नई दिल्ली/चंडीगढ़: पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे 20 जनवरी 2020 को स्वीकार कर लिया गया है. राज्यसभा ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे की अधिसूचना जारी की है. जिसमें लिखा है कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है.
चौधरी बीरेंद्र सिंह का इस्तीफा मंजूर
इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उन्होंने अपने बेटे को हिसार से सीट दिलाई थी जिस उनके ऊपर परिवारवाद की राजनीति करने के आरोप लगे थे. जिस पर उन्होंने बेटे बृजेंद्र सिंह को टिकट दिलवाने के लिए मंत्रिमंडल और राज्यसभा से अपना इस्तीफा दिया था. उस समय ऐसा कहा गया था उनकी इस्तीफा स्वाकर कर लिया गया लेकिन राज्यसभा की ओर से कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं हुई थी, लेकिन अब राज्यसभा की ओर से उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी गई है.
चौधरी बीरेंद्र सिंह पर परिवारवाद के आरोप
इसके साथ ही उनकी पत्नी के प्रेमलता के चुनाव लड़ने पर काफी विवाद हुआ था. तब भी कई सांसदों और अन्य नेताओं ने परिवारवाद का आरोप लगाए थे. एक ही परिवार से तीन सदस्य विधानसभा, राज्यसभा और लोकसभा में कैसे हो सकते हैं? विरोध के बावजूद प्रेमलता को सीटिंग एमएलए होने के कारण टिकट दे दिया गया, लेकिन जेजेपी प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला ने उन्हें 47,452 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया.
चौधरी बीरेंद्र सिंह का राजनीति सफर
साल 1977 में पहली बार उचाना कलां विधानसभा सीट बनी. चौधरी बीरेंद्र सिंह यहां के पहले विधायक बने. बीरेंद्र सिंह पांच बार 1977, 1982, 1994, 1996 और 2005 में उचाना से विधायक बन चुके हैं और तीन बार हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
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बीरेंद्र सिंह साल 1984 में हिसार लोकसभा क्षेत्र से पहली दफे सांसद बने. उन्होंने इनेलो के ओमप्रकाश चौटाला को हराकर पहली बार सांसद बने थे. साल 2010 में कांग्रेस के टिकट से राज्यसभा सदस्य मनोनीत हुए. चौधरी बीरेंद्र सिंह ने करीब 42 साल तक कांग्रेस के साथ काम किया.
बीजेपी में शामिल चौधरी बीरेंद्र सिंह
बीरेंद्र सिंह 16 अगस्त 2014 में जींद की एक रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में शामिल हो गए. जून 2016 में बीजेपी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा भेज दिया. बीरेंद्र सिंह साल 2022 तक राज्यसभा सदस्य रहे, लेकिन बीरेंद्र सिंह ने भविष्य में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.