भिवानी: भले ही राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों को स्वीकृति दे दी हो, लेकिन हरियाणा और पंजाब में इन बिलों का विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अब छात्र संगठन भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं. इसी को लेकर भिवानी में एनएसयूआई छात्र संगठन ने किसानों के पक्ष में जोरदार प्रदर्शन करते हुए उपायुक्त को किसान विधेयकों को रद्द करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा.
छात्रों ने भिवानी के विभिन्न चौराहों से होते हुए उपायुक्त कार्यालय तक प्रदर्शन किया और बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्र नेताओं ने कहा कि सरकार किसानों के खिलाफ तीन काले कानून लेकर आई है जो किसानों के हितों के खिलाफ है, इसलिए उनकी मांग है कि सरकार इन काले कानूनों को जल्द से जल्द वापस ले.
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छात्र नेताओं ने कहा कि अब सांसद और विधायक भी पंजाब और हरियाणा में किसान विधेयकों के खिलाफ खड़े हो गए हैं, लेकिन सरकार उनकी भी नहीं सुन रही है. छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि ये काले कानून पूंजीपतियों के लिए बनाए गए हैं, इससे किसानों का नहीं बल्कि पूंजीपतियों का हित पूरा होगा.
राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी. ये विधेयक हैं-
- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020.
- किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020.
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020.
इन विधेयकों का विरोध राजग के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया.
- किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है.
- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक का उद्देश्य अनुबंध खेती की इजाजत देना है.
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है.