चंडीगढ़: बीजेपी के नेता और हरियाणा के दिग्गज नेताओं में शुमार चौधरी वीरेंद्र सिंह पिछले लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी को जननायक जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ने की सलाह दे रहे हैं. चौधरी वीरेंद्र सिंह लगातार विभिन्न मंचों पर इस बात की पैरवी कर चुके हैं. इतना ही नहीं उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह और उनकी पूर्व विधायक पत्नी प्रेमलता भी कुछ इसी तरह के बयान दे चुके हैं.
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हिसार में जेजेपी नेताओं पर बरसे चौधरी वीरेंद्र सिंह: चौधरी वीरेंद्र सिंह ने हिसार में गौरवशाली भारत रैली में एक बार फिर से JJP नेताओं पर जमकर वार किया. उन्होंने इस रैली में पार्टी नेताओं के सामने कहा कि गठबंधन के साथी हल्की बातें कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, दुष्यंत चौटाला एंड कंपनी की वजह से नुकसान हो रहा है, इसलिए पार्टी को लंबे समय से गठबंधन से छुटकारा पाने की सलाह दे रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि गठबंधन से बीजेपी को कोई फायदा नहीं होने वाला है.
आखिर चौधरी वीरेंद्र सिंह बार-बार JJP और दुष्यंत चौटाला को निशाना क्यों बना रहे हैं? और इसके पीछे उनकी मंशा क्या है? ऐसे कई सवाल हैं जो उनकी इस तरह की बयानबाजी के बाद बार-बार उठ रहे हैं.
आखिर जेजेपी पर चौधरी वीरेंद्र सिंह क्यों साध रहे निशाना?: दरअसल चौधरी वीरेंद्र सिंह उचाना कलां से पांच बार विधायक रहे हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि यह सीट उनकी परंपरागत सीट है. इस सीट की सियासत चौधरी वीरेंद्र सिंह और उनके परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में चौधरी वीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह के सामने JJP नेता की हैसियत से दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा था, जिसमें चौधरी वीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह को जीत मिली थी.
चौटाला और चौधरी परिवार के बीच सियासी लड़ाई: इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में उचाना सीट पर मौजूदा दौर में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता मैदान में थीं. इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने उनकी पत्नी को भारी मतों से शिकस्त दी थी. वहीं, चौटाला परिवार और चौधरी वीरेंद्र सिंह के परिवार के बीच पुराना राजनीतिक टकराव भी है. चौधरी वीरेंद्र सिंह इंडियन नेशनल लोक दल के सुप्रीमो रहे चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के खिलाफ चुनावी जंग लड़ चुके हैं. अब चौटाला की तीसरी पीढ़ी उनके लिए उचाना सीट पर चुनौती बनी हुई है.
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क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि, उचाना विधानसभा पर सीट चौधरी वीरेंद्र सिंह और उनके परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है. इस सीट पर उनकी लड़ाई चौटाला परिवार से खास तौर पर रही है. यह सभी जानते हैं कि उचाना की इस जंग की वजह से ही चौधरी वीरेंद्र सिंह बार-बार अपनी पार्टी यानी बीजेपी को यह बताना चाहते हैं कि वे जेजेपी से अलग हो जाएं. जहां तक बात गठबंधन तोड़ने की है तो वह किसी के भी कहने से शायद नहीं टूटेगा. क्योंकि इस तरह के फैसले किसी भी दल के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करते हैं.
कोई भी नेता अपने समर्थकों का जोश कम नहीं होने देना चाहता. वीरेंद्र सिंह की इस तरह की बयानबाजी को उस संदर्भ में भी देखे जा सकते हैं. क्योंकि उनके अपने समर्थक किसी भी स्तर पर इस सीट पर दुष्यंत चौटाला के बढ़ते दबदबे को पसंद नहीं करेंगे. ऐसे में कार्यकर्ताओं में जोश बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है कि वे उनके खिलाफ लगातार बयानबाजी करते रहेंः प्रोफेसर गुरमीत सिंह, राजनीतिक मामलों के जानकार
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बयानों पर BJP-JJP की एक राय: चौधरी वीरेंद्र सिंह के बयानों को लेकर जननायक जनता पार्टी के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर दीप कमल सारण कहते हैं कि, 'बीजेपी से ज्यादा चौधरी वीरेंद्र सिंह अपने दर्द को इस तरह के बयान देकर जाहिर करने की कोशिश करते हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ बातचीत के बाद हुआ था. इस बात को पार्टी के नेता कई बार सार्वजनिक मंचों पर बता भी चुके हैं. चौधरी वीरेंद्र सिंह जो कुछ कह रहे हैं वह पार्टी से ज्यादा उनकी व्यक्तिगत राय है और उनका यह दर्द इसलिए है, क्योंकि उन्हें डर है कि दुष्यंत चौटाला के उचाना सीट पर चुनाव लड़ने से चौधरी वीरेंद्र सिंह के परिवार का इस सीट पर जीतना मुश्किल हो जाएगा.' कुछ ऐसी ही राय भाजपा की भी है.
सभी जानते हैं कि चौधरी वीरेंद्र सिंह और दुष्यंत चौटाला के बीच जंग उचाना सीट को लेकर है. इसी को देखते हुए वीरेंद्र सिंह लगातार बयान देते हैं. जहां तक गठबंधन की बात है तो इसको लेकर सीएम मनोहर लाल पहले ही कह चुके हैं कि गठबंधन सही से चल रहा है. जहां तक भविष्य के गठबंधन की बात है तो वह केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगाः प्रवीण अत्रे, बीजेपी प्रवक्ता
कांग्रेस बोली-जनता सब जानती है: चौधरी वीरेंद्र सिंह के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि, 'यह दोनों दलों का आपस का मामला है. बीजेपी और जेजेपी ने 2019 में विधानसभा चुनाव एक दूसरे के खिलाफ लड़ा था और जेजेपी के नेता तो बीजेपी को यमुना पार पहुंचने की बात करते थे, लेकिन सरकार बनाने के लिए दोनों एक हुए और उसका खामियाजा हरियाणा की जनता को भुगतना पड़ रहा है. इस गठबंधन की सरकार में कई घोटाले हुए, जिनकी जांच हुई. लेकिन, किसी भी घोटाले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई. अब फिर चुनाव से पहले अलग होने के लिए भूमिका बना रहे हैं. हरियाणा की जनता सब जानती है और इन्हें सत्ता से बाहर करके रहेगी.'
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