भिवानी: भिवानी पहुंचे हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली का विरोध कर रहे सरपंचों को पुलिस हिरासत में लिया गया. इस दौरान कष्ट निवारण समिति की बैठक में पंचायत मंत्री सख्त नजर आए. जिन्होंने फसल बीमा कंपनी, 134ए को लेकर निजी स्कूलों व भावांतर योजना में गड़बड़ी पर जांच के निर्देश देकर विरोध कर रहे सरपंचों को गलत बताया. बता दें कि प्रदेशभर के सरपंच ई-टेंडरिंग का विरोध कर रहे हैं.
मंगलवार को जैसे ही सरपंचों को पता लगा कि पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली पंचायत भवन में पहुंच रहे हैं, तो सरपंच विरोध करने पहुंच गए. पुलिस ने सख्त रुख अपनाते हुए विरोधियों को बीच रास्ते में ही हिरासत में ले लिया. इस दौरान पुलिस व सरपंचों में काफी धक्का-मुक्की व कहासुनी हुई. इस दौरान बहुत हंगामा सड़क पर नजर आया और सरपंच पंचायत मंत्री से खासे नाराज दिखे. लेकिन पंचायत मंत्री ने इस विरोध के बीच जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक ली और कई शिकायतों पर सख्ती दिखाई.
पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने सबसे पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनी द्वारा खरक गांव के किसानों की बर्बाद हुई कपास की फसल का 85 हजार रुपये मुआवज़ा समय पर ना देने पर बीमा कंपनी पर एफआईआर करने व किसान को ब्याज सहित मुआवजा देने के निर्देश दिए. वहीं, बवानीखेड़ा कस्बा में एक निजी स्कूल द्वारा 134ए के तहत फ्री दाखिला होने पर भी बस के नाम पर ज़्यादा पैसे वसूलने पर पूरे जिला के निजी स्कूलों का ऑडिट करवाने के भी निर्देश दिए.
यही नहीं फसलों की भावांतर योजना के तहत दूसरों की जमीन पर पैसे लेने के मामले में पंचायत मंत्री ने पूरे जिला में हुए करोड़ों रुपये के गड़बड़ झाले की सब डिविजन स्तर पर जांच के निर्देश जारी किए. वहीं सरपंचों के विरोध व उन्हें हिरासत में लेने को लेकर पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने बताया कि सरपंच अपना काम कर रहे हैं. ये हर जिला में कुछ सरपंच विरोध कर रहे हैं. सब जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है, उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि जमीन बेचकर व करोड़ों रुपये लगाकर सरपंच बनने से उन्हें मनचाहा लाइसेंस नहीं मिलेगा.
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पंचायत मंत्र देवेंद्र बबली ने दो टूक कहा कि पहले गड़बड़ हुई है, पर जब तक मैं इस कुर्सी पर हूं, तब तक गांवों के विकास कार्यों में कोई गड़बड़ झाला नहीं होने दूंगा. साथ ही मंत्री ने कहा कि ई टेंडरिंग से गांव का विकास हो रहा है. ये पैसा गांव की जनता के लिये है. उन्होंने कहा कि ई टेंडरिंग का विरोध ना करके सरकार का इसमें सहयोग दें और प्रदेश के विकास कार्यों को आगे बढ़ने दें. विरोधियों ने ई-टेंडरिंग को फालतू का मुद्दा बनाया है. लेकिन ई-टेंडरिंग में पैसे का सारा लेखा जोखा है जवाबदेही भी मिल रही है.
वहीं, पंचायत मंत्री का विरोध कर रहे सरपंचों का आरोप है कि हरियाणा सरकार ने सरपंचों को गांव के विकास के लिए पावर नहीं देनी थी तो चुनाव क्यों करवाए? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने उन्हें चोर समझ कर चौकीदार बना दिया है. साथ ही चेतावनी दी कि सरकार ने ई-टेंडरिंग खत्म नहीं की तो 24 के चुनावों में भाजपा व जजपा को हराने का काम भी यही सरपंच करेंगे.
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