ETV Bharat / state

TMC के सहारे हरियाणा की राजनीतिक फिजा बदलेंगे अशोक तंवर, जानिए पूरी कहानी

कांग्रेस की हरियाणा इकाई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राहुल गांधी के करीबी रहे अशोक तंवर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो (Ashok Tanwar joins TMC) चुके हैं. पूर्व सांसद अशोक तंवर ने आज नई दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया. चलिए जानते हैं कि कौन हैं अशोक तंवर (ashok tanwar political career) और हरियाणा की राजनीति उनकी क्या पहचान है.

Ashok Tanwar joins TMC
Ashok Tanwar joins TMC
author img

By

Published : Nov 23, 2021, 6:07 PM IST

नई दिल्ली/चंडीगढ़: कांग्रेस पार्टी की हरियाणा इकाई के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar joins TMC) तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए. अशोक तंवर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे, लेकिन दो साल पहले उन्होंने कांग्रेस से पहले प्रदेशाध्यक्ष का पद और बाद में प्राथमिक सदस्यता छोड़ने के बाद वो राजनीति में सक्रिय रूप में नहीं थे. हालांकि अशोक तंवर ने 'अपना भारत मोर्चा' के नाम से संगठन लॉन्च किया, लेकिन इस बैनर तले कोई बड़ा अभियान नहीं शुरू किया.

कांग्रेस से इस्तीफे के बाद विपक्षी पार्टियों ने उनकी क्षेत्र में पकड़ होने का जमकर फायदा उठाया. इसकी शुरुआत विधानसभा चुनाव 2019 में ही हो गई थी. चुनाव के घमासान में अशोक तंवर ने 24 घंटे में तीन पार्टियों को समर्थन देकर सबको चौंका दिया था. अशोक तंवर ने 16 अक्तूबर, 2019 की सुबह जेजेपी को समर्थन दिया. 16 अक्तूबर की ही शाम को उन्होंने इनेलो को समर्थन दिया और 17 अक्तूबर की सुबह उन्होंने हलोपा को भी समर्थन दिया.

Ashok Tanwar joins TMC
इनेलो नेता अभय चौटाला के साथ अशोक तंवर

ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय के सारथी बने तंवर: किसानों के समर्थन में ऐलनाबाद से इस्तीफा दे चुके इनेलो नेता अभय चौटाला, ऐलनाबाद उपचुनाव में दोबारा खड़े हुए. अक्टूबर, 2021 में हुए ऐलनाबाद उपचुनाव (Ellanabad Bypoll) में अशोक तंवर ने अभय चौटाला का समर्थन किया. अशोक तंवर ने चुनाव के दौरान अभय चौटाला के लिए काफी मेहनत भी की. इस चुनाव में अभय सिंह चौटाला ने बीजेपी प्रत्याशी को हराकर ऐलनाबाद चुनाव में दोबारा जीत हासिल की. इससे साबित होता है कि तंवर का उनके इलाके में प्रभाव काफी अच्छा है.

तंवर का राजनीतिक करियर: अशोक तंवर सिरसा से सांसद भी रह चुके है. सिरसा लोकसभा सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बने थे. 2009 में तंवर ने अपने निकटतम इनेलो के प्रतिद्वंदी डॉ. सीता राम को 35 हजार 499 वोटों से हराया था. 2014 में वो इनेलो के उमीदवार चरणजीत सिंह रोड़ी से चुनाव हार गए. इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. साल 2019 में अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट के लिए मैदान में खड़े हुए, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

Ashok Tanwar joins TMC
हरियाणा के नेताओं के साथ अशोक तंवर

कितने दिनों तक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहे तंवर: 2014 में हुए विधानसभा चुनाव अशोक तंवर की अगुवाई में हुए थे. जिसमें कांग्रेस हरियाणा में तीसरे नंबर की पार्टी रही. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ही हुड्डा गुट तंवर को हटाने में जुट गया था. वहीं उसके बाद नगर निगम चुनाव हो या फिर जींद उपचुनाव इनमें भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का एक भी सांसद जीत दर्ज नहीं कर पाया. खुद अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दिपेंद्र हुड्डा सभी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

ये पढ़ें- तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे अशोक तंवर, कीर्ति आजाद और पवन वर्मा

अशोक तंवर की अध्यक्षता में पिछड़ रही पार्टी का ही कारण बताकर लगातार हुड्डा खेमे के विधायक कांग्रेस हाई कमान से अध्यक्ष बदलने की मांग कर रहे थे. तंवर के नेतृत्व में पार्टी शिकस्त का सामना करती रही वहीं उनके कार्यकाल में पार्टी में कई धड़े बनकर उभरे. जिनको वो एक साथ लाने में नाकाम रहे और हुड्डा गुट ने तो लगातार पांच सालों में उनको अपना अध्यक्ष स्वीकार नहीं किया.

दिल्ली में बवाल काटने के बाद दिया था इस्तीफा: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले 3 अक्तूबर, साल 2019 को अपनी पहली लिस्ट जारी की थी. उससे दो दिन पहले से ही अशोक तंवर के समर्थक सोनिया गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बाद 2 अक्तूबर को अशोक तंवर ने सोनिया गांधी के घर के बाहर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए सोहना विधानसभा सीट की टिकट 5 करोड़ में बेचने का गंभीर आरोप लगाया. 3 अक्तूबर को जब कांग्रेस की पहली लिस्ट आई तो अशोक तंवर ने कांग्रेस की तमाम समितियों और कमेटियों से इस्तीफा (why ashok tanwar resign congress) दे दिया. इसके बाद आज उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी.

अशोक तंवर क्यों हुए थे कांग्रेस से नाराज?

दरअसल 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही नहीं अशोक तंवर को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी कभी बनी नहीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा ने चुनाव से पहले अशोक तंवर के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस पर दबाव बनाकर अशोक तंवर की छुट्टी करा दी.

ये भी पढ़ें- व्यापम घोटाले से भी बड़ा हरियाणा भर्ती घोटाला, युवाओं से माफी मांगे मुख्यमंत्री- रणदीप सुरजेवाला

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

नई दिल्ली/चंडीगढ़: कांग्रेस पार्टी की हरियाणा इकाई के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar joins TMC) तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए. अशोक तंवर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे, लेकिन दो साल पहले उन्होंने कांग्रेस से पहले प्रदेशाध्यक्ष का पद और बाद में प्राथमिक सदस्यता छोड़ने के बाद वो राजनीति में सक्रिय रूप में नहीं थे. हालांकि अशोक तंवर ने 'अपना भारत मोर्चा' के नाम से संगठन लॉन्च किया, लेकिन इस बैनर तले कोई बड़ा अभियान नहीं शुरू किया.

कांग्रेस से इस्तीफे के बाद विपक्षी पार्टियों ने उनकी क्षेत्र में पकड़ होने का जमकर फायदा उठाया. इसकी शुरुआत विधानसभा चुनाव 2019 में ही हो गई थी. चुनाव के घमासान में अशोक तंवर ने 24 घंटे में तीन पार्टियों को समर्थन देकर सबको चौंका दिया था. अशोक तंवर ने 16 अक्तूबर, 2019 की सुबह जेजेपी को समर्थन दिया. 16 अक्तूबर की ही शाम को उन्होंने इनेलो को समर्थन दिया और 17 अक्तूबर की सुबह उन्होंने हलोपा को भी समर्थन दिया.

Ashok Tanwar joins TMC
इनेलो नेता अभय चौटाला के साथ अशोक तंवर

ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय के सारथी बने तंवर: किसानों के समर्थन में ऐलनाबाद से इस्तीफा दे चुके इनेलो नेता अभय चौटाला, ऐलनाबाद उपचुनाव में दोबारा खड़े हुए. अक्टूबर, 2021 में हुए ऐलनाबाद उपचुनाव (Ellanabad Bypoll) में अशोक तंवर ने अभय चौटाला का समर्थन किया. अशोक तंवर ने चुनाव के दौरान अभय चौटाला के लिए काफी मेहनत भी की. इस चुनाव में अभय सिंह चौटाला ने बीजेपी प्रत्याशी को हराकर ऐलनाबाद चुनाव में दोबारा जीत हासिल की. इससे साबित होता है कि तंवर का उनके इलाके में प्रभाव काफी अच्छा है.

तंवर का राजनीतिक करियर: अशोक तंवर सिरसा से सांसद भी रह चुके है. सिरसा लोकसभा सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बने थे. 2009 में तंवर ने अपने निकटतम इनेलो के प्रतिद्वंदी डॉ. सीता राम को 35 हजार 499 वोटों से हराया था. 2014 में वो इनेलो के उमीदवार चरणजीत सिंह रोड़ी से चुनाव हार गए. इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. साल 2019 में अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट के लिए मैदान में खड़े हुए, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

Ashok Tanwar joins TMC
हरियाणा के नेताओं के साथ अशोक तंवर

कितने दिनों तक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहे तंवर: 2014 में हुए विधानसभा चुनाव अशोक तंवर की अगुवाई में हुए थे. जिसमें कांग्रेस हरियाणा में तीसरे नंबर की पार्टी रही. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ही हुड्डा गुट तंवर को हटाने में जुट गया था. वहीं उसके बाद नगर निगम चुनाव हो या फिर जींद उपचुनाव इनमें भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का एक भी सांसद जीत दर्ज नहीं कर पाया. खुद अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दिपेंद्र हुड्डा सभी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

ये पढ़ें- तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे अशोक तंवर, कीर्ति आजाद और पवन वर्मा

अशोक तंवर की अध्यक्षता में पिछड़ रही पार्टी का ही कारण बताकर लगातार हुड्डा खेमे के विधायक कांग्रेस हाई कमान से अध्यक्ष बदलने की मांग कर रहे थे. तंवर के नेतृत्व में पार्टी शिकस्त का सामना करती रही वहीं उनके कार्यकाल में पार्टी में कई धड़े बनकर उभरे. जिनको वो एक साथ लाने में नाकाम रहे और हुड्डा गुट ने तो लगातार पांच सालों में उनको अपना अध्यक्ष स्वीकार नहीं किया.

दिल्ली में बवाल काटने के बाद दिया था इस्तीफा: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले 3 अक्तूबर, साल 2019 को अपनी पहली लिस्ट जारी की थी. उससे दो दिन पहले से ही अशोक तंवर के समर्थक सोनिया गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बाद 2 अक्तूबर को अशोक तंवर ने सोनिया गांधी के घर के बाहर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए सोहना विधानसभा सीट की टिकट 5 करोड़ में बेचने का गंभीर आरोप लगाया. 3 अक्तूबर को जब कांग्रेस की पहली लिस्ट आई तो अशोक तंवर ने कांग्रेस की तमाम समितियों और कमेटियों से इस्तीफा (why ashok tanwar resign congress) दे दिया. इसके बाद आज उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी.

अशोक तंवर क्यों हुए थे कांग्रेस से नाराज?

दरअसल 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही नहीं अशोक तंवर को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी कभी बनी नहीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा ने चुनाव से पहले अशोक तंवर के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस पर दबाव बनाकर अशोक तंवर की छुट्टी करा दी.

ये भी पढ़ें- व्यापम घोटाले से भी बड़ा हरियाणा भर्ती घोटाला, युवाओं से माफी मांगे मुख्यमंत्री- रणदीप सुरजेवाला

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.