चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने शिक्षा से जुड़े नियम 134ए को खत्म कर दिया है. इस नियम के अनुसार प्रत्येक निजी स्कूल को अपने स्कूल में 10 फीसदी गरीब बच्चों को बढ़ाना अनिवार्य था. इस नियम को लेकर पिछले लंबे समय से सरकार और प्राइवेट स्कूलों के बीच खींचा तानी चल रही थी. निजी स्कूल सरकार पर लगातार कई तरह के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब सरकार ने इस नियम को खत्म कर दिया है. जिससे गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में पढ़ने का रास्ता भी खत्म हो गया है. इसी को लेकर हमने फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन (Federation of Private School Welfare Association Haryana) के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा से बात की.
कुलभूषण शर्मा ने बताया कि हमें कभी भी 134ए (134A rule abolished in Haryana) से समस्या नहीं रही और ना ही हमें गरीब बच्चों को पढ़ाने में कोई आपत्ति है, लेकिन सरकार ने जिन शर्तों के साथ यह नियम लागू किया था, उन्हें पूरा नहीं किया गया. इसीलिए हम लगातार इस मुद्दे पर सरकार का विरोध करते आए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह वादा किया था कि स्कूल जितने भी गरीब बच्चों को पढ़ाएंगे, उसका खर्च सरकार वहन करेगी. यानी उनकी फीस तय की जाएगी और सरकार स्कूलों को वह फीस देगी, लेकिन वह फीस हमें आज तक नहीं मिली.
उन्होंने कहा कि (Kulbhushan Sharma on 134A rule abolished in Haryana) सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को यह आश्वासन दिया था कि सरकार, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्रति बच्चे पर जितना खर्च करती है, उतना ही खर्च निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर भी करेगी और उतने ही पैसे निजी स्कूलों को दिए जाएंगे. लेकिन सरकार ने आज तक यह नहीं बताया कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पर कितना खर्च करती है, तो वह निजी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों का खर्च कहां से देगी. इसके अलावा कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हम गरीब बच्चों की शिक्षा के खिलाफ नहीं है. हम भी उन्हें पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन इसकी जिम्मेदारी सरकार को भी उठानी चाहिए और सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के साथ जो वादे किए थे उन्हें पूरा करना चाहिए.
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वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पंजाब के निजी स्कूलों को दिए गए आदेशों को लेकर कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हमें भगवंत मान के किसी भी आदेश से कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा की स्कूल खुद बच्चों की वर्दियां जूते और किताबें नहीं बेच सकते. हम इससे सहमत हैं. बच्चे के माता-पिता जहां से चाहे वहां से स्कूल की यूनिफॉर्म, जूते, किताबें खरीद सकते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि इस साल कोई भी निजी स्कूल फीस में बढ़ोतरी नहीं करेगा. हम इस बात से सहमत नहीं है, क्योंकि दो साल कोरोना की भेंट चढ़ गए. स्कूल मालिक भारी घाटे को सहन कर रहे हैं. ऐसे में भगवंत मान का यह आदेश सही नहीं है. यह आदेश स्कूल मालिकों को बर्बादी की ओर धकेल देगा, इसलिए हमारी गुजारिश है कि वह इस आदेश को वापस लें.
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