चंडीगढ़: देश के लगभग हर नागरिक ने बोफोर्स तोप का नाम सुना होगा, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने इस तोप को देखा होगा. चंडीगढ़ में आयोजित किए जा रहे मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल में खासतौर पर बोफोर्स तोप को प्रदर्शित किया गया है. ताकि लोगों को इस तोप के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जा सके.
बोफोर्स तोप को स्वीडन से मंगाया गया- भारतीय जवान
जब हमने इस तोप को ऑपरेट करने वाले एक जवान से बात की तो जवान ने बताया कि इस तोप को स्वीडन से मंगाया गया था. इस तोप के बिना कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त करना बेहद मुश्किल हो सकता था, लेकिन इसकी बदौलत भारतीय सेना ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए.
42 किलोमीटर तक है बोफोर्स तोप की रेंज
जवान ने बताया कि इस तोप से छोड़े जाने वाले गोले की रेंज 30 किलोमीटर से लेकर 42 किलोमीटर तक है, यानी इस तोप के जरिए 42 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को भी ढेर किया जा सकता है. इस तोप के द्वारा दुश्मन के टैंकों और बंकरों को पूरी तरह से ध्वस्त किया जा सकता है.
बोफोर्स को चलाने में 8 जवान होते हैं तैनात
जवान ने हमें बताया कि इस तोप को चलाने के लिए 8 जवान तैनात किए जाते हैं. इस तोप को 360 डिग्री यानी हर एक दिशा में घुमाया जा सकता है. दुश्मन चाहे किसी भी दिशा में बैठा हो या किसी पहाड़ी के ऊपर बैठा हो, इस तोप के निशाने से नहीं बच सकता.
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बोफोर्स ने कारगिल युद्ध में उड़ाए थे दुश्मनों के छक्के
कारगिल युद्ध के वक्त भी दुश्मन भारतीय सेनाओं से दूर ऊंची चोटियों पर बैठा था. जिसे निशाना बनाने में भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलें पेश आ रही थी, लेकिन इस तोप की बदौलत भारतीय सैनिकों ने पहाड़ों की चोटी पर बैठे दुश्मन की चौकियों को उड़ा दिया और कारगिल युद्ध में शानदार विजय प्राप्त की.