भिवानी: लॉकडाउन के बढ़ने से सबसे ज्यादा तकलीफ प्रवासी मज़दूरों को हुई है. देश की राजधानी दिल्ली से लगते हरियाणा में भी बुरा हाल है. इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिस श्मशान घाट पर दिन के उजाले में जाने से डर लगता है, उसी श्मशान घाट पर प्रवासी मजदूर रात के अंधेरे में सोने को मजबूर हैं.
श्मशान घाट पर सो रहे मजदूरों ने बताया कि वो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से यहां काम करने आए थे, लेकिन काम बंद होने के बाद से वो यहीं फंस गए. उन्होंने बताया कि उनके पास ना तो खाने के लिए पैसा है और जब वो प्रधान से मदद मांगने जाते हैं तो वो भी उन्हें भागा देता है.
जब प्रवासियों से पूछा गया कि क्या उन्हें श्मशान घाट पर सोने से डर नहीं लगता है? इस पर उन्होंने कहा कि डर तो लगता है. रात को डर से नींद नहीं आती है, लेकिन उनके पास इसके अलावा कोई और दूसरा चारा नहीं है. वहीं जब इस बारे में डीआरओ प्रमोद चहल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकार अपनी तरफ से पूरी मदद कर रही है. जल्द ही सभी प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया जाएगा.
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बता दें कि लॉकडाउन के बाद से कई प्रवासी मजदूर जो उत्तराखंड के नैनीताल, रुद्रपुर और उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं. वो भिवानी के श्शमान घाट में सोने को मजबूर हैं. श्मशान घाट के पास ही जनता रसोई बनाई गई है. जहां से उन्हें दो वक्त का खाना मिल रहा है. अब प्रवासी मजदूरों को इंतजार उस दिन का है जब वो भी दूसरे प्रवासियों की तरह अपने घर पहुंच पाएंगे.