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रेवाड़ी: मनेठी में बनने वाले एम्स पर फिर अड़ंगा! पर्यावरण मंत्रालय ने दूसरी जगह ढूंढने को कहा

मनेठी में एम्स के लिए दी जाने वाली जमीन का ज्यादातर हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक वन क्षेत्र के किसी भी हिस्सा पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. ऐसे में पहले ही पर्यावरण मंत्रालय ने इस जमीन को नामंजूर कर दिया.

एम्स के लिए दी गई अरावली की जमीन (फाइल फोटो)
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Published : Jun 21, 2019, 10:51 AM IST

Updated : Jun 21, 2019, 6:21 PM IST

चंडीगढ़/रेवाड़ी: रेवाड़ी के मनेठी में बनने वाले एम्स के लिए जो जगह हरियाणा सरकार ने देने की बात कही थी. उसे पर्यावरण मंत्रालय ने नामंजूर कर दिया है. साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने एम्स के लिए दूसरी जगह तलाशने के लिए कहा है.

मनेठी में बनने वाले एम्स पर लगा अंड़गा, देंखे वीडियो.

खास बात ये है कि अरावली के आरक्षित वन क्षेत्र में होने के बावजूद मनेठी की जमीन राज्य सरकार के आश्वासन से ही एम्स के लिए हर स्तर पर पास होती चली गई. राज्य सरकार ने केंद्र को लिखित में आश्वासन दिया था कि जमीन संबंधी सभी अड़चनें दूर करने के बाद ही एम्स के लिए सुपुर्द की जाएगी. इसलिए केंद्र की टीम ने दूसरी जगह का विकल्प नहीं मांगा.

अब दूसरी जमीन तलाशेंगे रेवाड़ी डीसी

अब रेवाड़ी के डीसी ने इस जमीन का रिकॉर्ड तलब किया है. शुक्रवार को बैठक में मनेठी की जमीन का नक्शा देखा जाएगा, ताकि पहाड़ी एरिया को छोड़कर बाकी जगह का इस्तेमाल हो सके. वहीं, मनेठी एम्स संघर्ष समिति 23 जून की बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से मिलेगी.

पर्यावरण से छेड़छाड़ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

बता दें कि मनेठी में एम्स के लिए दी जाने वाली जमीन का ज्यादातर हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक वन क्षेत्र के किसी भी हिस्सा पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. ऐसे में पहले ही पर्यावरण मंत्रालय ने इस जमीन को नामंजूर कर दिया.

चंडीगढ़/रेवाड़ी: रेवाड़ी के मनेठी में बनने वाले एम्स के लिए जो जगह हरियाणा सरकार ने देने की बात कही थी. उसे पर्यावरण मंत्रालय ने नामंजूर कर दिया है. साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने एम्स के लिए दूसरी जगह तलाशने के लिए कहा है.

मनेठी में बनने वाले एम्स पर लगा अंड़गा, देंखे वीडियो.

खास बात ये है कि अरावली के आरक्षित वन क्षेत्र में होने के बावजूद मनेठी की जमीन राज्य सरकार के आश्वासन से ही एम्स के लिए हर स्तर पर पास होती चली गई. राज्य सरकार ने केंद्र को लिखित में आश्वासन दिया था कि जमीन संबंधी सभी अड़चनें दूर करने के बाद ही एम्स के लिए सुपुर्द की जाएगी. इसलिए केंद्र की टीम ने दूसरी जगह का विकल्प नहीं मांगा.

अब दूसरी जमीन तलाशेंगे रेवाड़ी डीसी

अब रेवाड़ी के डीसी ने इस जमीन का रिकॉर्ड तलब किया है. शुक्रवार को बैठक में मनेठी की जमीन का नक्शा देखा जाएगा, ताकि पहाड़ी एरिया को छोड़कर बाकी जगह का इस्तेमाल हो सके. वहीं, मनेठी एम्स संघर्ष समिति 23 जून की बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से मिलेगी.

पर्यावरण से छेड़छाड़ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

बता दें कि मनेठी में एम्स के लिए दी जाने वाली जमीन का ज्यादातर हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक वन क्षेत्र के किसी भी हिस्सा पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. ऐसे में पहले ही पर्यावरण मंत्रालय ने इस जमीन को नामंजूर कर दिया.

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रेवाड़ी। अरावली के आरक्षित वन क्षेत्र में होने के बावजूद मनेठी की जमीन राज्य सरकार के आश्वासन से ही एम्स के लिए हर स्तर पर पास होती चली गई। राज्य सरकार ने केंद्र को लिखित में आश्वासन दिया था कि जमीन संबंधी सभी अड़चनें दूर करने के बाद ही एम्स के लिए सुपुर्द की जाएगी। इसलिए केंद्र की टीम ने दूसरी जगह का विकल्प नहीं मांगा। 



रेवाड़ी डीसी ने फिर जमीन तलाशने के लिए किया रिकॉर्ड तलब




             

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    अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार कमेटी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो जमीन एम्स के लिए देखी गई है वह आरक्षित वन क्षेत्र में है। इसलिए एम्स के लिए दूसरी जमीन की तलाश की जाए। अब रेवाड़ी के डीसी ने इस जमीन का रिकॉर्ड तलब किया है। शुक्रवार को बैठक में मनेठी की जमीन का नक्शा देखा जाएगा, ताकि पहाड़ी एरिया को छोड़कर बाकी जगह का इस्तेमाल हो सके। वहीं, मनेठी एम्स संघर्ष समिति 23 जून की बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से मिलेगी।



             


             

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    सभी शर्तों पर लिखित आश्वासन दिया गया था: पीएमएसएसवाई निदेशक



             



             

    प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के डायरेक्टर संजय रॉय का कहना है कि हमने साइट विजिट के बाद हरियाणा के मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के नाम पत्र लिखकर सभी जरूरी शर्तों से अवगत करा दिया था। राज्य सरकार ने लिखित कमिटमेंट किया था कि जमीन बगैर किसी अड़चन के दी जाएगी। इसलिए कैबिनेट तक एम्स का प्रस्ताव लेकर गए।



             


             

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    अंतरिम बजट में शामिल हुआ प्रस्ताव, कैबिनेट की मंजूरी के बाद केंद्रीय टीम ने दौरा किया



             



             

                        
    • मनेठी के पूर्व सरपंच सुरेश यादव के अनुसार साल 2014 में पता लगा कि हर राज्य में एक एम्स खुलना है। राज्य में चुनाव की आचार संहिता से पहले ही 200 एकड़ जमीन का प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और विधायक को दे दिया गया।

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    • राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद 2015 में बावल रैली में सीएम मनोहर लाल की के सामने राव इंद्रजीत सिंह व विधायकों ने मांग पत्र सौंपा कि मनेठी में एम्स खुलवाया जाए, पंचायत 200 एकड़ जमीन देने को तैयार है।

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    • राज्य ने यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा तो जवाब मिला कि हरियाणा मे पहले से एम्स झज्जर के बाढसा में है। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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    • सितंबर 2018 में सीएम ने कहा कि मनेठी में एम्स की घोषणा अति उत्साह में हुई। 2 अक्टूबर 2018 को लोग धरने पर बैठ गए।, जो 127 दिन चला।

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    • राव इंद्रजीत सिंह केंद्रीय वित्त मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व पीएम मोदी से मिले। सीएम ने पैरवी की तो केंद्र ने अंतरिम बजट में मनेठी एम्स शामिल किया।

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    • इसके बाद केंद्रीय टीम ने मनेठी का दौरा किया। इस बीच न तो राज्य सरकार ने दूसरी जगह का विकल्प दिया और न ही केंद्रीय टीमों ने दूसरी जमीन का विकल्प मांगा।

                         

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    जमीनी अड़चनें दूर करने का प्रयास करेंगे, ऑब्जेक्शन लगा तो दूसरी जगह तलाशेंगे: डीसी



             



             

    रेवाड़ी के डीसी यशेंद्र सिंह ने कहा है कि इसी जमीन की अड़चनें दूर कर सरकार को रिपोर्ट देना प्राथमिकता है। फिर भी ऑब्जेक्शन लगा तो ही दूसरी साइट तलाशेंगे। उल्लेखनीय है कि सरकार ने अरावली व शिवालिक क्षेत्र में विकास के लिए जमीन प्रयोग करने के लिए कानून में बदलाव किया था, पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया था। राज्यपाल ने भी इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।


             


Conclusion:
Last Updated : Jun 21, 2019, 6:21 PM IST
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