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कौन हैं बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंधोपाध्याय जिनसे नाराज हैं पीएम मोदी, दिल्ली तक मचा है बवाल - bengal chief secretary dispute

पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. केंद्र ने राज्य सरकार से कहा है कि शीर्ष नौकरशाह को तुरंत वहां से मुक्त किया जाए, लेकिन ममता बनर्जी ने अभी तक इसके लिए मंजूरी नहीं दी है. चलिए जानिए आखिर ये पूरा विवाद है क्या?

chief secretary alapan bandyopadhyay
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Published : May 31, 2021, 8:37 AM IST

Updated : May 31, 2021, 12:29 PM IST

कोलकाता/चंडीगढ़: केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार (west bengal government) के बीच तकरार जारी है. अब नया विवाद शुरू हुआ है पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (alapan bandyopadhyay) को लेकर. चलिए विवाद को जानने से पहले ये जान लीजिए कि अलपन बंद्योपाध्याय आखिर हैं कौन? अलपन का जन्म 17 मई, 1961 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई भी वहीं से पूरी की और 1987 के बैच के आईएएस अफसर बने. उन्होंने कोलकता नगर निगम कमिश्नर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अलपन ममता बनर्जी के काफी खास हैं.

अलपन को लेकर विवाद कब शुरू हुआ?

दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही ममता बनर्जी (mamata banarjee) और मोदी सरकार (narendra modi) के बीच रस्सकशी जारी है. अब नए घटनाक्रम को देखें तो मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुला लिया है. सूत्रों की मानें तो केंद्र ने शुक्रवार की रात अचानक बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगीं और राज्य सरकार से कहा कि शीर्ष नौकरशाह को तुरंत वहां से मुक्त किया जाए.

ममता का मोदी से अनुरोध

दूसरी तरफ इस पूरे मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (mamata banarjee) ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध करती हूं कि राजनीतिक प्रतिशोध खत्म करें, मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को बुलाने का आदेश वापस लें और उन्हें संक्रमण प्रभावितों के लिए काम करने की अनुमति दें.'

ये भी पढे़ं- Haryana Lockdown Update: हरियाणा में 7 जून तक बढ़ा लॉकडाउन, इन शर्तों के साथ खुलेंगे शॉपिंग मॉल

केंद्र के बुलाने पर भी दिल्ली नहीं जाएंगे अलपन

जी हां, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के सोमवार को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को रिपोर्ट करने की संभावना कम है. क्योंकि राज्य सरकार से अभी उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. ये जानकारी एक उच्च पदस्थ सूत्र ने दी. सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले ही उनके अचानक स्थानांतरण से बड़ा विवाद पैदा हो गया है.

31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं

बंद्योपाध्याय 60 वर्ष की उम्र पूरा को करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. बहरहाल, कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था. वहीं, भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा, राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली को रेखांकित कर विनम्रता से जवाब दे सकती है.

हालांकि, सरकार और कई अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों का आकलन है कि बंद्योपाध्याय सेवा विस्तार स्वीकार करने के बजाय सेवानिवृत होने का विकल्प चुन सकते हैं, वैसे भी समान्य तौर पर वह 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. वह राज्य सरकार के सलाहकार नियुक्त हो सकते है.

क्या हैं नियम

  • अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रति नियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है.
  • भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत, कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है.
  • उन्होंने कहा कि इस बात पर संशय की स्थिति है कि क्या केंद्र सरकार का आदेश उस स्थिति में भी प्रभावी होगा जब पश्चिम बंगाल सरकार से सहमति नहीं ली गई है, हालांकि, केंद्र-राज्य संबंधों में हित टकराने होने पर केंद्र की प्रधानता का ही नियम है.
  • कई सेवानिवृत्त और सेवारत नौकरशाहों ने इस स्थिति को अभूतपूर्व करार दिया है.

ये भी पढे़ं- हरियाणा: बाबा रामदेव से नाराज उनके गांव वाले, बोले- आज तक नहीं कराया कोई विकास का काम

कोलकाता/चंडीगढ़: केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार (west bengal government) के बीच तकरार जारी है. अब नया विवाद शुरू हुआ है पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (alapan bandyopadhyay) को लेकर. चलिए विवाद को जानने से पहले ये जान लीजिए कि अलपन बंद्योपाध्याय आखिर हैं कौन? अलपन का जन्म 17 मई, 1961 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई भी वहीं से पूरी की और 1987 के बैच के आईएएस अफसर बने. उन्होंने कोलकता नगर निगम कमिश्नर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अलपन ममता बनर्जी के काफी खास हैं.

अलपन को लेकर विवाद कब शुरू हुआ?

दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही ममता बनर्जी (mamata banarjee) और मोदी सरकार (narendra modi) के बीच रस्सकशी जारी है. अब नए घटनाक्रम को देखें तो मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुला लिया है. सूत्रों की मानें तो केंद्र ने शुक्रवार की रात अचानक बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगीं और राज्य सरकार से कहा कि शीर्ष नौकरशाह को तुरंत वहां से मुक्त किया जाए.

ममता का मोदी से अनुरोध

दूसरी तरफ इस पूरे मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (mamata banarjee) ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध करती हूं कि राजनीतिक प्रतिशोध खत्म करें, मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को बुलाने का आदेश वापस लें और उन्हें संक्रमण प्रभावितों के लिए काम करने की अनुमति दें.'

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केंद्र के बुलाने पर भी दिल्ली नहीं जाएंगे अलपन

जी हां, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के सोमवार को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को रिपोर्ट करने की संभावना कम है. क्योंकि राज्य सरकार से अभी उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. ये जानकारी एक उच्च पदस्थ सूत्र ने दी. सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले ही उनके अचानक स्थानांतरण से बड़ा विवाद पैदा हो गया है.

31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं

बंद्योपाध्याय 60 वर्ष की उम्र पूरा को करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. बहरहाल, कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था. वहीं, भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा, राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली को रेखांकित कर विनम्रता से जवाब दे सकती है.

हालांकि, सरकार और कई अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों का आकलन है कि बंद्योपाध्याय सेवा विस्तार स्वीकार करने के बजाय सेवानिवृत होने का विकल्प चुन सकते हैं, वैसे भी समान्य तौर पर वह 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. वह राज्य सरकार के सलाहकार नियुक्त हो सकते है.

क्या हैं नियम

  • अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रति नियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है.
  • भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत, कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है.
  • उन्होंने कहा कि इस बात पर संशय की स्थिति है कि क्या केंद्र सरकार का आदेश उस स्थिति में भी प्रभावी होगा जब पश्चिम बंगाल सरकार से सहमति नहीं ली गई है, हालांकि, केंद्र-राज्य संबंधों में हित टकराने होने पर केंद्र की प्रधानता का ही नियम है.
  • कई सेवानिवृत्त और सेवारत नौकरशाहों ने इस स्थिति को अभूतपूर्व करार दिया है.

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Last Updated : May 31, 2021, 12:29 PM IST
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