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कोरोना काल में भी PGI में नहीं रुका अंगदान, अब तक 100 लोगों को मिला जीवनदान

कोरोना काल में भी चंडीगढ़ पीजीआई में अंगदान और प्रत्यारोपण किया जा रहा है. इस साल पीजीआई में अब तक 11 लोगों के और पिछले साल 8 लोगों के अंगदान किए जा चुके हैं. जिनसे 100 लोगों को नया जीवन मिल चुका है.

11 people organ donation chandigarh pgi
कोरोना काल में भी PGI में नहीं रुका अंगदान
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Published : Jul 23, 2021, 9:18 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 9:58 PM IST

चंडीगढ़: अंगदान (Organ Donation Chandigarh PGI) एक ऐसा दान है, जिससे मौत की कगार पर खड़े लाखों लोगों को जीवनदान दिया जा सकता है. जब कोई अपना इस दुनिया से जाता है तो ये दुख परिजनों के लिए सबसे बड़ा होता है, लेकिन अगर मरने वाले के अंगों को दान दिया जाए तो इससे कई लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है. ऐसा ही कुछ किया जा रहा है चंडीगढ़ पीजीआई में.

चंडीगढ़ पीजीआई में ब्रेन डेड हो चुके मरीजों के अंगों का दान ऐसे मरीजों तक पहुंचा रहा है जो जीने की उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन पीजीआई की पहल की वजह से आज वो फिर से खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. बता दें कि चंडीगढ़ पीजीआई देश का एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहां सबसे ज्यादा ऑर्गन डोनेशन (अंगदान) के केस किए जाते हैं. अंगदान और प्रत्यारोपण करने में दिल्ली का एम्स भी चंडीगढ़ पीजीआई से काफी पीछे है.

कोरोना काल में भी PGI में नहीं रुका अंगदान, अब तक 100 लोगों को मिला जीवनदान

ये भी पढ़िए: क्या बच्चों को कोरोना से बचा सकती है फ्लू वैक्सीन? एक्सपर्ट से जानें हर सवाल का जवाब

पीजीआई के इन प्रयासों को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से भी पीजीआई को करीब 4 बार सम्मानित किया जा चुका है. हर साल पीजीआई में करीब 40 मरीजों के अंग दान किए जाते थे, जिससे करीब 250 लोगों को नई जिंदगी दी जा रही थी लेकिन कोरोना शुरू होने के बाद इस तरह के केसों में काफी कमी आई है. साल 2020 में 8 लोगों के अंग दान किए गए, जबकि साल 2021 में अभी तक सिर्फ 11 लोगों के अंग दान किए गए हैं जिससे करीब 100 लोगों जीवनदान मिला है.

ये भी पढ़िए: अच्छी खबर: दुनिया से जाते-जाते चंडीगढ़ के अमित ने दी चार लोगों को जिंदगी

इस बारे में पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के एचओडी डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि आमतौर पर दो तरह के ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. एक में पीड़ित व्यक्ति का कोई रिश्तेदार अंगदान करता है. जैसे किडनी या लीवर का टुकड़ा. दूसरी तरह की अंगदान में मरने वाले व्यक्ति के शरीर से अंग निकाल कर दूसरे व्यक्तियों को दिए जाते हैं.

ये भी पढ़िए: रिसर्च: कोरोना से रिकवर लोगों में हो रहे ये बदलाव, अगर ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर से जरूर मिलें

उन्होंने बताया कि अंग उन्ही मरीजों से लिए जाते हैं, जो या तो ब्रेन डेड होते हैं या फिर वो मरीज जिनकी मौत किसी अन्य वजह से हुई होती है. अन्य वजहों से मरने वाले लोगों के अंगदान की संभावना बेहद कम होती है, क्योंकि ऐसे केसों में हमें आधे घंटे के अंदर ही व्यक्ति के शरीर के अंग निकालने होते हैं. अगर व्यक्ति की मौत घर पर हुई है तो ये संभव नहीं होता, लेकिन अगर अस्पताल में हुई है तब कई मामलों में हम उसके अंग दान कर सकते हैं.

ये भी पढ़िए: क्या इंसानों के लिए भी खतरनाक है जानवर में मिला नया कोरोना वैरिएंट? जानिए क्या कह रहे वैज्ञानिक

डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि पीजीआई में ब्रेन डेड मरीजों से अंगदान काफी संख्या में किए जाते हैं, क्योंकि ब्रेन डेड होने के बावजूद भी मरीज का दिल काम करता रहता है. जिस वजह से मरीज के सभी अंगों तक खून पहुंचता रहता है इसलिए ऐसे मरीजों का मिलान करना आसान होता है. ऐसे मरीजों के शरीर से दिल, गुर्दे, लीवर, आंखें, पैंक्रिया जैसे कई अंगों को निकाल कर दूसरे मरीजों को प्रत्यारोपित किए जाता है. इस तरह मरने वाले 1 मरीज के अंगदान से 5 -6 लोगों को नई जिंदगी दी जा सकती है.

चंडीगढ़: अंगदान (Organ Donation Chandigarh PGI) एक ऐसा दान है, जिससे मौत की कगार पर खड़े लाखों लोगों को जीवनदान दिया जा सकता है. जब कोई अपना इस दुनिया से जाता है तो ये दुख परिजनों के लिए सबसे बड़ा होता है, लेकिन अगर मरने वाले के अंगों को दान दिया जाए तो इससे कई लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है. ऐसा ही कुछ किया जा रहा है चंडीगढ़ पीजीआई में.

चंडीगढ़ पीजीआई में ब्रेन डेड हो चुके मरीजों के अंगों का दान ऐसे मरीजों तक पहुंचा रहा है जो जीने की उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन पीजीआई की पहल की वजह से आज वो फिर से खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. बता दें कि चंडीगढ़ पीजीआई देश का एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहां सबसे ज्यादा ऑर्गन डोनेशन (अंगदान) के केस किए जाते हैं. अंगदान और प्रत्यारोपण करने में दिल्ली का एम्स भी चंडीगढ़ पीजीआई से काफी पीछे है.

कोरोना काल में भी PGI में नहीं रुका अंगदान, अब तक 100 लोगों को मिला जीवनदान

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पीजीआई के इन प्रयासों को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से भी पीजीआई को करीब 4 बार सम्मानित किया जा चुका है. हर साल पीजीआई में करीब 40 मरीजों के अंग दान किए जाते थे, जिससे करीब 250 लोगों को नई जिंदगी दी जा रही थी लेकिन कोरोना शुरू होने के बाद इस तरह के केसों में काफी कमी आई है. साल 2020 में 8 लोगों के अंग दान किए गए, जबकि साल 2021 में अभी तक सिर्फ 11 लोगों के अंग दान किए गए हैं जिससे करीब 100 लोगों जीवनदान मिला है.

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इस बारे में पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के एचओडी डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि आमतौर पर दो तरह के ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. एक में पीड़ित व्यक्ति का कोई रिश्तेदार अंगदान करता है. जैसे किडनी या लीवर का टुकड़ा. दूसरी तरह की अंगदान में मरने वाले व्यक्ति के शरीर से अंग निकाल कर दूसरे व्यक्तियों को दिए जाते हैं.

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उन्होंने बताया कि अंग उन्ही मरीजों से लिए जाते हैं, जो या तो ब्रेन डेड होते हैं या फिर वो मरीज जिनकी मौत किसी अन्य वजह से हुई होती है. अन्य वजहों से मरने वाले लोगों के अंगदान की संभावना बेहद कम होती है, क्योंकि ऐसे केसों में हमें आधे घंटे के अंदर ही व्यक्ति के शरीर के अंग निकालने होते हैं. अगर व्यक्ति की मौत घर पर हुई है तो ये संभव नहीं होता, लेकिन अगर अस्पताल में हुई है तब कई मामलों में हम उसके अंग दान कर सकते हैं.

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डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि पीजीआई में ब्रेन डेड मरीजों से अंगदान काफी संख्या में किए जाते हैं, क्योंकि ब्रेन डेड होने के बावजूद भी मरीज का दिल काम करता रहता है. जिस वजह से मरीज के सभी अंगों तक खून पहुंचता रहता है इसलिए ऐसे मरीजों का मिलान करना आसान होता है. ऐसे मरीजों के शरीर से दिल, गुर्दे, लीवर, आंखें, पैंक्रिया जैसे कई अंगों को निकाल कर दूसरे मरीजों को प्रत्यारोपित किए जाता है. इस तरह मरने वाले 1 मरीज के अंगदान से 5 -6 लोगों को नई जिंदगी दी जा सकती है.

Last Updated : Jul 23, 2021, 9:58 PM IST
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