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सीएम मनोहर लाल पर बरसे अभय चौटाला, 'शिक्षा व्यवस्था पर सीएम ने आम लोगों को बनाया बेवकूफ'

शनिवार को इनेलो नेता अभय चौटाला खट्टर सरकार पर हावी नजर आए. हरियाणा में मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को लेकर अभय चौटाला ने खट्टर सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने यहां तक कह दिया कि खट्टर सरकार आमजन को बेवकूफ बनाने का प्रयास कर रही है.

मनोहर लाल पर बरसे अभय चौटाला
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Published : Nov 23, 2019, 4:45 PM IST

चंडीगढ़: इनेलो नेता अभय चौटाला ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उन दावों की कड़ी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्कूलों में अब बेटियां बिना किसी परेशानी के आ-जा सकती हैं.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस बात का भी श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले पांच सालों में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में सुधार हुआ है और स्कूलों में बेटियां टैबलेट और डिजिटल एजुकेशन का प्रयोग कर रही हैं.

'प्राइमरी में 20 हजार, तो हाई स्कूल में 15 पद हैं खाली'
इनेलो नेता ने कहा है कि वास्तविकता तो ये है कि प्राइमरी सरकारी स्कूलों में लगभग 20 हजार पद अध्यापकों के और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में लगभग 15 हजार पद खाली पड़े हैं. इसी तरह से हाई स्कूलों में लगभग छह हजार पद खाली पड़े हैं और तीन हजार से अधिक स्कूल बिना मुख्य अध्यापकों के ही चल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सिरसा का बदहाल सरकारी स्कूल, अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे छात्र

'ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की हालत और खराब'
अभय चौटाला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में तो शिक्षा की हालत और भी खराब है, क्योंकि वहां आधे से ज्यादा स्कूलों में तो अध्यापक ही नहीं हैं. हरियाणा सरकार चुनाव या जनगणना जैसे कार्यों के लिए अध्यापकों की ड्यूटियां लगाती है जिससे बच्चों की बढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

'पिछले पांच साल में 300 सरकारी स्कूल हुए बंद'
इनेलो नेता ने कहा कि पिछले पांच सालों में लगभग 300 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं. जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. सरकार का ये दावा भी झूठ का पुलिंदा है कि स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनाए गए हैं जबकि असलियत में स्कूलों में जाकर देखा जाए तो बेटियों के लिए शौचालयों की कमी के कारण कई बार उनको बाहर जाना पड़ता है.

'खट्टर सरकार आमजन को बेवकूफ बना रही है'
इनेलो नेता ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा में सुधार के लिए कुल बजट में से नाममात्र ही खर्च किया जा रहा है और इसके बावजूद सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा देकर आमजन को बेवकूफ बनाने का कुप्रयास कर रही है.

चंडीगढ़: इनेलो नेता अभय चौटाला ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उन दावों की कड़ी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्कूलों में अब बेटियां बिना किसी परेशानी के आ-जा सकती हैं.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस बात का भी श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले पांच सालों में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में सुधार हुआ है और स्कूलों में बेटियां टैबलेट और डिजिटल एजुकेशन का प्रयोग कर रही हैं.

'प्राइमरी में 20 हजार, तो हाई स्कूल में 15 पद हैं खाली'
इनेलो नेता ने कहा है कि वास्तविकता तो ये है कि प्राइमरी सरकारी स्कूलों में लगभग 20 हजार पद अध्यापकों के और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में लगभग 15 हजार पद खाली पड़े हैं. इसी तरह से हाई स्कूलों में लगभग छह हजार पद खाली पड़े हैं और तीन हजार से अधिक स्कूल बिना मुख्य अध्यापकों के ही चल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सिरसा का बदहाल सरकारी स्कूल, अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे छात्र

'ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की हालत और खराब'
अभय चौटाला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में तो शिक्षा की हालत और भी खराब है, क्योंकि वहां आधे से ज्यादा स्कूलों में तो अध्यापक ही नहीं हैं. हरियाणा सरकार चुनाव या जनगणना जैसे कार्यों के लिए अध्यापकों की ड्यूटियां लगाती है जिससे बच्चों की बढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

'पिछले पांच साल में 300 सरकारी स्कूल हुए बंद'
इनेलो नेता ने कहा कि पिछले पांच सालों में लगभग 300 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं. जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. सरकार का ये दावा भी झूठ का पुलिंदा है कि स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनाए गए हैं जबकि असलियत में स्कूलों में जाकर देखा जाए तो बेटियों के लिए शौचालयों की कमी के कारण कई बार उनको बाहर जाना पड़ता है.

'खट्टर सरकार आमजन को बेवकूफ बना रही है'
इनेलो नेता ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा में सुधार के लिए कुल बजट में से नाममात्र ही खर्च किया जा रहा है और इसके बावजूद सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा देकर आमजन को बेवकूफ बनाने का कुप्रयास कर रही है.

Intro:चंडीगढ़, इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उन दावों की कड़ी भत्र्सना व आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्कूलों में अब बेटियां बिना किसी परेशानी के आ-जा सकती हैं और स्कूलों में केजी कक्षा से सीनियर सेकंडी कक्षा तक बेटियां पढऩे में दिलचस्पी दिखा रही हैं और स्कूलों में ड्रापाउट संख्या दिन-ब-दिन कम हो रही है। मुख्यमंत्री इस बात का भी श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले पांच वर्षों में स्कूली शिक्षा और उच्चतर शिक्षा में सुधार हुआ है और स्कूलों में बेटियां टैबलेट व डिजिटल एजुकेशन का प्रयोग कर रही हैं जिससे ऑनलाइन शिक्षा में सुधार हुआ है।
Body:इनेलो नेता ने कहा है कि दरअसल वास्तविकता यह है कि प्राइमरी सरकारी स्कूलों में लगभग 20 हजार पद अध्यापकों के और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में लगभग 15 हजार पद खाली पड़े हंै। इसी तरह से हाई स्कूलों में लगभग छह हजार पद खाली पड़े हैं और तीन हजार से अधिक स्कूल बिना मुख्य अध्यापकों के ही चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तो शिक्षा की हालत और भी बदत्तर है क्योंकि वहां आधे से ज्यादा स्कूलों में तो अध्यापक ही नहीं हैं। हरियाणा सरकार चुनाव या जनगणना आदि जैसे कार्यों के लिए अध्यापकों की ड्यूटियां लगाती है जिससे बच्चों की बढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
इनेलो नेता ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में लगभग 300 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं जिसकी वजह से ग्रामीण आंचल के बच्चों के लिए शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। सरकार का ये दावा भी झूठ का पुलिंदा है कि स्कूलों में लडक़े और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनाए गए हैं जबकि असलियत में स्कूलों में जाकर देखा जाए तो बेटियों के लिए शौचालयों की कमी के कारण कई बार उनको बाहर जाना पड़ता है जिसकी वजह से उनके साथ शोषण जैसी घटनाएं घटती हैं।
इनेलो नेता ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा में सुधार के लिए कुल बजट में से नाममात्र ही खर्च किया जा रहा है और इसके बावजूद सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देकर आमजन को बेवकूफ बनाने का कुप्रयास कर रही है। दरअसल, गठबंधन की सरकार का शिक्षा की तरफ कोई ध्यान ही नहीं है, वह तो अपने हितों के लिए पहली कलम से मंत्रियों के भत्तों में तो बढ़ौतरी कर सकती है परंतु बेटियों की बेहतर शिक्षा के लिए कोई प्रयास ही नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि गठबंधन की सरकार में आपसी हितों के लिए तो ये लोग पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं जबकि बेटियों की अच्छी पढ़ाई के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
Conclusion:
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