चंडीगढ़: दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. इनमें से कई लोगों को सही इलाज मिल जाता है, लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जिनका इलाज कारगर साबित नहीं होता और उनकी मौत हो जाती है. ऐसे में बोन मैरो ट्रांसप्लांट इस तरह के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस पद्धति में ना तो मरीज का ऑपरेशन किया जाता है और ना ही कोई कीमो थेरेपी जैसी पेचीदा थेरेपी दी जाती है.
इस बारे में ईटीवी भारत हरियाणा ने हेमेटोलॉजिस्ट ब्रिगेडियर डॉ. अजय शर्मा से खास बातचीत की. डॉ. अजय शर्मा सेना में रहते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए बहुत से जवानों का इलाज कर चुके हैं.
स्टेम सेल की गड़बड़ियों को ठीक करके होता है इलाज
इस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया स्टेम सेल में गड़बड़ी की वजह से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं. कई लोगों के स्टेम सेल्स में गड़बड़ी बचपन से होती है, जबकि बहुत से लोगों में ये बाद में पैदा हो जाती है. जिस वजह से उन्हें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है. जैसे ब्लड कैंसर और थैलेसीमिया.
इन बीमारियों के मरीज इलाज तो कराते हैं, लेकिन ऐसे कई मरीज होते हैं जिनका इलाज सफल नहीं हो पाता. अगर ऐसे इन मरीजों की स्टेम सेल्स में उत्पन्न हुई गड़बड़ियों को ही ठीक कर दिया जाए तो बीमारी भी ठीक हो जाती है. इसके लिए हमें दूसरे व्यक्ति के शरीर से स्टेम सेल लेकर बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट करने पड़ते हैं.
ट्रांसप्लांट के लिए डोनर और मरीज का एचएलए ग्रुप मिलना बेहद जरूरी, लेकिन ये इतना आसान नहीं है. इसके लिए हमें सबसे पहले ऐसा व्यक्ति चाहिए होता है, जिसके एचएलए ग्रुप मरीज के एचएलए ग्रुप से मेल खाते हैं. ये ब्लड ग्रुप की तरह ही होते हैं. इसमें 6 ग्रुप होते हैं, अगर सभी 6 ग्रुप मिल जाते हैं तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफल रहता है, जो मरीज के भाई बहनों से मेल खा सकते हैं.
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अगर भाई बहनों से बोन मेरो नहीं मिल पाता, तब मरीज के माता-पिता या अन्य लोगों से मैचिंग करवाई जाती है. ग्रुप कम मिलने पर भी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.
समय को बर्बाद किए बिना सही इलाज कराएं लोग
उन्होंने कहा ये पद्धति मरीजों के लिए बहुत बेहतरीन है, जिससे उनका इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है. डॉक्टर भी लोगों को इस पद्धति के बारे में बताएं ताकि मरीज का समय खराब ना हो. मरीज के लिए सही समय पर इलाज मिलना बेहद जरूरी होता है.
बड़े-बड़े अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं
बोन मेरो ट्रांसप्लांट के जरिए मरीजों का सही इलाज किया जा सकता है, जिससे उनकी जान बच सकती है. इसके लिए लोगों को बड़े बड़े अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं है. लोग अपने गांव की डिस्पेंसरी या अपने शहर के सरकारी अस्पताल में जाएं और वहां डॉक्टर से इस बारे में बात करें. जहां आपको इस इलाज के बारे में सही जानकारी दी जाएगी और ये इलाज मुहैया करवाया जाएगा.