भिवानी: शहीद भगत सिंह को भले ही शहीद कहा जाता है, लेकिन उन्हें आज भी शहीद का दर्जा प्राप्त नहीं है. इसी बात को लेकर उनके 113वें जन्म दिवस पर शहीदे आजम भगत सिंह सेवा ट्रस्ट द्वारा उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया और केक काट कर उनका जन्मदिवस मनाया गया. इस दौरान युवाओं ने उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की.
शहीद भगत सिंह को भिवानी के भगत सिंह चौक पर याद करते हुए ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने त्रिवेणी लगाकर उन्हें याद किया और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर युवाओं को चलने की प्रेरण दी गई। इस मौके पर युवा मोनू पंघाल ने बताया कि आज युवाओं को जाति-पाति व धार्मिक भेदभाव से उपर उठकर शहीद भगत सिंह द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए.
वहीं आशीष बेनीवाल ने कहा कि आज के युवा नशे की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. इसलिए उनकी युवाओं से अपील है कि वे शहीद भगत सिंह से प्रेरणा लें, जो की मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए थे. तो हमारा देश काफी तरक्की कर सकता है.
बता दें कि, शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को तत्कालीन पंजाब के लायलपुर (वर्तमान में पाकिस्तान) के गंगा गांव में सरदार किशन सिंह के घर हुआ था. सरदार भगत सिंह भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने चंद्रशेखर आजाद व अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करते हुए लाहौर में एक अंग्रेज अधिकारी साण्डर्स की गहत्या कर दी और दिल्ल के केंद्रीय संसद में बम विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह को बुलंद किया. जिसके चलते अंग्रेजों ने उन्हें राजगुरु और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया.
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