चंडीगढ़: मेयर चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की घोषणा करते ही भाजपा में फिर से बगावत सामने आई. जब भाजपा पार्षद चंद्रावती शुक्ला ने बगावत करते हुए अपनी ही पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. भाजपा की ओर से मेयर पद के लिए रवि कांत शर्मा, सीनियर डिप्टी मेयर के पद के लिए महेश इंद्र सिद्धू और डिप्टी मेयर पद के लिए फर्मिला को उम्मीदवार बनाया है.
पार्टी नेताओं को पहले से ही इस तरह के बगावत का अंदाजा था. जिस वजह से उन्होंने नामांकन करने की आखिरी तारीख यानी 4 जनवरी को शाम 4 बजे ऐन मौके पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी, लेकिन घोषणा होते ही पार्टी में बगावत भी शुरू हो गई. इतना ही नहीं चंद्रवती शुक्ला के नामांकन पत्र दाखिल करवाते ही एक अन्य भाजपा पार्षद भरत कुमार ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. भरत कुमार ने चंडीगढ़ भाजपा एससी मोर्चा के महामंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया.
साल 2015 में भी सामने आई थी गुटबाजी
इससे पहले भी कई बार भाजपा की गुटबाजी सामने आ चुकी है साल 2015 में जब भाजपा की ओर से हीरा नेगी को महापौर के लिए उम्मीदवार बनाया गया था. तब वह जीत सकती थी, लेकिन भाजपा की गुटबाजी की वजह से वह हार गई और कांग्रेस की उम्मीदवार पूनम शर्मा मेहरबान गई. साल 2018 में जब देवेश मोदगिल को भाजपा ने मेयर पद का उम्मीदवार बनाया तब भाजपा की ही पूर्व मेयर आशा जसवाल उनके खिलाफ खड़ी हो गई थी. इसी तरह साल 2019 में जब भाजपा ने राजेश कालिया को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया था. भाजपा के पार्षद सतीश कैंथ ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा थाम सतीश कैंथ को 11 वोट हासिल हुए थे. जबकि राजेश कालिया 15 वोट हासिल कर पाए थे.
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कांग्रेस ने रखा समर्थन का प्रस्ताव
चंडीगढ़ कांग्रेस भाजपा की गुटबाजी को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. चंडीगढ़ कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि कांग्रेसी पार्षद भाजपा की बागी पार्षद चंद्रावती शुक्ला को अपना समर्थन देंगे. अगर ऐसा होता है तो यह बात भाजपा के लिए चिंता बढ़ाने वाली है. चुनाव जीतने के लिए 14 मतों की जरूरत होती है. भाजपा के पास इस समय कुल 20 वोट है जबकि एक वोट सांसद किरण खेर का है.
रविकांत शर्मा के लिए खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें
इसके अलावा कांग्रेस के पास कुल 5 वोट हैं एक वोट अकाली दल का है. अगर भाजपा के कुछ पार्षद क्रॉस वोटिंग करते हुए चंद्रावती शुक्ला को अपना वोट देते हैं तो भाजपा उम्मीदवार रविकांत शर्मा के लिए मेयर बनने की राह और मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि केंद्र में भाजपा अकाली दल गठबंधन टूटने की वजह से यह कहा जा सकता है कि चंडीगढ़ भाजपा का अकाली दल का एक वोट चंद्रावती शुक्ला के खाते में जा सकता है.