चंडीगढ़: पूरा देश लॉक डाउन के दौर से गुजर रहा है. बाजार बंद पड़े है. सभी मार्केट, उद्योग धंधे ठंडे पड़े हैं. सरकार को राहत कार्यों के लिए बजट का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा खर्च कर रही है. ऐसे में प्रदेश को राजकोषीय घाटे से बच पानी बेहद मुश्किल है. एक्सपर्ट बिमल अंजुम कहते हैं कि सरकार को इन स्थितियों से निकलने के लिए कम से कम एक साल का समय लगेगा.
अर्थशास्त्री बिमल अंजुम से ईटीवी भारत हरियाणा की खास बातचीत-
सवाल- राजस्व के नुकसान का क्या सरकार के बजट घाटे पर पड़ेगा असर?
जवाब- बिमल अंजुम के मुताबिक प्रदेश को मार्च महीने में करीब 3000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है. आने वाले महीनों में या नुकसान सात से आठ हजार करोड़ तक पहुंच सकता है. जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. राजकोषीय घाटा सिर्फ हरियाणा का ही नहीं बल्कि केंद्र और अन्य राज्य सरकारों का भी बढ़ेगा. क्योंकि सरकार जो वर्तमान में जन हितैषी योजनाएं कमजोर वर्गों के लिए चला रही है, उसका असर भी राजकोषीय घाटे में पड़ता है. इसलिए राजकोषीय घाटे से बच पाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं होगा.
बिमल अंजुम का कहना है कि हरियाणा के लिए एक ही अच्छी बात है कि उसका जीएसटी और वैट कलेक्शन 15 से 18% बढ़ रहा है. इसका असर यह होगा कि जैसे ही अर्थव्यवस्था ठीक होगी, उसका लाभ मिलेगा और एनसीआर क्षेत्र में होने की वजह से भी प्रदेश को फायदा होगा.साथ ही अन्य राज्यों के मुकाबले हरियाणा इससे जल्द उभरेगा.
सवाल- सरकार की जन हितैषी योजनाओं पर क्या होगा असर?
जवाब- बिमल अंजुम के मुताबिक केंद्र हो या राज्य सरकार सभी अपने खजानों को खोल कर काम कर रही है. केंद्र ने भी इन हालातों से लड़ने के लिए बहुत बड़ा पैकेज दिया है जो कि अर्थव्यवस्था का 42 से 45 फ़ीसदी हिस्सा है. क्योंकि सभी योजनाएं पैसों से चलती हैं साथ ही मनरेगा के रेट भी बढ़ा दिया गया है.
ऐसे में जिस तरह के हालात हैं उसको देखते हुए, उत्पादन हम कर नहीं रहे हैं और खर्चा हम बढ़ा रहे हैं. इसका असर सीधा जन हितेषी योजनाओं पर भी पड़ेगा और उनको चलाना सरकारों के लिए मुश्किल होगा.
सवाल- क्या वर्तमान हालात का बैंकों की योजना पर भी पड़ेगा असर?
जवाब- बिमल अंजुम के मुताबिक वर्तमान में रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए और हालातों से लड़ने के लिए कई अच्छे कदम उठाए हैं. इन प्रयासों के तहत सभी को आरबीआई ने रिलीफ़ देने की कोशिश की है. वर्तमान हालात को देखते हुए आने वाले दिनों में सरकार बैंकों की योजनाओ को लेकर ज्यादा सुधार नहीं कर पाएगी और 1 साल तक ऐसी उम्मीद करना भी बेमानी है. हालांकि भविष्य में जब सुधार होगा तो शायद हम किसी तरीके के परिवर्तन की उम्मीद कर सकते हैं.