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आंदोलन में कथित खालिस्तानी के सवाल पर बोले दुष्यंत- किसानों का रवैया पॉजिटिव - दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम हरियाणा

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि हरियाणा में हमने 6 फसलों पर एमएसपी सुनिश्चित की है. कई राज्यों में तो 2 फीसदी भी एमएसपी सुनिश्चित नहीं है. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 48 घंटे में समाधान निकलने की संभावना है.

Dushyant Chautala Khalistani kisan protest
Dushyant Chautala Khalistani kisan protest
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Published : Dec 12, 2020, 7:33 PM IST

चंडीगढ़: कुछ रिपोर्ट ऐसे भी आई कि किसान आंदोलन में विदेशी ताकतों और खालिस्तान पक्षधर ताकतें हिस्सा ले रही हैं. इस सवाल पर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जो भी लोग पंजाब से आए हैं. वो बहुत पॉजिटिव हैं. किसानों का आंदोलन बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है.

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि किसान ऐसे ही पॉजिटिव रहेंगे. किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा. वो इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि कहीं बाहरी ताकतें उनके बीच ना आ जाए. जिससे आंदोलन को नई गति मिल जाए.

आंदोलन में कथित खालिस्तानी और अर्बन नक्सल पर जानें क्या बोले दुष्यंत चौटाला

48 घंटे में निकलेगा समाधान- दुष्यंत

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि हरियाणा में हमने 6 फसलों पर एमएसपी सुनिश्चित की है. कई राज्यों में तो 2 फीसदी भी एमएसपी सुनिश्चित नहीं है. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 48 घंटे में समाधान निकलने की संभावना है. रास्ता बातचीत से निकलता है और पूरी दुनिया उम्मीद पर कायम है. दो पक्षों में छह राउंड की बैठक हुई है. एक से दूसरे राउंड की बातचीत तभी हुई जब कुछ प्रोडक्टिव दिखा. उम्मीद है सातवें दौर की बातचीत जल्दी होगी. 48 घंटों में कुछ समाधान निकलने की संभावना है.

किसान दिल्ली से सटे बॉर्डर पर डटे

वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लगातार कदमों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि असल में सरकार किसानों की मुक्त समस्या तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी को हल नहीं करना चाहती. अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है.

ये भी पढ़ें- किसानों और सरकार के बीच जल्द होगी 7वें दौर की बातचीत- दुष्यंत चौटाला

पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का ये आंदोलन राजनीतिक दलों द्वारा प्रोत्साहित है. फिर उसने कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रोत्साहित है, इसके बाद उसने कहा कि ये पंजाब का आंदोलन है, जिसमें खालिस्तान पक्षधर ताकतें भाग ले रही हैं. इसके बाद कहा कि किसान संगठन वार्ता से बच रहे हैं जबकि हमने सभी वार्ताओं में भाग लिया, किसी वार्ता में जाने से मना नहीं किया और विस्तार से सरकार को अपना पक्ष समझाया और कहा कि वो साफ करे कि वो कानून वापस लेगी या नहीं. सच यह है कि सरकार के पास किसानों से बात करने के लिए कुछ है ही नहीं.

चंडीगढ़: कुछ रिपोर्ट ऐसे भी आई कि किसान आंदोलन में विदेशी ताकतों और खालिस्तान पक्षधर ताकतें हिस्सा ले रही हैं. इस सवाल पर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जो भी लोग पंजाब से आए हैं. वो बहुत पॉजिटिव हैं. किसानों का आंदोलन बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है.

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि किसान ऐसे ही पॉजिटिव रहेंगे. किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा. वो इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि कहीं बाहरी ताकतें उनके बीच ना आ जाए. जिससे आंदोलन को नई गति मिल जाए.

आंदोलन में कथित खालिस्तानी और अर्बन नक्सल पर जानें क्या बोले दुष्यंत चौटाला

48 घंटे में निकलेगा समाधान- दुष्यंत

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि हरियाणा में हमने 6 फसलों पर एमएसपी सुनिश्चित की है. कई राज्यों में तो 2 फीसदी भी एमएसपी सुनिश्चित नहीं है. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 48 घंटे में समाधान निकलने की संभावना है. रास्ता बातचीत से निकलता है और पूरी दुनिया उम्मीद पर कायम है. दो पक्षों में छह राउंड की बैठक हुई है. एक से दूसरे राउंड की बातचीत तभी हुई जब कुछ प्रोडक्टिव दिखा. उम्मीद है सातवें दौर की बातचीत जल्दी होगी. 48 घंटों में कुछ समाधान निकलने की संभावना है.

किसान दिल्ली से सटे बॉर्डर पर डटे

वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लगातार कदमों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि असल में सरकार किसानों की मुक्त समस्या तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी को हल नहीं करना चाहती. अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है.

ये भी पढ़ें- किसानों और सरकार के बीच जल्द होगी 7वें दौर की बातचीत- दुष्यंत चौटाला

पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का ये आंदोलन राजनीतिक दलों द्वारा प्रोत्साहित है. फिर उसने कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रोत्साहित है, इसके बाद उसने कहा कि ये पंजाब का आंदोलन है, जिसमें खालिस्तान पक्षधर ताकतें भाग ले रही हैं. इसके बाद कहा कि किसान संगठन वार्ता से बच रहे हैं जबकि हमने सभी वार्ताओं में भाग लिया, किसी वार्ता में जाने से मना नहीं किया और विस्तार से सरकार को अपना पक्ष समझाया और कहा कि वो साफ करे कि वो कानून वापस लेगी या नहीं. सच यह है कि सरकार के पास किसानों से बात करने के लिए कुछ है ही नहीं.

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