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हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों में होगा निपुण बाल रामायण का मंचन, जानें क्या होगा खास - हरियाणा में बाल रामायण प्रतियोगिता

हरियाणा शिक्षा विभाग 11 नवंबर को निपुण बाल रामायण (nipun bal ramayana competition) का मंचन करेगा. इसकी जानकारी विभाग ने सभी स्कूलों को भेज दी है. इस मंचन में पहली से 5वीं कक्षा के छात्र ही हिस्सा लेंगे.

nipun bal ramayana competition
nipun bal ramayana competition
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Published : Oct 21, 2022, 7:02 AM IST

चंडीगढ़: निपुण हरियाणा मिशन (nipun haryana mission) के तहत हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों में निपुण बाल रामायण का मंचन (nipun bal ramayana competition) किया जाएगा. हरियाणा शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को इसकी जानकारी दे दी है. इसके जरिए बच्चे शब्दों का शुद्ध उच्चारण कर पाएंगे और रोल प्ले के जरिये संवाद दक्षता में निपुण होंगे. रामायण के पात्रों के जरिये उनमें नैतिक और बौद्धिक स्तर को बेहतर बनाने के लिए विभाग की ओर से निपुण बाल रामायण का मंचन 11 नवम्बर को कराया जा रहा है.

विभाग (haryana education department) की ओर से बाल रामायण के पात्रों और उनके रोल की जानकारी भी बच्चों और अध्यापकों के साथ साझा की गई है. सभी प्राइमरी स्कूलों में 26 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक रामायण के पात्रों और उनके किरदार की रिहर्सल करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि 11 नवम्बर को अच्छे तरीके से पूरी तैयारियों के साथ बच्चे रामायण का मंचन (nipun bal ramayana competition) कर सके.

इसके साथ ही अध्यापकों को रामलीला मंचन की 3 से 4 मिनट की वीडियो बनाकर इसे ट्विटर और फेसबुक के जरिये हैशटैग निपुण हरियाणा, निपुण रामायण और निपुण FLN पर भेजने के निर्देश दिए हैं. इस प्रतियोगिता में बाल रामायण का जो मंचन सबसे अच्छा होगा, उसे निपुण हरियाणा के आधिकारिक ट्विटर और फेसबुक पेज पर प्रचारित और प्रसारित किया जाएगा. गौरतलब है कि कक्षा 6वीं में हिंदी पाठ्यक्रम में बाल रामायण लागू की गई है, ताकि बच्चों में भाषा शिक्षण के प्रति रुचि पैदा हो और अनुभव से सीखने का अवसर मिले और भाषा के कौशल को भी समझने में मदद मिले.

ये भी पढ़ें- रक्षा क्षेत्र में लगने वाली कंपनियों को हरियाणा सरकार देगी विशेष रियायतें- दुष्यंत चौटाला

स्कूलों में होने वाली बाल रामायण रिहर्सल में ना केवल माता पिता का सहयोग लिया जाएगा, बल्कि समुदाय की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. रामलीला मंचन की खास बात ये भी है कि इसमें केवल पहली से पांचवी कक्षा के छात्रों को ही शामिल किया गया है. कक्षा पहली से तीसरी के छात्रों को छोटे संवाद के जरिये रामायण से जोड़ने की कोशिश की गई है, ताकी बच्चों में शुरू से ही त्याग, समर्पण, ईमानदारी और वचन परायणता जैसे गुण पनप सकें और नैतिक शिक्षा को बढ़ावा मिल सके.

चंडीगढ़: निपुण हरियाणा मिशन (nipun haryana mission) के तहत हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों में निपुण बाल रामायण का मंचन (nipun bal ramayana competition) किया जाएगा. हरियाणा शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को इसकी जानकारी दे दी है. इसके जरिए बच्चे शब्दों का शुद्ध उच्चारण कर पाएंगे और रोल प्ले के जरिये संवाद दक्षता में निपुण होंगे. रामायण के पात्रों के जरिये उनमें नैतिक और बौद्धिक स्तर को बेहतर बनाने के लिए विभाग की ओर से निपुण बाल रामायण का मंचन 11 नवम्बर को कराया जा रहा है.

विभाग (haryana education department) की ओर से बाल रामायण के पात्रों और उनके रोल की जानकारी भी बच्चों और अध्यापकों के साथ साझा की गई है. सभी प्राइमरी स्कूलों में 26 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक रामायण के पात्रों और उनके किरदार की रिहर्सल करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि 11 नवम्बर को अच्छे तरीके से पूरी तैयारियों के साथ बच्चे रामायण का मंचन (nipun bal ramayana competition) कर सके.

इसके साथ ही अध्यापकों को रामलीला मंचन की 3 से 4 मिनट की वीडियो बनाकर इसे ट्विटर और फेसबुक के जरिये हैशटैग निपुण हरियाणा, निपुण रामायण और निपुण FLN पर भेजने के निर्देश दिए हैं. इस प्रतियोगिता में बाल रामायण का जो मंचन सबसे अच्छा होगा, उसे निपुण हरियाणा के आधिकारिक ट्विटर और फेसबुक पेज पर प्रचारित और प्रसारित किया जाएगा. गौरतलब है कि कक्षा 6वीं में हिंदी पाठ्यक्रम में बाल रामायण लागू की गई है, ताकि बच्चों में भाषा शिक्षण के प्रति रुचि पैदा हो और अनुभव से सीखने का अवसर मिले और भाषा के कौशल को भी समझने में मदद मिले.

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स्कूलों में होने वाली बाल रामायण रिहर्सल में ना केवल माता पिता का सहयोग लिया जाएगा, बल्कि समुदाय की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. रामलीला मंचन की खास बात ये भी है कि इसमें केवल पहली से पांचवी कक्षा के छात्रों को ही शामिल किया गया है. कक्षा पहली से तीसरी के छात्रों को छोटे संवाद के जरिये रामायण से जोड़ने की कोशिश की गई है, ताकी बच्चों में शुरू से ही त्याग, समर्पण, ईमानदारी और वचन परायणता जैसे गुण पनप सकें और नैतिक शिक्षा को बढ़ावा मिल सके.

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