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'उम्मीद करते हैं कि हरियाणा SYL पर पंजाब के दृष्टिकोण को समझेगा'

पंजाब की सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि हरियाणा में पहले से ही पंजाब की तुलना में अधिक पानी है. उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि एसवाईएल के मुद्दे पर हरियाणा पंजाब के दृष्टिकोण को समझेगा.

amarinder singh
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Published : Aug 21, 2020, 10:08 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे एसवाईएल विवाद पर एक बार फिर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. शुक्रवार को बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि एसवाईएल के मुद्दे पर हरियाणा पंजाब के दृष्टिकोण को समझेगा.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि हरियाणा में पहले से ही पंजाब की तुलना में अधिक पानी है और शारदा-यमुना लिंक नहर परियोजना के माध्यम से अतिरिक्त 1 एएमएफ पानी हरियाणा को मिलेगा.

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'उम्मीद है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इन सब बातों पर ध्यान देंगे'. उन्होंने कहा कि जब भी उनकी अगली मुलाकात सीएम मनोहर लाल से होगी, तो इन बातों पर भी चर्चा की जाएगी.

ये भी पढ़ें- एसवाईएल पर पंजाब ने फंसाया नया पेंच, कैप्टन अमरिंदर बोले- यमुना का पानी भी किया जाए शामिल

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब ने पूरे देश को भोजन खिलाया है. सीएम ने कहा कि हरियाणा की तुलना में पंजाब बहुत बड़ा कृषि क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि नदी के पानी की कुल उपलब्धता हरियाणा के पास ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि पंजाब के पास 12.42 एमएएफ पानी है जबकि हरियाणा के पास 12.48 एमएएफ पानी है. उन्होंने कहा कि जब हरियाणा बना तो दोनों राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में संपत्ति को विभाजित किया गया था. वहीं इस विभाजन में यमुना नदी का पानी नहीं था.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे एसवाईएल विवाद पर एक बार फिर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. शुक्रवार को बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि एसवाईएल के मुद्दे पर हरियाणा पंजाब के दृष्टिकोण को समझेगा.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि हरियाणा में पहले से ही पंजाब की तुलना में अधिक पानी है और शारदा-यमुना लिंक नहर परियोजना के माध्यम से अतिरिक्त 1 एएमएफ पानी हरियाणा को मिलेगा.

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'उम्मीद है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इन सब बातों पर ध्यान देंगे'. उन्होंने कहा कि जब भी उनकी अगली मुलाकात सीएम मनोहर लाल से होगी, तो इन बातों पर भी चर्चा की जाएगी.

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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब ने पूरे देश को भोजन खिलाया है. सीएम ने कहा कि हरियाणा की तुलना में पंजाब बहुत बड़ा कृषि क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि नदी के पानी की कुल उपलब्धता हरियाणा के पास ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि पंजाब के पास 12.42 एमएएफ पानी है जबकि हरियाणा के पास 12.48 एमएएफ पानी है. उन्होंने कहा कि जब हरियाणा बना तो दोनों राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में संपत्ति को विभाजित किया गया था. वहीं इस विभाजन में यमुना नदी का पानी नहीं था.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

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