चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. वैसे तो पराली की समस्या पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य की है. लेकिन इस मामले में हरियाणा की स्थिति पंजाब से थोड़ी बेहतर है. पंजाब सरकार पराली के मामलों (stubble burning cases in punjab) के लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर है. ऐसा होना भी लाजमी है, क्योंकि जो आंकड़े पराली जलाने के पंजाब में आ रहे हैं. इसका सीधा असर हरियाणा और एनसीआर के इलाकों पर पड़ रहा है. इस साल के अभी तक के आंकड़ों की बात की जाए तो पंजाब में पराली जलाने के मामले हरियाणा से करीब 16 गुना ज्यादा हैं.
हरियाणा के मुकाबले पंजाब में पराली अत्यधिक जल रही है. रियल टाइम मॉनिटरिंग डाटा के मुताबिक पिछले 15 सितंबर से अभी तक यानी 7 नवंबर तक जो आंकड़े पराली जलाने इन दो राज्यों (पंजाब और हरियाणा) में सामने आए हैं. वो चौकाने वाले हैं. 7 नवंबर की बात करें तो पंजाब में 2487 मामले पराली जलाने के आए हैं. इसके मुकाबले हरियाणा में 37 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वही 7 नवंबर को उत्तर प्रदेश में 8, दिल्ली में 0, मध्य प्रदेश में 383 और राजस्थान में 80 मामले सामने आए.
15 सितंबर से लेकर 7 नवंबर तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि 15 सितंबर से लेकर 7 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने का आंकड़ा 32,486 हो चुका है. जबकि दूसरी तरफ इसी अवधि में हरियाणा में ये आंकड़ा सिर्फ 2613 है. जो हरियाणा के मुकाबले करीब 16 गुना ज्यादा है. इसी अवधि में अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश में अभी तक 963, दिल्ली में 9, मध्यप्रदेश में 3021 और राजस्थान में 694 मामले सामने आए हैं. पंजाब में सबसे अधिक पराली खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में जली है.
15 सितंबर से 7 अक्टूबर तक के रियल टाइम मॉनिटरिंग आंकड़ों के मुताबिक संगरूर जिले में पंजाब के कुल पराली के मामलों में से 5025 हैं. पटियाला में 3091, तरनतारन 2973, फिरोजपुर में 2788, बठिंडा में 2415, बरनाला में 1849, मानसा में 1641, लुधियाना 1501, मोंगा 1460, अमृतसर 1452, मुक्तसर 1385, फरीदकोट में 1193, कपुरथाला में 1184, जालंधर 1116, फतेहगढ़ साहिब में 1035, गुरदासपुर में 825, होशियारपुर में 237, रोपड़ में 220, एसबीएस नगर में 198 और सबसे कम मोहाली जिले में 99 केस पराली जलाने के सामने आये हैं.
अगर हम हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों को ही देखें तो राज्य में साल 2020 में खरीफ की कटाई के मौसम में 9898 पराली जलाने के मामले आए थे, जबकि साल 2021 में ये आंकड़ा 6987 था. जबकि इस साल अभी तक ये आंकड़ा 2613 है. हालांकि अभी अंतिम आंकड़े के लिए इंतजार करना पड़ेगा. जिसके बाद पिछले सालों के मुकाबले हरियाणा की स्थिति और बेहतर तरीके से साफ हो पाएगी. इसके मुकाबले में पंजाब की बात करते हैं तो खरीफ की फसल के दौरान साल 2020 में पंजाब में 76500 से अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए थे. वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा 71000 से अधिक था.
अभी तक ये आंकड़ा इस साल 32, 486 पहुंच गया है. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर पंजाब सरकार लगातार कह रही है कि बीते सालों के मुकाबले पंजाब में इस बार पराली कम जली है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हरियाणा के मुकाबले अभी भी पंजाब में ज्यादा पराली जलाई जा रही है. वहीं अब पराली का सीधा असर वायु प्रदूषण पर पड़ता दिख रहा है. पंजाब में इस वक्त सबसे ज्यादा एक्यूआई का स्तर लुधियाना में है जो 188 के पास है, वहीं मोहाली में एक्यूआई 182, बठिंडा में 171 और पटियाला में 165 है जोकि बीमार की श्रेणी में आता है.
चंडीगढ़ में भी एक्यूआई का स्तर बहुत ही अस्वस्थ की श्रेणी में हैं, यहां एक्यूआई का स्तर 250 के करीब बना हुआ है. वहीं एक्यूआई का स्तर हरियाणा के सोनीपत और भिवानी में 300 के पार है. सोनीपत में यह स्तर 349 और भिवानी में 302 है. जोकि खतरनाक की स्थिति में बना हुआ है. नारनौल में 292, जींद 257, फरीदाबाद 231, बहादुरगढ़ 227, गुरुग्राम 222 और चरखी दादरी 221 जोकि बहुत ही अस्वस्थ होता है. हरियाणा के जिन जिलों में एक्यूआई का स्तर अधिक है उनमें से ज्यादातर शहर एनसीआर के दायरे में आते हैं.