चंडीगढ़: रेवाड़ी जिले के कोसली से भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव (BJP MLA Laxman Yadav From Kosli) ने किसान नेताओं पर बड़ा आरोप लगाया है. दरअसल उन्होंने कहा कि अब यह साफ हो चुका है कि किसान आंदोलन का राजनीतिकरण हो चुका (Mla Laxman Yadav On Farmer Protest) है. किसान नेता आंदोलन के नाम पर राजनीतिक संभावनाएं तलाशने में लगे हैं. बता दें कि कृषि कानून के वापस लेने के बावजूद भी किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर तैयार नहीं है. जबकि सरकार ने भी उनकी सबसे बड़ी मांग को मान लिया है.इसके बावजूद अब किसान एमएसपी कानून समेत अन्य मांगों को लेकर अड़ गए हैं.
किसान आंदोलन के बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की बेहतरी के लिए कृषि कानून बनाए थे. हालांकि किसान नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. तब उनकी बात का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री ने कानून वापस ले लिया. कानून वापस होने के बाद भी किसान नेता आंदोलन खत्म नहीं करना चाहते. इससे यह साफ है कि अगर सरकार इनकी मांगे मानती जाएगी तो अपनी मांगे बढ़ाते जाएंगे लेकिन आंदोलन वापस नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि हरियाणा की सीमाओं पर आंदोलन चल रहा है. हरियाणा देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो किसानों को 14 फसलों पर एमएसपी दे रहा है. अन्य कोई भी राज्य इतनी फसलों पर एमएसपी नहीं दे रहा. खास तौर पर कांग्रेस शासित राज्यों में किसानों को फसलों का बेहद कम मूल्य दिया जा रहा है. जिन किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है वह भी हरियाणा की सीमाओं पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं.
लक्ष्मण यादव ने कहा कि किसान एक भावनात्मक शब्द है देश के हर नागरिक की भावनाएं किसानों से जुड़ी हैं. प्रजातंत्र में किसानों की संख्या सबसे ज्यादा होने के कारण इनका इस्तेमाल अब राजनीति के लिए किया जा रहा है. आंदोलन का पूरी तरह से राजनीतिक कारण हो चुका है. सरकार किसान नेताओं की कितनी भी मांगे मान ले, लेकिन 2024 के चुनाव से पहले किसान नेता आंदोलन खत्म नहीं करना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि एमएसपी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. क्योंकि अगर किसी सरकारों की बात की जाए तो भाजपा सरकार ने बिना एमएसपी कानून के कई गुना एमएसपी को बढ़ाया है.
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यादव ने कहा कि अब किसानों को पहले के मुकाबले फसलों का ज्यादा मूल्य दिया जा रहा है. इसके अलावा सरकार किसानों को बिजली खाद और कृषि उपकरणों पर भी सब्सिडी दे रही है. दूसरी ओर अगर एमएसपी कानून बनाया जाता है तो इससे छोटे किसानों को ज्यादा फायदा नहीं है. क्योंकि महंगाई बढ़ने से उन पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा. एमएसपी कानून का फायदा सिर्फ बड़े किसानों को है जिनकी संख्या मात्र 10% है. 90% तो छोटे किसान ही हैं.
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लक्ष्मण यादव ने कहा कि केंद्र सरकार राइट टू फूड के तहत गेहूं चावल की खरीद तो करती ही है लेकिन केंद्र सरकार हर किसान से हर फसल नहीं खरीद सकती. इसलिए दूसरी फसलों की जिम्मेदारी राज्यों को उठानी चाहिए. जिस तरह से हरियाणा किसानों को 14 फसलों पर एमएसपी दे रहा है अगर देश के बाकी राज्य भी इसी तरह कम से कम 14 फसलों पर किसानों को एमएसपी दें तो एमएसपी कानून की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इससे हर किसान को उसकी फसल का सही दाम मिलेगा लेकिन बाकी राज्य ऐसा नहीं कर रहे.
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