चंडीगढ़: हरियाणा में 2024 में लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव होने है. हरियाणा में अपनी जीत को पक्का करने के लिए सभी दल जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करने में जुट गए. इस सियासी रण को जीतने के लिए सभी दलों के नेता लगातार जहां जनता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने में जुट गए हैं. वहीं, अपने संगठन को भी सभी दल मजबूत करने में लगे हुए हैं. लेकिन, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, प्रदेश में करीब एक दशक से अपने संगठन को जमीन पर नहीं उतर पाई है.
आम आदमी पार्टी ने खड़ा किया प्रदेश में अपना संगठन: करीब दो दशक पहले देश की राजनीति में आए आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में अपने संगठन की घोषणा 25 मई को की. 28 मई को करनाल में आम आदमी पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक भी हुई. जिसमें राज्यसभा सांसद एवं आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा भी मीटिंग में पहुंचे.
29 मई को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के साथ हरियाणा आप पदाधिकारियों की बैठक: वहीं, 29 मई को आम आदमी पार्टी हरियाणा पदाधिकारियों की दिल्ली में राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक हुई. इस बैठक में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश कार्यकारिणी का 8 जून को हरियाणा में आने का न्योता स्वीकार किया. इस दिन जींद में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान जींद में विशाल तिरंगा यात्रा निकलेंगे. इससे पहले 1 जून को हरियाणा के नवनियुक्त पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण भी होगा. यानी आम आदमी पार्टी हरियाणा में खुद की जमीन को मजबूत करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है.
पन्ना प्रमुख तक पहुंच कर बीजेपी दे रही संगठन को मजबूती: हरियाणा में बीजेपी दूसरी बार यानी 2019 में जेजेपी के सहयोग से सरकार बनाने में कामयाब हुई. वहीं, पार्टी का संगठन भी लगातार 2014 के बाद से प्रदेश में बढ़ता रहा है. पार्टी राज्य स्तर से जिला स्तर और जिला स्तर से ब्लॉक स्तर और पन्ना प्रमुख तक पहुंच गई है. पार्टी के मुताबिक प्रदेश में बीजेपी के करीब 5 लाख पन्ना प्रमुख बन चुके हैं. पार्टी के नेता भी बीजेपी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को उसकी ताकत मानते हैं. हर 60 मतदाताओं पर बीजेपी का एक पन्ना प्रमुख तैयार हो गया है. यहीं बीजेपी की चुनावी जीत की असली ताकत भी माने जाते हैं. इन्हीं पार्टी के कार्यकर्ताओं की बदौलत बीजेपी 2024 में हरियाणा में तीसरी बार कमल खिलाने की बात कर रही है.
क्षेत्रीय दल जेजेपी और इनेलो भी संगठन को दे रहे मजबूती: जहां तक बात हरियाणा के क्षेत्रीय दल जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल की है तो यह दोनों दल भी लगाता जमीनी स्तर पर अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. दोनों दलों के नेता लगातार संगठन की बैठकों को लेकर सक्रिय दिखाई देते हैं. जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हों या प्रदेश अध्यक्ष या फिर खुद उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला या फिर पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ये सभी नेता लगातार संगठन की बैठकें कर पार्टी की गतिविधियों को चुनावी मोड में ले जाने का काम कर रहे हैं. यानी 2024 के लिए दोनों दल भी पूरी तरह जमीनी स्तर पर सक्रिय है.
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, हरियाणा में एक दशक से नहीं संगठन: बात देश की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस की की जाए तो करीब एक दशक से पार्टी का प्रदेश में संगठन खड़ा नहीं हो पाया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह प्रदेश के नेताओं की आपसी गुटबाजी है. किसी भी सियासी जंग को जीतने के लिए पार्टी के संगठन का अहम रोल होता है. ऐस नहीं है कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा में कमजोर दिखाई देती है. नेताओं की गुटबाजी की वजह से 2014 के बाद से प्रदेश में पार्टी अपना संगठन खड़ा नहीं कर पाई है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा जन नेता के तौर पर हरियाणा में जाने जाते हैं. पार्टी के ज्यादातर विधायक भी के साथ चलते दिखाई देते हैं.
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बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी प्रदेश में अपने संगठन को एक दशक के करीब से नहीं बना पाई है. पार्टी की गुटबाजी की वजह से प्रदेश में कांग्रेस का संगठन नहीं बन पाया है, हालांकि प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान पिछले दो-तीन महीनों से लगातार यह बात कह रही है कि जल्दी पार्टी के प्रदेश संगठन की घोषणा कर दी जाएगी. 2024 के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं लेकिन अभी तक संगठन की घोषणा नहीं हो पाई है. इसको लेकर बीते दिनों दिल्ली में हलचल दिखाई दी थी. जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्दी कांग्रेस प्रदेश संगठन की घोषणा कर सकती है. हालांकि इन सबके बीच 31 मई को चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक भी होनी है.
2024 का लक्ष्य, क्या बिना संगठन जीतना होगा कांग्रेस के लिए आसान?: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव जीतने के लिए नेता से ज्यादा पार्टी के संगठन की जरूरत होती. वे कहते हैं कि बीजेपी हो या फिर कोई अन्य दल, संगठन की मजबूती के दम पर ही पार्टी और नेता अपनी जीत को पक्का मानकर चलते हैं. उनका कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस पार्टी में खास तौर पर पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में पार्टी के सबसे मजबूत नेता हैं. लेकिन, कांग्रेस का प्रदेश में संगठन न बन पाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.
प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस को इसी कमजोरी की वजह से हार का सामना करना पड़ा था. 2019 के चुनावी नतीजों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत हरियाणा में नहीं मिला था. इन चुनाव में कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. वे कहते हैं कि अगर कांग्रेस पार्टी का संगठन मजबूत होता और जमीनी स्तर पर काम कर रहा होता तो शायद नतीजे कुछ और ही होते. वे कहते हैं कि चुनावी जीत के लिए किसी भी दल को संगठन की जरूरत होती है और इसी कड़ी में अभी तक कांग्रेस प्रदेश में कमजोर दिखाई देती है.
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