चंडीगढ़ः रोहतक से पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस की ओर से राज्यसभा चुनाव का नामांकन भर दिया है. दीपेंद्र हुड्डा की उम्मीदवारी घोषित होने से पहले हुड्डा विरोधी बार-बार कांग्रेस में फूट की बात कह रहे थे. कोई विपक्षी दल तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की पावर को कमतर आंक रहा था तो कोई अलग-अलग नेताओं की उम्मीदवारी की भविष्यवाणी कर रहा था, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने एक बार फिर अपनी ताकत का जोरदार प्रदर्शन दिखाया है.
एक अनार सौ बीमार!
विधानसभा चुनाव से पहले भूपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस आलाकमान को पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन के लिए मजबूर कर दिया था. उसी का नतीजा है कि आज कांग्रेस 31 सीटों पर खड़ी है. वही एपिसोड एक बार फिर राज्यसभा चुनाव की एक सीट की उम्मीदवारी के लिए दोहराया गया. यहां भी एक अनार और सौ बीमार जैसी स्थिति थी, लेकिन हुड्डा ने बड़े-बड़े दावेदारों को पीछे छोड़ आलाकमान को मजबूर कर दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा की एकमात्र राज्य सभा सीट के लिए उम्मीदवार घोषित करवा लिया.
दीपेंद्र के पास विधायकों का साथ
खबरें थी कि दीपेंद्र हुड्डा की उम्मीदवारी कांग्रेस के सभी विधायकों को पसंद नहीं आई, लेकिन हुआ इसके उलटा. दरअसल दीपेंद्र के नामांकन वाले दिन कांग्रेस के 31 विधायकों में से मुश्किल से तीन विधायक नहीं पहुंच पाए इसके अलावा तमाम विधायक विधानसभा स्थित रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर में दीपेंद्र हुड्डा के साथ नजर आए. यही नहीं पूर्व विधायक और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता इस समय दीपेंद्र हुड्डा को सम्मान और आशीर्वाद देने पहुंचे.
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दीपेंद्र की जीत तय!
दीपेंद्र हुड्डा का राज्यसभा के लिए नामांकन हो चुका है जीत भी तय मानी जा रही है. चुनाव नतीजा 18 मार्च को ही आ सकता है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि वो हरियाणा की आवाज संसद में उठाएंगे और उनके पिता भूपेंद्र हुड्डा पहले ही विपक्ष के नेता होने के नाते हरियाणा में जनता की आवाज बुलंद कर रहे हैं.
हुड्डा की और बढ़ेगी ताकत!
इसी बीच अगर देखा जाए तो दीपेंद्र के राज्यसभा चुनाव में सीट और इससे पहले दो बार कांग्रेस आलाकमान को अपनी बात मनवाने के लिए मजबूर कर देना कहीं ना कहीं कांग्रेस में हुड्डा को और बड़ा नेता बनने की ओर इशारा कर रहा है.