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चंडीगढ़: 'सिटी ब्यूटीफुल' से 'सिटी कंक्रीट' में तब्दील, सूखने की कगार पर 24 हजार पेड़ - chandigarh

सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में करीब 24 हजार पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं. इसका मुख्य कारण प्रशासन द्वारा पेड़ों के आसपास की जा रही कंक्रीट ब्लॉकिंग है.

चंडीगढ़ में सूखते पेड़
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Published : Jul 10, 2019, 10:35 PM IST

Updated : Jul 10, 2019, 11:17 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ अपनी खूबसूरती और हरियाली के लिए देश भर में जानी जाती है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि चंडीगढ़ में करीब 24 हजार पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि खुद चंडीगढ़ प्रशासन है. प्रशासन की लापरवाही से पेड़ पनप नहीं पा रहे हैं.

विशेषज्ञ से बात करती ईटीवी भारत की टीम

पेड़ों को नहीं मिल रहा हवा-पानी
इस पर ईटीवी भारत की टीम ने बागवानी विशेषज्ञ राहुल महाजन से बात की. राहुल महाजन का कहना है कि प्रशासन ने सड़कों के किनारे लगे इन पेड़ों के चारों ओर कंक्रीट के ब्लॉक लगवा दिए हैं, जिससे इन पेड़ों को पर्याप्त हवा और पानी नहीं मिल पा रहा है. पेड़ कमजोर होते जा रहे हैं. कुछ पेड़ पूरी तरह से सूख भी गए हैं.

प्रशासन ने नहीं की सुनावाई
साथ ही उन्होंने बताया कि इस पर प्रशासन से उन्होंने बात की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. पेड़ों के आस-पास पर्याप्त जगह भी नहीं छोड़ी है, जिससे पेड़ सूखने शुरू हो गए हैं.

चंडीगढ़ में हैं करीब 4 लाख पेड़
सर्वे के मुताबिक चंडीगढ़ नगर निगम के पास 1 लाख 61 हजार पेड़ हैं. इनमें से 21 हजार करीब पेड़ों की देखरेख की जिम्मेदारी चंडीगढ़ प्रशासन के पास है. इनमें यूनिवर्सिटी, स्कूल और कॉलेज के अंदर लगे पेड़ों की गिनती नहीं की गई है. अगर इन पेड़ों को भी गिन लिया जाए तो चंडीगढ़ में करीब 4 लाख पेड़ हैं. जिन पेड़ों की जिम्मेदारी नगर निगम और चंडीगढ़ प्रशासन के पास है उन्हीं पेड़ों को आज खतरा है.

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ अपनी खूबसूरती और हरियाली के लिए देश भर में जानी जाती है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि चंडीगढ़ में करीब 24 हजार पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि खुद चंडीगढ़ प्रशासन है. प्रशासन की लापरवाही से पेड़ पनप नहीं पा रहे हैं.

विशेषज्ञ से बात करती ईटीवी भारत की टीम

पेड़ों को नहीं मिल रहा हवा-पानी
इस पर ईटीवी भारत की टीम ने बागवानी विशेषज्ञ राहुल महाजन से बात की. राहुल महाजन का कहना है कि प्रशासन ने सड़कों के किनारे लगे इन पेड़ों के चारों ओर कंक्रीट के ब्लॉक लगवा दिए हैं, जिससे इन पेड़ों को पर्याप्त हवा और पानी नहीं मिल पा रहा है. पेड़ कमजोर होते जा रहे हैं. कुछ पेड़ पूरी तरह से सूख भी गए हैं.

प्रशासन ने नहीं की सुनावाई
साथ ही उन्होंने बताया कि इस पर प्रशासन से उन्होंने बात की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. पेड़ों के आस-पास पर्याप्त जगह भी नहीं छोड़ी है, जिससे पेड़ सूखने शुरू हो गए हैं.

चंडीगढ़ में हैं करीब 4 लाख पेड़
सर्वे के मुताबिक चंडीगढ़ नगर निगम के पास 1 लाख 61 हजार पेड़ हैं. इनमें से 21 हजार करीब पेड़ों की देखरेख की जिम्मेदारी चंडीगढ़ प्रशासन के पास है. इनमें यूनिवर्सिटी, स्कूल और कॉलेज के अंदर लगे पेड़ों की गिनती नहीं की गई है. अगर इन पेड़ों को भी गिन लिया जाए तो चंडीगढ़ में करीब 4 लाख पेड़ हैं. जिन पेड़ों की जिम्मेदारी नगर निगम और चंडीगढ़ प्रशासन के पास है उन्हीं पेड़ों को आज खतरा है.

Intro:हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ अपनी खूबसूरती और हरियाली के लिए देश भर में जाना जाता है लेकिन आप पूरी जानकार हैरानी होगी कि चंडीगढ़ में करीब 24000 पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि खुद चंडीगढ़ प्रशासन है ।प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह पेड़ पनप नहीं पा रहे हैं।


Body:हमने इस बारे में बागवानी विशेषज्ञ राहुल महाजन से बात की। राहुल महाजन ने बताया कि प्रशासन ने सड़कों के किनारे लगे इन पेड़ों के चारों ओर कंक्रीट के ब्लॉक लगवा दिए हैं। जिससे इन पेड़ों को पर्याप्त हवा और पानी नहीं मिल पा रहा है और यह पेड़ कमजोर होते जा रहे हैं। इनकी जड़ों तक पर्याप्त हवा और पानी नहीं पहुंच रहा है । कई पेड़ तो पूरी तरह सूख चुके हैं।

उन्होंने कहा कि जब प्रशासन इन ब्लॉक्स को लगवा रहा था। तब हमारी ओर से प्रशासन को चेतावनी दी गई थी कि पेड़ों के चारों ओर रखाली जगह छोड़े। लेकिन प्रशासन के अधिकारियों ने हमारी बात नहीं मानी और पेड़ों के आस पास पर्याप्त जगह नहीं छोड़ी ।जिससे अब यह पेड़ सूखने शुरू हो गए हैं।

उन्होंने कहा की एक सर्वे के मुताबिक चंडीगढ़ नगर निगम के पास 1 लाख 64 हज़ार पेड़ हैं जबकि 21000 पेड़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी चंडीगढ़ प्रशासन के पास है ।इसमें यूनिवर्सिटी स्कूल कॉलेज के अंदर लगे पेड़ों की गिनती नहीं की गई है ।अगर उन्हें भी मिलाया जाए तो गिनती चार लाख के पार पहुंचती है। वहीं लोगों ने भी घरों में काफी पेड़ लगाए हुए हैं। चंडीगढ़ में बाकी पेड़ तो सुरक्षित हैं मगर जिन पेड़ों की जिम्मेदारी नगर निगम और चंडीगढ़ प्रशासन की है उन्हीं पेड़ों पर आज खतरा सबसे ज्यादा मंडरा रहा है।

साथ ही उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में आंधी और तूफान के मौसम में आम तौर पर पेड़ों के गिरने की खबरें आती हैं ।यह वही पेड़ हैं जिन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा और वे पेड़ कमजोर हो कर थोड़ी सी तेज चली हवा में गिर जाते हैं इससे जानमाल का नुकसान भी होता है।

राहुल महाजन ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ को ग्रीन सिटी नहीं बल्कि कंपलीसिटी बना दिया है। पूरे शहर में कंक्रीट ही कंकरीट बिछा दिया है। आम तौर पर हम देखते हैं कि जरा सी बारिश की वजह से चंडीगढ़ में पानी भर जाता है ।इसका सबसे मुख्य कारण यही है कि चंडीगढ़ में पर्याप्त कच्ची जगह नहीं बची है प्रशासन ने हर जगह कंक्रीट के ब्लॉक लगा दिए हैं या सके बढ़ा दी हैं जिससे पानी जमीन में नहीं जा रहा बल्कि बहता हुआ नालों में जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर इन पेड़ों को बचाया नहीं गया तो चंडीगढ़ खूबसूरत शहर कहने के लायक नहीं रहेगा।



Conclusion:
Last Updated : Jul 10, 2019, 11:17 PM IST
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