भिवानी: हरियाणा कर्मचारी महासंघ (haryana karmchari mahasangh) से जुड़ी विभागीय यूनियनों ने सरकार से पुरानी पेंशन योजना दोबारा शुरू करने की मांग की है. महासंघ अपनी मांगों को लेकर 9 जनवरी को प्रदेश भर में उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपेंगे. हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़ी विभागीय यूनियनों ने शनिवार को पत्रकार वार्ता के दौरान इसकी जानकारी दी. इस दौरान रोडवेज कर्मचारी यूनियन (Roadways Employees Union) हरियाणा के राज्य महासचिव जयबीर घणघस ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार लगातार कर्मचारी व विभागों में जन विरोधी नीतियां लागू कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि इन जन विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेशभर के कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 व हरियाणा सरकार ने 2006 में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन नीति को बंद करके नई पेंशन नीति को लागू किया था. नई पेंशन नीति को राजनेताओं व सरकार ने कर्मचारियों के हित में बताया था. सरकार द्वारा कर्मचारियों को झूठे सपने दिखाकर बताया था कि 10 प्रतिशत अंश कर्मचारी के वेतन से काटा जाएगा तथा इतना ही अंश सरकार भी जमा कराएगी. कर्मचारी को रिटायर होने पर बहुत पैसा मिलेगा और पेंशन भी मिलेगी.
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उन्होंने कहा कि सरकार व राजनेताओं द्वारा कर्मचारियों को दिखाए गए सपने, अब कर्मचारियों व आम जनता के सामने हैं. कर्मचारियों का पैसा शेयर मार्केट में लगा रखा है. जिससे कर्मचारियों को नाम मात्र की पेंशन मिल रही है. कर्मचारियों के रुपयों से शेयर मार्केट दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि सरकार एनपीएस के परिणामों से सबक लेते हुए तुरंत अपनी विधायकी शक्तियों का प्रयोग कर पुरानी पेंशन लागू करे.
हरियाणा कौशल रोजगार विभाग को भंग किया जाए, क्योंकि इसके तहत लगे कर्मचारियों को शैक्षणिक योग्यता अनुसार कम वेतन देकर शोषण किया जा रहा है. इस पॉलिसी में लगे कर्मचारी भविष्य में भी स्थाई नहीं हो सकते हैं. सरकार द्वारा लागू शर्तो पर आधारित एक्सग्रेसिया स्किम को रद्द करके 1995 की पुरानी एक्सग्रेसिया नीति पुन: लागू की जाए. उन्होंने सभी प्रकार की बीमारियों के लिए मेडिकल कैशलेस सुविधा पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की है. जिससे कर्मचारियों को अलग-अलग विभागों में चक्कर लगाने से बचाया सके. सभी विभागों में निजीकरण पर पूर्ण रोक लगाई जाए.