भिवानी: सोमवार को भिवानी में हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल (JP Dalal Agriculture Minister Haryana) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा के मरुस्थली क्षेत्र में हरी-भरी फसल लहलहाने में लिफ्ट इरीगेशन योजना मील का पत्थर साबित हुई थी. चौधरी बंसीलाल ने 70 के दशक में तराई वाली नहरों से मोटरों के माध्यम से पानी उठाकर ऊंचे टीलों तक पहुंचाने का काम किया.
इसी पैटर्न को आगे बढ़ाने के लिए अब दक्षिण हरियाणा में 70 करोड़ रुपये की लागत से लिफ्ट इरीगेशन व्यवस्था (Lift Irrigation Scheme in South Haryana) को फिर से पुर्नजीवित करने का काम किया जाएगा. जिसका काम जून महीने में शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा के लोहारू फीडर, जुई कैनाल, देवसर फीडर तथा सिवानी कैनाल में लिफ्ट इरीगेशन के लिए 70 करोड़ रुपये के पंप, मोटर और ट्रांसफार्मर खरीदे जाएंगे, इसके लिए हाई परचेज कमेटी की मीटिंग में निर्णय लिया जा चुका है.
इससे पूरे दक्षिण हरियाणा में नहरी पानी हर खेत तक पहुंच सकेगा. इससे ना केवल पीने के पानी, बल्कि सिंचाई की समस्यसा भी मरूस्थली क्षेत्रों में खत्म हो जाएगी. कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषि बजट को पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 28 प्रतिशत बढ़ाया है. नहरी बजट डेढ़ गुणा बढ़ा है. वहीं पशुपालन के बजट में भी अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी की गई है. इस प्रकार राज्य सरकार हरियाणा के किसानों के हितों को सर्वोपरि रख रही है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था आगे बढ़ सकें.
उन्होंने कहा कि फसलों का मुआवजा 12 हजार से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ किया गया है. अब तक हरियाणा में 600 करोड़ रुपये फसल खराबे के दिए गए हैं, जिसमें अकेले भिवानी जिला के किसानों को डेढ़ करोड़ रुपये के लगभग आबंटित किए गए हैं. हरियाणा की मंडियों में फसलों की आवक शुरू होने संबंधी प्रबंधों के बारे में कृषि मंत्री ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है, जब न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मूल्य बाजार में मिल रहा है.
कपास का मूल्य दस हजार प्रति क्विंटल, सरसों का मूल्य आठ हजार प्रति क्विंटल तथा गेहूं का समर्थन मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से 200 से 400 रुपये अधिक मिल रहा है. ऐसे में राज्य सरकार की चार विभिन्न खरीद एजेंसियों के पास एक किलोग्राम अनाज भी नहीं पहुंचा हैं, क्योंकि बाजार में किसानों को बेहतर मूल्य मिल रहा हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि जो भी अनाज बाहर नहीं बिकेगा, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मंडियों में खरीदा जाएगा तथा 55 से 60 लाख मीट्रिक टन अनाज खरीदने के लिए राज्य सरकार की चारों खरीद एजेंसियां तैयार हैं.
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