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चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल: शहर में छाया अंधेरा, पीजीआई में जनरेटर सेट तैयार - पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल (electricity workers strike in chandigarh) का आज पहला दिन रहा. बिजली कर्मचारियों ने काम-काज छोड़कर तीन दिवसीय हड़ताल का फैसला किया है. जिसकी वजह से पूरा दिन चंडीगढ़ में बिजली नहीं रही.

electricity workers protest in chandigarh
electricity workers protest in chandigarh
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Published : Feb 22, 2022, 8:37 PM IST

चंडीगढ़: निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल (electricity workers protest in chandigarh) से पूरे शहर में अंधेरा छा गया. बीती रात 12 बजे से बिजली कर्मचारी तीन दिन की हड़ताल पर है. आज बिजली कर्मचारी काम छोड़कर हड़ताल पर बैठक गए. जिसकी वजह से मंगलवार पूरा दिन शहर में बिजली नहीं रही. बिजली नहीं आने से शहर के लोगों को काफी परेशानियों (power problem in chandigarh) का सामना करना पड़ा.

बिजली ना होने की वजह से शहर की ट्रैफिक लाइटें भी बंद हो गई हैं. जिससे ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. इस बीच पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने चंडीगढ़ में ठप हुई बिजली व्यवस्था का स्वतः संज्ञान लिया और प्रशासन के सीनियर अधिकारी से यूटी में बिजली से बिगड़े हालतों के बारे में जानकारी ली. हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से हरियाणा और पंजाब की मदद लेने का भी सुझाव दिया है.

चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल

जिसपर चंडीगढ़ के सीनियर स्टेंडिंग कौंसिल ने बैंच को जानकारी दी है कि पंजाब की तरफ से किसी भी अभियंता या अधिकारियों को डेपुटेशन पर भेजने से असमर्थता जताई है. यूनियन के सचिव गोपाल जोशी ने ईटीवी भारत के साथ बाचतीत में बताया कि ये बात समझ से परे है कि सरकार ने चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण क्यों किया है. ये विभाग लगातार फायदे में चल रहा है जो हर साल चंडीगढ़ प्रशासन को करीब 1000 करोड़ रुपये का मुनाफा दे रहा है.

electricity workers protest in chandigarh
शहर में छाया अंधेरा, पीजीआई में जनरेटर सेट तैयार

इसके बावजूद इस विभाग को निजी कंपनी के हाथों क्यों दिया गया. इस विभाग की कुल संपत्ति करीब 25000 करोड़ रुपये है, जबकि विभाग को मात्र 870 करोड़ रुपये में निजी कंपनी को दे दिया गया. चंडीगढ़ का बिजली विभाग ना सिर्फ सरकार को मोटा मुनाफा कमा कर दे रहा है, बल्कि लोगों को सस्ती बिजली मुहैया करवा रहा है, लेकिन पता नहीं क्यों सरकार इस विभाग को बर्बाद करने पर तुली है. इसलिए हम प्रदर्शन (electricity workers strike in chandigarh) कर रहे हैं.

electricity workers protest in chandigarh
तीन दिन की हड़ताल का किया है फैसला

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में बिजली कर्मियों की हड़ताल का असर: कई एरिया में बिजली गुल, हेल्पलाइन नंबरों से भी नहीं मिल रही मदद

गोपाल जोशी ने कहा कि इस निजीकरण के विरोध में उन्होंने तीन दिन की हड़ताल का फैसला किया है. इन तीन दिनों बिजली विभाग के सभी कर्मचारी कामकाज छोड़कर हड़ताल करेंगे. जोशी ने कहा कि इस हड़ताल को लेकर हमने चंडीगढ़ प्रशासन को एक दिन पहले ही सूचित किया था, लेकिन उन्होंने कोई इंतजाम नहीं किया. शहर में बिजली नहीं होने के सवाल पर जोशी ने कहा कि इसमें बिजली कर्मचारियों का कोई हाथ नहीं है और ना ही उन्हें बिजली गुल होने का कारण पता है. उन्होंने दावा किया कि कर्मचारियों ने बिजली बाधित नहीं की है. क्योंकि बिजली कर्मियों का मकसद लोगों को परेशान करना नहीं है. वो सिर्फ सरकार की आंखें खोलना चाहते हैं. इसलिए वो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं.

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चंडीगढ़: निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल (electricity workers protest in chandigarh) से पूरे शहर में अंधेरा छा गया. बीती रात 12 बजे से बिजली कर्मचारी तीन दिन की हड़ताल पर है. आज बिजली कर्मचारी काम छोड़कर हड़ताल पर बैठक गए. जिसकी वजह से मंगलवार पूरा दिन शहर में बिजली नहीं रही. बिजली नहीं आने से शहर के लोगों को काफी परेशानियों (power problem in chandigarh) का सामना करना पड़ा.

बिजली ना होने की वजह से शहर की ट्रैफिक लाइटें भी बंद हो गई हैं. जिससे ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. इस बीच पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने चंडीगढ़ में ठप हुई बिजली व्यवस्था का स्वतः संज्ञान लिया और प्रशासन के सीनियर अधिकारी से यूटी में बिजली से बिगड़े हालतों के बारे में जानकारी ली. हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से हरियाणा और पंजाब की मदद लेने का भी सुझाव दिया है.

चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल

जिसपर चंडीगढ़ के सीनियर स्टेंडिंग कौंसिल ने बैंच को जानकारी दी है कि पंजाब की तरफ से किसी भी अभियंता या अधिकारियों को डेपुटेशन पर भेजने से असमर्थता जताई है. यूनियन के सचिव गोपाल जोशी ने ईटीवी भारत के साथ बाचतीत में बताया कि ये बात समझ से परे है कि सरकार ने चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण क्यों किया है. ये विभाग लगातार फायदे में चल रहा है जो हर साल चंडीगढ़ प्रशासन को करीब 1000 करोड़ रुपये का मुनाफा दे रहा है.

electricity workers protest in chandigarh
शहर में छाया अंधेरा, पीजीआई में जनरेटर सेट तैयार

इसके बावजूद इस विभाग को निजी कंपनी के हाथों क्यों दिया गया. इस विभाग की कुल संपत्ति करीब 25000 करोड़ रुपये है, जबकि विभाग को मात्र 870 करोड़ रुपये में निजी कंपनी को दे दिया गया. चंडीगढ़ का बिजली विभाग ना सिर्फ सरकार को मोटा मुनाफा कमा कर दे रहा है, बल्कि लोगों को सस्ती बिजली मुहैया करवा रहा है, लेकिन पता नहीं क्यों सरकार इस विभाग को बर्बाद करने पर तुली है. इसलिए हम प्रदर्शन (electricity workers strike in chandigarh) कर रहे हैं.

electricity workers protest in chandigarh
तीन दिन की हड़ताल का किया है फैसला

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में बिजली कर्मियों की हड़ताल का असर: कई एरिया में बिजली गुल, हेल्पलाइन नंबरों से भी नहीं मिल रही मदद

गोपाल जोशी ने कहा कि इस निजीकरण के विरोध में उन्होंने तीन दिन की हड़ताल का फैसला किया है. इन तीन दिनों बिजली विभाग के सभी कर्मचारी कामकाज छोड़कर हड़ताल करेंगे. जोशी ने कहा कि इस हड़ताल को लेकर हमने चंडीगढ़ प्रशासन को एक दिन पहले ही सूचित किया था, लेकिन उन्होंने कोई इंतजाम नहीं किया. शहर में बिजली नहीं होने के सवाल पर जोशी ने कहा कि इसमें बिजली कर्मचारियों का कोई हाथ नहीं है और ना ही उन्हें बिजली गुल होने का कारण पता है. उन्होंने दावा किया कि कर्मचारियों ने बिजली बाधित नहीं की है. क्योंकि बिजली कर्मियों का मकसद लोगों को परेशान करना नहीं है. वो सिर्फ सरकार की आंखें खोलना चाहते हैं. इसलिए वो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं.

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