चंडीगढ़: फरलो पर जेल से बाहर रह रहे गुरमीत राम रहीम को अब जेड प्लस सुरक्षा में रखा जाएगा. इस संबंध में एडीजी सीआईडी की तरफ से रोहतक रेंज कमिश्नर को पत्र लिखा गया था. ये पत्र 6 फरवरी को लिखा गया था. पत्र में बताया गया है कि उनको गृह मंत्रालय से इनपुट मिले हैं कि राम रहीम को खालिस्तानी आतंकवादियों से खतरा है. इसके अलावा सजा से पहले भी उसको धमकियां मिलती रही हैं. इसी खतरे को देखते हुए गुरमीत राम रहीम की सुरक्षा को कड़ा किया जाना जरूरी है.
क्या लिखा है पत्र में- पत्र में कहा गया है कि राम रहीम को दोषी पाए जाने से पहले भी हरियाणा में जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई थी. 6 फरवरी को जारी किए गए इस पत्र में आईबी द्वारा लिखे गए पत्र का भी हवाला दिया गया है. रोहतक कमिश्वर को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि राम रहीम को हरियाणा में खालिस्तान समर्थित लोगों से गंभीर खतरा है. आईबी डायरेक्टर की ओर से यह पत्र दिनांक 18.06.2021 को जारी किया गया था.
पत्र संख्या 1S/SIB-CHG/2021 में कहा गया है कि चंडीगढ़ में खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं से गुरमीत राम रहीम के खतरे को लेकर विश्वसनीय इनपुट हैं. उपरोक्त दोषी को गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए और कैदी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही की जानी चाहिए. रोहतक कमिश्वर को लिखे इस पत्र में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि पंजाब में आगामी चुनावों और विभिन्न खतरे के इनपुट के मद्देनजर यदि कैदी को पैरोल पर रिहा किया जाता है तो मौजूदा नियम, विनियमों आदि के अनुसार जेड प्लस सुरक्षा या समकक्ष सुरक्षा दी जा सकती है. क्योंकि राम रहीम को कट्टरपंथी सिख चरमपंथियों से धमकी मिली हुई है.
राम रहीम को मिली तीन हफ्ते की फरलो- बता दें कि 7 फरवरी को हरियाणा जेल प्रशासन ने राम रहीम को 3 सप्ताह की फरलो मंजूर की थी. हरियाणा सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसपर सुनवाई करते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court Chandigarh) ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया है. गुरमीत को फरलो दिए जाने के विरोध में हाईकोर्ट में 23 फरवरी को सुनवाई होनी है. फिलहाल वह गुरुग्राम स्थित अपने डेरे में परिवार के साथ रह रहा है.
राम रहीम की फरलो के खिलाफ किसने लगाई याचिका? पंजाब में समाना निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव में 56 साल के निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो ऐसे समय में दी गई है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में दलील दी गई कि इससे पंजाब में शांति भंग होने का भय है. याचिका के अनुसार डेरा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव का दावा कर करता रहा है, डेरा प्रमुख की रिहाई से राज्य के विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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याचिकाकर्ता पंजाब के पटियाला जिले के गांव भादसों का रहने वाला है. याचिकाकर्ता के मुताबिक आठ फरवरी को उसने फरलो रद्द करने के लिए हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक, डेरा प्रमुख विधानसभा चुनाव में अपनी अवैधता को धरातल पर अंजाम दे सकता है, क्योंकि उसके कई सहयोगी गलत काम करने वाले फरार हैं. याचिका में कहा गया है कि डेरा प्रमुख ने घोर नापाक और कुख्यात कृत्यों की श्रृंखला को अंजाम दिया है. ऐसे में उन्हें पंजाब विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फरवरी के महीने में फरलो पर रिहा किया गया है. इस स्तर पर उसकी रिहाई पंजाब के लिए निर्धारित निष्पक्ष विधानसभा चुनाव की भावना के खिलाफ है.
क्या है पूरा मामला- डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.
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