चंडीगढ़: अनलॉक वन में भले ही छूट मिल गई हो, सरकारी से लेकर प्राइवेट कार्यालय खुल गए हो, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही अब लोगों पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है. हम बात कर रहे हैं यमुनानगर के रादौर बिजली विभाग की. यहां जब उपभोक्ता बिजली का बिल भरने गए तो अधिकारियों ने उन्हें कार्यालय पर बिजली ना होना का हवाला दे दिया. जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को कई घंटों भीषण गर्मी में खड़े होकर इंतजार करना पड़ा.
जब इसकी सूचना मीडिया को लगी तो निगम द्वारा आनन-फानन में बिल लिया जाने लगा. मीडिया टीम निगम कार्यालय पंहुची तो यहां पर कई ऐसे कर्मचारी नजर आए जो बिना फेस मास्क के काम कर रहे थे, लेकिन कैमरा चलते ही अपना मुंह ढ़कते नजर आए. इस बारे जब बिजली निगम रादौर के एसडीओ शमशेर सिंह से बात की तो वो डैमेज कंट्रोल करते नजर आए.
बिजली विभाग का एक कारनामा सीएम सीटी करनाल से भी सामने आया. लॉकडाउन खुला तो बिजली विभाग का सितम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया. यहां पहले जिस घर का बिजली का बिल एक से दो हजार रुपये आया करता था, वो इस बार तीन लाख रुपये आया है. पीड़ित सुनील ने बताया कि वो कई बार बिजली विभाग के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है.
इस बारे में बिजली विभाग के अधिकारी एनपी सिंह चौहान से बात की गई तो उन्होंने लापरवाही का ठीकरा प्राइवेट कर्मचारियों पर फोड़ दिया. साथ ही उन्होंने आश्वासन भी दिया कि पीड़ित का जो भी महीने का बिल बनता है उससे वो ही वसूला जाएगा. एनपी सिंह ने बताया कि उन्होंने ऊपर अधिकारियों को इस गलती के बारे में लिख दिया है. जल्द ही पीड़ित की समस्या का समाधान हो जाएगा.
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फिलहाल तो काम करने की जगह सरकारी अधिकारी आरोप-प्रत्यारोप पर विश्वास ज्यादा रख रहे हैं. भले ही प्रदेश के बिजली मंत्री उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने का दावा करते हों, लेकिन सरकारी अधिकारियों ये लापरवाही लोगों के लिए नई मुसीबत बनी हुई है.