चंडीगढ़ः लोकसभा चुनाव खत्म हो चुका है. कांग्रेस बुरी तरह हार चुकी है. लेकिन कांग्रेस के लिए इस हार से उबरने से भी बड़ी एक और चुनौति है. दरअसल हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी इसकी तैयारी में जुटी है और हार से हताश कांग्रेस भी अब इस निराशा को छोड़कर विधानसभा चुनाव में जाने की कोशिश करेगी. लेकिन कांग्रेस की इस हार में विधानसभा चुनाव के लिए भी बड़ा संकेत है.
रोतहतक की हार में विधानसभा चुनाव के लिए संकेत
कांग्रेस को जितनी अपनी हार चुभ रही है उससे कहीं ज्यादा हुड्डा को अपना गढ़ गंवाने का मलाल होगा. जिस रोहतक के लिए अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरन हुड्डा न सिर्फ विरोधियों के निशाने पर रहे बल्कि अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेताओं ने कई बार उन पर विकास में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि रोहतक को ज्यादा तरजीह दी जाती है. लेकिन राजनीति का खेल देखिए हुड्डा ने अपनी सीट के साथ-साथ अब अपना किला भी गंवा दिया है.
रोहतक विधानसभा के साथ हुड्डा ने कलानौर भी हारा
इस लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा न सिर्फ रोहतक विधानसभा में हारे बल्कि उनके परिवार का गढ़ कहे जाने वाली कलानौर विधानसभा में भी वो अरविंद शर्मा से हार गये.
इन विधानसभाओं में दीपेंद्र को मिली जीत
विधानसभा | दीपेंद्र को मिले मत | अरविंद को मिले मत | जीत का अंतर |
1. गढ़ी सांपला किलोई | 92,606 | 46,881 | 45,725 |
2. महम | 68,826 | 54,721 | 14,105 |
3. बेरी | 68,991 | 42,998 | 25,993 |
4. बादली | 61,928 | 50,374 | 11,554 |
5. झज्जर | 57,395 | 52,746 | 4,649 |
इन विधानसभा में जीते अरविंद शर्मा
विधानसभा | अरविंद शर्मा को मिले वोट | दीपेंद्र हुड्डा को मिले वोट | जीत काअंतर |
1. कोसली | 1,17,825 | 42,825 | 74,980 |
2. रोहतक | 68,477 | 48,736 | 19,741 |
3. बहादुरगढ़ | 65,519 | 59,889 | 5,630 |
4. कलानौर | 66,701 | 62,390 | 4,311 |
हुड्डा को कलानौर और रोहतक ने किया हैरान
रोहतक को हुड्डा अपना गढ़ मानते हैं और कलानौर को अपना परिवार कहते हैं लेकिन इन दोनों विधानसभाओं पर बीजेपी ने बढ़त बनाई. कलानोर में तो 1991 के बाद कांग्रेस सिर्फ एक बार ही हारी है लेकिन इस बार कलानौर ने भी छोटे हुड्डा के पक्ष में वोट नहीं दिया.
विधानसभा चुनाव में बड़ी चुनौती
भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद को कांग्रेस का सीएम उम्मीदवार मानते हैं यही वजह है कि वो लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रखते थे. लेकिन कांग्रेस ने उन्हें सोनीपत से उतार दिया और वो हार गये. अब विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं हुड्डा के लिए अपने गढ़ में मिली हार सबसे ज्यादा चुभने वाली है. क्योंकि सोनीपत की हार को वो भले ही पचा जायें लेकिन रोहतक की हार विधानसभा चुनाव में भी उनके लिए परेशानी का सबब बनेगी. वक्त बहुत ज्यादा नहीं है इसलिए हुड्डा के जल्द अपने नाराज वोटरों को मनाना होगा. जो आसान नहीं दिखता है अगर विधानसभा में भी ऐसा ही रहा तो हुड्डा के लिए राहें और मुश्किल होने वाली हैं.