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RTI खुलासे में स्वास्थ्य विभाग के खर्च का ब्योरा, नहीं हुए क्वारंटाइन मरीजों पर कोई खर्च - Bhiwani Health Department Corona expenses

भिवानी में कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य पर हुए खर्च पर आरटीआई दायर किया गया था, जिस पर चौंकाने वाला जवाब सामने आया है.

RTI revelations revealed details of health dept expenditure during pendamic in bhiwani
RTI revelations revealed details of health dept expenditure during pendamic in bhiwani
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Published : Aug 10, 2020, 5:01 PM IST

भिवानी: कोरोना वैश्विक महामारी में पूरा देश संक्रमण से जूझ रहा है, लेकिन भिवानी का स्वास्थ्य विभाग कोरोना की जंग में पॉजिटिव मरीजों पर इलाज के नाम पर कितना बजट खर्च कर रहा हैं, इसकी एक बानगी भी आरटीआई से मांगी जानकारी में उजागर हुई है.

कोरोना खर्च पर आरटीआई का खुलासा

बता दें कि स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय से मार्च से जून महीने तक स्वास्थ्य विभाग के समक्ष आए अलग-अलग बजट और कोरोना पॉजिटिव लोगों पर खर्च किए गए बजट की जानकारी मांगी थी. सिविल सजर्नन कार्यालय से मिला जवाब चौंकाने वाला मिला.

RTI खुलासे में स्वास्थ्य विभाग की खर्च का ब्योरा आया सामने, देखें वीडियो

ये था पूरा बजट

सीएमओ कार्यालय ने जानकारी में बताया कि उनके समक्ष इन चार महीनों में 56 लाख रुपये बजट आया, मगर कोरोना पॉजिटिव केस में क्वारंटाइन पर कोई भी बजट खर्च नहीं किया गया. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि उसने 23 जून को सिविल सर्जन कार्यालय में आरटीआई के तहत कोविड-19 के दौरान मार्च से जून माह तक कितना बजट आया था.

आरटीआई में मिला ये जवाब

जिसके जवाब में बताया गया कि हरियाणा सरकार की तरफ से दस लाख और केंद्र सरकार की तरफ से एनएचएम स्कीम में 20 लाख रुपये की ग्रांट आई थी. इसी तरह एमपी लैंड स्कीम में 26 लाख का बजट दिया गया, जबकि स्वयंसेवी संस्थाओं ने केवल दस हजार की ग्रांट स्वास्थ्य विभाग को दी. बृजपाल सिंह परमार ने स्वास्थ्य विभाग से ये भी जानकारी मांगी थी कि मार्च से जून माह तक जिला मुख्यालय व इससे संबंधित अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव केसों के इलाज पर कितना बजट खर्च किया.

सिविल सर्जन कार्यालय से जवाब आया कि क्वारंटाइन व्यक्ति पर बजट खर्च की कोई अनुमति नहीं प्राप्त है और क्वारंटाइन लोगों पर कोई बजट खर्च नहीं किया गया है. सिविल सर्जन कार्यालय ने ये भी जवाब दिया कि सीएमओ भिवानी द्वारा कोई भी धनराशि क्वारंटाइन व्यक्ति पर खर्च नहीं की गई है. बृजपाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने हरियाणा सरकार से मिले बजट में 10 लाख 16 हजार 62 रुपये खर्च दर्शाए हैं, जबकि सरकार ने दस लाख ही बजट दिया था.

इसी तरह एनएचएम के तहत मिले बजट में 10 लाख 43 हजार 66 रुपये का बजट खर्च दर्शाया है. एमपी लैंड स्कीम के बजट में 15 लाख 22 हजार 910 रुपये खर्च दर्शाए गए हैं. स्वयंसेवी संस्थाओं से मिले दस हजार के अनुदान में कोई पैसा नहीं खर्च किया है. मगर इस सब खर्च में क्वारंटाइन मरीज पर कोई पैसा खर्च नहीं दर्शाया गया है.

ये भी पढ़ें- रेवाड़ी: बाइक सवार तीन बदमाशों ने युवक को घर में घुसकर मारी गोली

अब तक भिवानी जिला में 800 से अधिक लोगों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आ चुकी हैं. इससे साफ जाहिर हैं कि इस बजट को केवल गाडिय़ों को इधर उधर दौड़ाने और फिर केवल कागजी खानापूर्ति के लिए बजट की बंदरबांट का अंदेशा है.

भिवानी: कोरोना वैश्विक महामारी में पूरा देश संक्रमण से जूझ रहा है, लेकिन भिवानी का स्वास्थ्य विभाग कोरोना की जंग में पॉजिटिव मरीजों पर इलाज के नाम पर कितना बजट खर्च कर रहा हैं, इसकी एक बानगी भी आरटीआई से मांगी जानकारी में उजागर हुई है.

कोरोना खर्च पर आरटीआई का खुलासा

बता दें कि स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय से मार्च से जून महीने तक स्वास्थ्य विभाग के समक्ष आए अलग-अलग बजट और कोरोना पॉजिटिव लोगों पर खर्च किए गए बजट की जानकारी मांगी थी. सिविल सजर्नन कार्यालय से मिला जवाब चौंकाने वाला मिला.

RTI खुलासे में स्वास्थ्य विभाग की खर्च का ब्योरा आया सामने, देखें वीडियो

ये था पूरा बजट

सीएमओ कार्यालय ने जानकारी में बताया कि उनके समक्ष इन चार महीनों में 56 लाख रुपये बजट आया, मगर कोरोना पॉजिटिव केस में क्वारंटाइन पर कोई भी बजट खर्च नहीं किया गया. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि उसने 23 जून को सिविल सर्जन कार्यालय में आरटीआई के तहत कोविड-19 के दौरान मार्च से जून माह तक कितना बजट आया था.

आरटीआई में मिला ये जवाब

जिसके जवाब में बताया गया कि हरियाणा सरकार की तरफ से दस लाख और केंद्र सरकार की तरफ से एनएचएम स्कीम में 20 लाख रुपये की ग्रांट आई थी. इसी तरह एमपी लैंड स्कीम में 26 लाख का बजट दिया गया, जबकि स्वयंसेवी संस्थाओं ने केवल दस हजार की ग्रांट स्वास्थ्य विभाग को दी. बृजपाल सिंह परमार ने स्वास्थ्य विभाग से ये भी जानकारी मांगी थी कि मार्च से जून माह तक जिला मुख्यालय व इससे संबंधित अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव केसों के इलाज पर कितना बजट खर्च किया.

सिविल सर्जन कार्यालय से जवाब आया कि क्वारंटाइन व्यक्ति पर बजट खर्च की कोई अनुमति नहीं प्राप्त है और क्वारंटाइन लोगों पर कोई बजट खर्च नहीं किया गया है. सिविल सर्जन कार्यालय ने ये भी जवाब दिया कि सीएमओ भिवानी द्वारा कोई भी धनराशि क्वारंटाइन व्यक्ति पर खर्च नहीं की गई है. बृजपाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने हरियाणा सरकार से मिले बजट में 10 लाख 16 हजार 62 रुपये खर्च दर्शाए हैं, जबकि सरकार ने दस लाख ही बजट दिया था.

इसी तरह एनएचएम के तहत मिले बजट में 10 लाख 43 हजार 66 रुपये का बजट खर्च दर्शाया है. एमपी लैंड स्कीम के बजट में 15 लाख 22 हजार 910 रुपये खर्च दर्शाए गए हैं. स्वयंसेवी संस्थाओं से मिले दस हजार के अनुदान में कोई पैसा नहीं खर्च किया है. मगर इस सब खर्च में क्वारंटाइन मरीज पर कोई पैसा खर्च नहीं दर्शाया गया है.

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अब तक भिवानी जिला में 800 से अधिक लोगों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आ चुकी हैं. इससे साफ जाहिर हैं कि इस बजट को केवल गाडिय़ों को इधर उधर दौड़ाने और फिर केवल कागजी खानापूर्ति के लिए बजट की बंदरबांट का अंदेशा है.

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