भिवानी: शहर में आज विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भारत की प्रथम महिला अध्यापिका सावित्री बाई फुले की जंयती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने केंद्र सरकार से एक स्वर में मांग की कि देश के प्राईवेट व सरकारी सभी स्कूलों में सावित्रीबाई फुले की मूर्ती लगाई जाए.
बता दें कि, सावित्री बाई फुले का जन्म तीन जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में हुआ था. सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था. उन्होंने अपना जीवन को एक मिशन की तरह से जीए. जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और सभी महिलाओं को शिक्षित बनाना. जिसमें वो कामयाब भी हुईं. सावित्रीबाई फुले एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवियत्री थीं. सावित्रीबाई को पुणे में भारत का लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित करने के लिए श्रेय दिया जाता है. उन्होंने 1848 में पुणे में देश का पहला स्कूल खोला.
इस मौके पर महात्मा ज्योतिबा फुले स्पोर्ट्स एकेडमी के प्रधान सुरेश सैनी ने कहा कि सावित्री बाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थी. जिसने भारत में पहला स्कूल खोला. स्त्रियों को शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया और अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 19वीं सदी में स्त्रियों के लिए अधिकारों, शिक्षा, सतीप्रथा, बालविवाह, छुआछूत एवं अन्य कुरीतियों का विरोध किया.
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उन्होंने कहा कि सावित्री बाई फुले से प्रेरणा लेकर ही भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर संविधान निर्माता बने. 1848 में पुणे में बालिकाओं के लिए भारत में पहला स्कूल खोला और लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा के अधिकार के साथ अन्य मुलभूत अधिकार दिलवाने की लड़ाई लड़ी.