चंडीगढ़/दिल्ली: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बुधवार को राज्यसभा में वित्त विधेयक पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से चर्चा की शुरुआत करते हुए सरकार को किसानों के मुद्दे पर जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि सरकार ने पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ऐसा कुछ नहीं किया जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर वापस लौट सके.
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किसानों की खिल्ली उड़ाना पड़ेगा महंगा: दीपेंद्र
दीपेंद्र ने कहा कि कोरोना में जब देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी, तब किसान ने ही खेत में पसीना बहाकर देश की अर्थव्यवस्था को बचाया, लेकिन सरकार ने कृषि का बजट ही घटा दिया. उन्होंने सरकार से जवाब मांगा कि बजट में किसान के लिए क्या है?
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि 4 महीने में 300 से ज्यादा किसानों की जान चली गई, लेकिन संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकले. उन्होंने सदन में हाथ जोड़कर सरकार से आग्रह किया कि किसान आंदोलन में कुर्बानी देने वाले किसानों के परिवारों के लिये आर्थिक पैकेज और नौकरी देने की घोषणा करे और किसानों को खुशी-खुशी घर लौटने का मौका दें. साथ ही, सरकार को चेताया कि किसानों की खिल्ली उड़ाना बीजेपी को बहुत महंगा पड़ेगा.
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वहीं उन्होंने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 2019 का चुनाव जीतने के लिए आपने देश के किसानों से 2022 तक आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था, यानी 2022 तक किसान की आमदनी 16,000 प्रति महीना होनी चाहिए, अब 2022 को आने में पूरा 1 साल भी नहीं बचा, सिर्फ 9 महीने बचे हैं. सरकार बताए कैसे होगी दोगुनी आमदनी.
देश में आज रिकॉर्ड बेरोजगारी: दीपेंद्र
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, बिगड़ती अर्थव्यवस्था, गरीब-अमीर में बढ़ता अंतर, गलत आर्थिक नीतियों पर सरकार को उसके ही आंकड़ों से आईना दिखाते हुए कहा कि आपकी नीतियों की बहुत बड़ी विफलता है कि आज भारत में गरीब अमीर में अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा हो गया है. बेरोजगारी पर सरकार की नाकामियों को गिनाते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देश में आज रिकॉर्ड बेरोजगारी है. आपने सुझाव दिया कि पकौड़े तलना भी रोजगार है. सुझाव अच्छा है, हर घर में एक बेरोजगार है. आपकी बात मानकर हर घर में पकौड़े की कढ़ाई चढ़ा दें तो खरीदेगा कौन? अगर पकौड़ा बिका नहीं तो अगले दिन बेसन और तेल कहां से आएगा?
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महंगी गैस ने महिलाओं के निकाले आंसू
महंगाई पर उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा डीजल का भाव दोगुना हो गया, 70 साल में इतना टैक्स कभी नहीं वसूला गया. 100 रुपये के पेट्रोल में सरकार 63 रुपये का टैक्स वसूलती है, रसोई गैस के बढ़ते दामों ने महिलाओं की आंखों से आंसू निकाल दिए और गांव-गांव में सिलेंडर खाली पड़े हुए हैं. महंगी गैस के चलते महिलाएं दोबारा लकड़ी पर खाना बनाने को मजबूर हैं.