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भिवानी में धूमधाम से मनाया गया गुरू गोबिंद सिंह जी का 354वां प्रकाश उत्सव - गुरू गोबिंद सिंह 354वां प्रकाश उत्सव

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1966 में पटना साहिब में हुआ था और उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था.

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भिवानी में धूमधाम से मनाया गया गुरू गोबिंद सिंह जी का 354वां प्रकाश उत्सव
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Published : Jan 20, 2021, 10:18 PM IST

भिवानी: देश कौम की खातिर नौ वर्ष की आयु में अपने पिता को कुर्बान करने वाले सिक्खों के 10वें गुरू गुरू गोबिन्द सिंह जी का 354वां प्रकाश उत्सव भिवानी के गुरूद्वारा में बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर गुरूद्वारा सिंह सभा में लंगर को संगतों के द्वारा बनाया गया.

भिवानी में गुरबाणी कीर्तन करने के लिए पंजाब के रामामंडी से रागी जत्था बुलाया गया था. रागी जत्थे ने गुरबाणी के माध्यम से दसवें पातशाह श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के जीवन और उनके परिवार के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरू गोबिन्द सिंह ने धर्म की खातिर पहले अपने पिता श्री गुरू तेग बहादुर जी को बलिदान दिया तो उसके बाद अपने चारो पुत्रों को धर्म के लिए शहीद करवा दिया लेकिन धर्म पर कोई आंच नहीं आने दी.

बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1966 में पटना साहिब में हुआ था और उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था. उनके पिता सिखों के 9वें गुरु थे, गुरु गोबिंद सिंह जी को बचपन में गोबिंद राय के नाम से बुलाया जाता था.

ये भी पढ़ें: गुरु गोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव पर सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने निकाला नगर कीर्तन

इस दौरान शब्द गुरबाणी के माध्यम से संगतों को गुरू से जोड़ने का प्रयास किया. इस उपरांत मुख्य ग्रंथी गजराज सिंह ने भी गुरूवाणी कीर्तन के माध्यम से श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के जीवन के बारे में संगतों को विस्तार से गुरमत ज्ञान दिया और गुरू द्वारा दिखाये मार्ग पर चलने का संदेश दिया.

भिवानी: देश कौम की खातिर नौ वर्ष की आयु में अपने पिता को कुर्बान करने वाले सिक्खों के 10वें गुरू गुरू गोबिन्द सिंह जी का 354वां प्रकाश उत्सव भिवानी के गुरूद्वारा में बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर गुरूद्वारा सिंह सभा में लंगर को संगतों के द्वारा बनाया गया.

भिवानी में गुरबाणी कीर्तन करने के लिए पंजाब के रामामंडी से रागी जत्था बुलाया गया था. रागी जत्थे ने गुरबाणी के माध्यम से दसवें पातशाह श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के जीवन और उनके परिवार के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरू गोबिन्द सिंह ने धर्म की खातिर पहले अपने पिता श्री गुरू तेग बहादुर जी को बलिदान दिया तो उसके बाद अपने चारो पुत्रों को धर्म के लिए शहीद करवा दिया लेकिन धर्म पर कोई आंच नहीं आने दी.

बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1966 में पटना साहिब में हुआ था और उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था. उनके पिता सिखों के 9वें गुरु थे, गुरु गोबिंद सिंह जी को बचपन में गोबिंद राय के नाम से बुलाया जाता था.

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इस दौरान शब्द गुरबाणी के माध्यम से संगतों को गुरू से जोड़ने का प्रयास किया. इस उपरांत मुख्य ग्रंथी गजराज सिंह ने भी गुरूवाणी कीर्तन के माध्यम से श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के जीवन के बारे में संगतों को विस्तार से गुरमत ज्ञान दिया और गुरू द्वारा दिखाये मार्ग पर चलने का संदेश दिया.

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