चंडीगढ़: हरियाणा में मलेरिया के मामलों में एक साल में 93 प्रतिशत की कमी आई है और पिछले दो सालों में चिकनगुनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने दी है.
राजीव अरोड़ा ने बताया कि विभाग ने कोविड-19 रोकथाम गतिविधियों के साथ-साथ मलेरिया, डेंगू जैसे वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया है. उन्होंने बताया कि मलेरिया के मामलों में भारी गिरावट आई है और 15 अक्टूबर तक कुल 104 मलेरिया मामलों की रिपोर्ट की गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान लगभग 3 प्रतिशत की कमी आई है.
जिलों में वेक्टर जनित रोगों की स्थिति का विवरण देते हुए उन्होंने बताया कि 6 जिले अंबाला, फतेहाबाद, जींद, कैथल, महेंद्रगढ़ और पंचकूला में देशज (इंडीजीनियस) मलेरिया के मामलों की शून्य रिपोर्ट आई है, जबकि 5 जिले भिवानी, हिसार, पानीपत, सोनीपत और यमुनानगर में केवल एक देशज (इंडीजीनियस) मलेरिया का मामला आया है.
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व्यवस्थाओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि नूंह पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि ये क्षेत्र उच्च मलेरिया वाले स्थानों में आता है. उन्होंने बताया कि 2015 के बाद नूंहसे लगभग 60 से 70 प्रतिशत मलेरिया के मामले सामने आए हैं, लेकिन एमपीएचडब्ल्यू (एम) की नियमित नियुक्तियों से नूंह में मलेरिया निगरानी मजबूत हुई.
डेंगू के मामलों में आई कमी
राज्य भर में डेंगू की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने बताया कि डेंगू की स्थिति भी नियंत्रण में है. उन्होंने बताया कि इस साल 15 अक्टूबर 2020 तक, पिछले साल की इसी अवधि के दौरान दर्ज 262 डेंगू मामलों की तुलना में कुल 238 डेंगू के मामले सामने आए हैं.