन बाद में उन फूलों को या तो कचरे में फेंक दिया जाता है या नदियों में बहा दिया जाता है. जो सही नहीं है. फेंकने की जगह उन फूलों का बाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस तरह शुरू हुई अनूठी पहल: पूनम ने कहा कि जब मैंने मंदिर में चढ़ाए फूलों को कचरे में जाता देखा तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा. फिर मैंने इनपर स्टडी की. इसके बाद मैंने गुरुग्राम के मंदिरों से बचे हुए फूलों को इकट्ठा करना शुरू किया और उन फूलों से धूपबत्ती, अगरबत्ती और भगवान की छोटी-छोटी मूर्तियां बनानी शुरू की. इसके फूलों से बने उन उत्पादों को मंदिरों में ही बेचना शुरू किया. आरूषी इंटरप्राइजेज के नाम से पूनम ने कंपनी बनाई है. जिसके नाम पर वो ये सब सामान बेचती हैं.
लोगों को पसंद आ रही ये सामग्रियां: पूनम के मुताबिक जब लोगों को ये बात पता चली कि ये सब सामग्री मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से बनाई गई है. तो उन्होंने इसे काफी पसंद किया और लोगों ने इसे खरीदना शुरू कर दिया. पूनम गुरुग्राम के करीब 25 मंदिरों से फूल इकट्ठा करती हैं, लेकिन देशभर में हजारों मंदिर हैं. जहां पर फूल चढ़ाए जाते हैं. इसीलिए उन्होंने देश भर में अलग-अलग जगहों पर रहने वाली महिलाओं से संपर्क किया और उन्हें भी ये सब सामग्री बनाने की ट्रेनिंग दी.
देशभर में 500 महिलाओं को दे चुकी हैं रोजगार: जितनी भी महिलाओं को पूनम ने ट्रेनिंग दी है वो सभी महिलाएं मंदिरों से फूल इकट्ठा करती हैं और इस तरह का सामान बनाती (waste flower recycling) हैं. पूनम ने दावा किया वो देशभर की करीब 500 महिलाओं को ट्रेनिंग देकर रोजगार दे चुकी हैं. ये महिलाएं जिस मंदिर से फूल इकट्ठा करती हैं. सामान बनाने के बाद उसी मंदिर में ही एक छोटा सा टेबल लगाकर अपने सामान को बेच रही हैं. जिससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है.
ये सामान महंगा भी नहीं है. इसलिए लोग इसे हाथों-हाथ खरीद लेते हैं. इनमें धूपबत्ती की कीमत 120 रुपये है. बाकि सब सामान 30 रुपये में आपको मिल जाएगा. पूनम ने कहा कि वो ये काम हाथों से करती है. अगर मशीनों से उन्होंने ये उत्पाद बनाने का काम किया तो बाकि महिलाओं को रोजगार नहीं दे पाएंगी. ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल सके, इसलिए वो फूलों से सारी सामग्री हाथों के जरिए ही बनाती हैं. गुरुग्राम में खुद उनके साथ 7 से 8 महिलाएं काम कर रही हैं.
पूनम शेरावत ने बताया कि अलग-अलग राज्यों से करीब 500 महिलाएं इस समय उनके द्वारा सिखाए गए काम को कर रही हैं. इनमें जम्मू, गुरुग्राम, नोएडा, दिल्ली, आदि कई जगह की महिलाएं हैं. शुरुआत में महिलाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने कई एनजीओ से संपर्क किया और उनके जरिए छोटी-छोटी वर्कशॉप लगाई. जिसमें उन्होंने महिलाओं को इस काम के बारे में समझाया और उन्हें ये करने की ट्रेनिंग दी. बाद में कई अन्य एनजीओ खुद इनके साथ जुड़ गए और इन्हें ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया. ये सभी महिलाएं अपने स्तर पर ही वेस्ट फूलों से उत्पाद बनाकर मुनाफा कमा रही हैं. जिस किसी को भी ये शुरू करना हो तो वो आरूषी इंटरप्राइजेज नाम की वेबसाइट पर जाकर उनसे ट्रेनिंग ले सकते हैं.
इको फ्रेंडली हैं फूलों से बनाई गई सामग्री: अगर कोई मूर्ति खंडित हो जाती है तो उसे मिट्टी में दबा दें. जिससे वो मिट्टी में ही मिल जाएगी और खाद का काम करेगी. इन सभी चीजों में फूलों के साथ थोड़ी मात्रा में गाय के गोबर का और कुछ मात्रा में हवन सामग्री का इस्तेमाल भी किया जाता है, ताकि इससे बनी धूपबत्ती और अगरबत्ती से वातावरण शुद्ध हो. इस पहल से ना सिर्फ मंदिरों के फूलों का सही इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि लोगों को रोजगार मिल रहा है.
कैसे तैयार होते हैं उत्पाद? पूनम शेरावत प्रतिदिन करीब 200 किलो फूल गुरुग्राम के 25 मंदिरों से एकत्र करती हैं. उन्हें सुखाने के बाद उनसे 30 से 40 किलो पाउडर बन जाता है. इस पाउडर को हवन सामग्री में गाय के गोबर में मिलाकर अलग-अलग तरह के उत्पाद तैयार किए जाते हैं. एक दिन में पूनम करीब 300 डिब्बे धूपबत्ती के बना लेती हैं. इसके लिए दो-तीन महिलाएं भी उनके साथ काम करती हैं. इन उत्पादों की बिक्री वो दो मंदिरों में स्टॉल लगाकर करती हैं. इसके अलावा वो अपने उत्पादों की बिक्री कमर्शियल साइट जैसे- अमेजॉन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए करती हैं.
कितना होता है मुनाफा? पूनम के मुताबिक वेस्ट फूलों से बनाए गए इन उत्पादों से वो महीने में करीब 30 हजार रुपये तक कमा लेती हैं. कई बार मुनाफा ज्यादा भी हो जाता है. जिसे वो अपने साथ काम करने वाली महिलाओं में बराबर बांट लेती हैं. हर महिला अपने स्तर पर ये कमाई कर सकती है. जितने वेस्ट फूलों को वो इकट्ठा करेगी उतने ही उत्पाद इससे बनाकर मुनाफा कमा सकेगी. तेरा तुझको अर्पण के नाम से पूनम में चंडीगढ़ के हुनर हाट में अपनी स्टॉल (Tera Tujhko Arpan Stall in Hunar Haat) को लगाया है.
कितने प्रकार के हैं उत्पाद? पूनम शेरावत ने बताया कि वो मंदिरों से इकट्ठे किए गए फूलों से धूपबत्ती, अगरबत्ती, भगवान की छोटी-छोटी मूर्तियां, दीवार पर टांगने के लिए ओम, स्वास्तिक और राम के नाम के सजावटी पीस बनाती हैं. इसके अलावा वो दीये भी बनाती हैं. इन सभी उत्पादों में फूलों के साथ-साथ गाय के गोबर और हवन सामग्री का इस्तेमाल भी किया जाता है. पूनम शेरावत ने बताया कि वो मंदिरों से इकट्ठे किए गए फूलों से धूपबत्ती, अगरबत्ती (incense sticks made from waste flowers), भगवान की छोटी-छोटी मूर्तियां, दीवार पर टांगने के लिए ओम, स्वास्तिक और राम के नाम के सजावटी पीस बनाती हैं. इसके अलावा वो दीये भी बनाती हैं. इन सभी उत्पादों में फूलों के साथ-साथ गाय के गोबर और हवन सामग्री का इस्तेमाल भी किया जाता है.
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