चंडीगढ़/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानून को वापस लेने (three farm laws withdrawal) के फैसले के बाद से किसानों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियां भी पीएम मोदी के फैसले का स्वागत कर रही हैं. ऐसे में हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) ने भी पीएम मोदी के फैसले का स्वागत किया. साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शनिवार को दिल्ली में पत्रकार वार्ता करते हुए हरियाणा सरकार से किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने और आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करते हुए, इसे किसानों की जीत बताया. उन्होंने यह भी कहा कि अब केंद्र को अन्य मुद्दों पर भी बात करनी चाहिए, जो किसानों के लिए कृषि को लाभदायक बनाए. उन्होंने कहा कि वह निजी मंडियों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार एक एमएसपी भी तय करे और जो एमसपी पर खरीद नहीं करते हैं उनके खिलाफ सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए. उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसानों के खिलाफ उनके विरोध के दौरान दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लिया जाना चाहिए. हरियाणा सरकार को भी पंजाब सरकार की तरह ही करना चाहिए और किसानों के परिवारों की मदद के लिए आगे आना चाहिए.
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राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस (Pm Modi On Farm Laws) लेने का ऐलान किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए और देशवासियों से यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी. उन्होंने कहा कि हम किसान भाइयों को समझा नहीं पाए. आज गुरुनानक देव का पवित्र पर्व है. ये समय किसी को दोष देने का समय नहीं है. आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है.
तीन कृषि कानून क्या है, किसान क्यों कर रहे थे विरोध
1) कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020- इसके तहत किसान कृषि उपज को सरकारी मंडियों के बाहर भी बेच सकते थे. सरकार के मुताबिक किसान किसी निजी खरीददार को भी ऊंचे दाम पर अपनी फसल बेच सकते थे. सरकार के मुताबिक इससे किसानों की उपज बेचने के विकल्प बढ़ सकते थे. किसान नेताओं का कहना है कि नए कानून के लागू होने के बाद सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी. किसानों का ये भी कहना था कि इस कानून में कोई जिक्र नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे के भाव पर नहीं होगी.
2) कृषि (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020- इस कानून के तहत अनुबंध खेती या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत दिया जा सकता था. इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना था कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है. किसान नेताओं का कहना था कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के दौरान किसान फसल खरीदने वाले से बिक्री को लेकर बहस नहीं कर सकेगा. बड़ी कंपनियां छोटे किसानों से खरीदारी नहीं करेंगी. जिससे उन्हें नुकसान होगा.
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3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- इसके तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया. इनकी जमाखोरी और कालाबाजारी को सीमित करने और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने जैसे प्रतिबंध हटा दिए गए. किसान नेताओं को इस कानून से आपत्ति थी कि इस कानून के तहत कोई कंपनी सामान को कितना भी स्टॉक कर सकती है. ऐसे में असाधारण परिस्थितियों में रेट में जबरदस्त वृद्धि हो सकती है.
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