चंडीगढ़: भगोड़े अपराधियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि वो हलफनामा दायर कर ये बतांए कि आईपीसी की धारा 174-ए के एफआईआर दर्ज करने बारे क्या पुलिस प्रमुख ने कभी एसएचओ को कोई आदेश जारी किए हैं? कोर्ट ने ये भी जानकारी देने का आदेश दिया है कि किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद इस तरह के मामले में कोर्ट के आदेश के बाद कितने मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई? कोर्ट की तरफ से पूछा गया कि किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित करने पर स्थानीय एसएचओ उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करते?
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
कोर्ट की तरफ से अलग-अलग मामलों में भगोड़ा घोषित किए गए अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा मामला दर्ज न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. दरअसल मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 के तहत चेक बाउंस का है. इस मामले में आरोपी को पंचकूला कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया. आईपीसी की धारा 174-ए के तहत कोर्ट द्वारा भगोड़ा घोषित करने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज करना होता है, लेकिन आम तौर पर एसएचओ भगोड़ा व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करते. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.
पंचकूला कोर्ट द्वारा भगोड़ा घोषित होने के बाद याची ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने याची को राहत देते हुए उसे सात दिन के भीतर पंचकूला कोर्ट के सामने पेश होने और कोर्ट द्वारा उसके अंतरिम जमानत देने का आदेश जारी कर दिया, लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर विचार किया कि कोर्ट जब किसी व्यक्ति को पीओ यानी भगोड़ा घोषित करता है तो स्थानीय एसएचओ उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करते?
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174-ए के पीओ घोषित होना बड़ा और गैर जमानती अपराध है, फिर इसकी पालना क्यों नहीं होती? इसी कारण हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वो हलफनामा देकर कोर्ट को बताए कि 174-ए के एफआईआर दर्ज करने बारे क्या पुलिस प्रमुख ने कभी एसएचओ को कोई आदेश जारी किए है? कोर्ट ने ये भी जानकारी देने का आदेश दिया है कि इस तरह के मामले में कोर्ट के आदेश के बाद कितने मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई?