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भिवानी में श्री गुरुनानक देव जी महाराज की 550वें प्रकाश पर्व की धूम

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Published : Nov 12, 2019, 8:21 PM IST

भिवानी में श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया है. भिवानी के गुरुद्वारों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. जगह-जगह गुरुद्वारों पर भक्तों के लिए प्रसाद बनाए गए और बांटे गए.

guru nanak dev 550th birth anniversary celebration in bhiwani

भिवानी: श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व आज पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया. गुरु नानक देव की शिक्षाओं और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है.

भिवानी में प्रकाश पर्व की धूम

इसी कड़ी में आज भिवानी के गुरुद्वारों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. जगह-जगह गुरुद्वारों में भक्तों के लिए प्रसाद बनाए गए और बांटे गए. गुरूद्वारे में लोगों ने कीर्तन में भाग लिया. वहीं गुरुद्वारा में पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना था कि सभी एक ही परमात्मा के बंदे हैं कोई ऊंच नीच नहीं है. इसलिए गुरु नानक देव जी ने एक पंक्ति में बैठ कर भोजन करने की पंरपरा चलाई और छोटे-बड़े का भेदभाव खत्म किया.

550वे प्रकाश पर्व की धूम, देखें वीडियो

ये भी जाने- स्कूल की अनुकरणीय पहल : खाली कटोरा लेकर क्लासरूम में झांक रही मासूम को दिया दाखिला

गुरु नानक देव जी थे सिखों के पहले गुरू

बता दें कि गुरु नानक देव जी सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था. गुरु नानक देव जी की वाणी जीवन को सरलतम और श्रेष्ठतम बनाने के उपाय माने जाते हैं. उन्होंने हार-जीत, मान-अपमान, इच्छा-लोभ को दुख का कारण बताया है. मोह को घिसकर स्याही बनाओ, बुद्धि को श्रेष्ठ कागज और प्रेम को कलम बनाकर चित्त को लेखक बनाओ. जैसी कई बातें गुरु नानक देव जी ने कही है.

मानवता का दिया था संदेश

गुरु नानक देव जी ने पैदल ही पूरे विश्व में घूम कर मानवता का संदेश दिया था. नानक देव जी ने जाति-पाति का भेदभाव मिटाकर सभी को एक ही संदेश दिया था कि सभी उस परमात्मा के बंदे हैं, जिसने इस सृष्टि को बनाया है.

भिवानी: श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व आज पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया. गुरु नानक देव की शिक्षाओं और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है.

भिवानी में प्रकाश पर्व की धूम

इसी कड़ी में आज भिवानी के गुरुद्वारों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. जगह-जगह गुरुद्वारों में भक्तों के लिए प्रसाद बनाए गए और बांटे गए. गुरूद्वारे में लोगों ने कीर्तन में भाग लिया. वहीं गुरुद्वारा में पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना था कि सभी एक ही परमात्मा के बंदे हैं कोई ऊंच नीच नहीं है. इसलिए गुरु नानक देव जी ने एक पंक्ति में बैठ कर भोजन करने की पंरपरा चलाई और छोटे-बड़े का भेदभाव खत्म किया.

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गुरु नानक देव जी थे सिखों के पहले गुरू

बता दें कि गुरु नानक देव जी सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था. गुरु नानक देव जी की वाणी जीवन को सरलतम और श्रेष्ठतम बनाने के उपाय माने जाते हैं. उन्होंने हार-जीत, मान-अपमान, इच्छा-लोभ को दुख का कारण बताया है. मोह को घिसकर स्याही बनाओ, बुद्धि को श्रेष्ठ कागज और प्रेम को कलम बनाकर चित्त को लेखक बनाओ. जैसी कई बातें गुरु नानक देव जी ने कही है.

मानवता का दिया था संदेश

गुरु नानक देव जी ने पैदल ही पूरे विश्व में घूम कर मानवता का संदेश दिया था. नानक देव जी ने जाति-पाति का भेदभाव मिटाकर सभी को एक ही संदेश दिया था कि सभी उस परमात्मा के बंदे हैं, जिसने इस सृष्टि को बनाया है.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 12 नवंबर।
सतगुरू नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चाणन होइया  
गुरू नानक जी का प्रकाशोत्सव धूमधाम से मना
    जगत गुरु श्री गुरू नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव की भिवानी में भी धूम रही। गुरूद्वारे में लोगों ने कीर्तन में भाग लिया, वहीं दूसरी ओर लंगर का भी आयोजन किया व लोगों ने सहभोज का आनंद लिया। श्री गुरु नानक देव जी का आगमन गुरपर्व आज पुरी दुनिया में मनाया जा रहा है 
    भिवानी में आज श्रीगुरू नानक देव जी की 550वां जयन्ती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस मौके पर कीर्तन एवं लगर का आयोजन किया गया। लोगों ने श्रद्दधा भाव से गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ किया व नमन किया।
Body:    गुरूद्वारा सिंह सभा के तत्वावधान में आयोजित बड़े कार्यक्रम में शिरकत कर रहे लोगों का कहना था कि सभी एक ही परमात्मा के बंदे हैं कोई उंच नीच नहीं है। इसलिए गुरू नानक देव जी ने एक पंक्ति में बैठ कर भोजन करने की पंरपरा चलाई और छोटे बड़ो का भेदभाव खत्म किया। 
 Conclusion:   आज गुरूपर्व के मौके पर दूर दूर से संगतों ने गुरूद्वारे में आकर गुरूबाणी का आंनद लिया और गुरू के दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लिया। श्री गुरूनानक देव जी सिक्खों के प्रथम गुरू थे और उन्होंने पैदल ही पूरे विश्व में घूम कर मानवता का संदेश दिया।  नानक देव जी ने जातपात का भेदभाव मिटाकर सभी को एक ही संदेश दिया था कि सभी उस परमात्मा के बंदे है जिसने  इस सृष्टि को बनाया है। उनके दर्शाए मार्ग पर चलने से मनुष्य जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। देश कौम की सेवा कर के अपने जीवन को सफल  बनाना ही गुरू का संदेश है।
बाईट : डॉ यूएस पाहवा व प्रधान इन्दरमोहन सिंह। 
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