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भिवानीः मछली पालन कर किसान ऐसे बढ़ा सकते हैं अपनी आय - भिवानी मछली पालन बढ़ावा

भिवानी में मछली पालन को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार खुद भारी सब्सिडी दे रही है. जिसकी मदद से किसान इस मछली पालन रोजगार की तरफ बढ़ रहे हैं.

govt giving subsidy in Fisheries Bhiwani
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Published : Sep 28, 2020, 3:28 PM IST

भिवानी: जिले में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर तरह के कदम उठा रही है. डीसी अजय कुमार ने कहा कि स्व रोजगार के लिए प्रदेश सरकार कई योजनाए चला रही है. इस योजना में मछली पालन भी प्रमुख है. इसको लेकर डीसी ने भी कहा कि युवाओं को मछली पालन जैसा व्यवसाय अपनाकर अपनी आय बढ़ानी चाहिए.

मछली पालन को दे रही सरकार बढ़ावा

बता दें कि भिवानी में अब मछली पालन एक प्रमुख व्यवसाय बन गया है. डीसी ने मछली पालन के लिए हाल ही में प्रशिक्षण ले चुके व्यक्तियों, युवाओं व महिलाओं को प्रमाण-पत्र वितरित करने के दौरान अपना संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मछली पालन युवाओं के लिए स्वरोजगार का मुख्य व्यवसाय है, जिस में विभाग द्वारा अलग-अलग तरह से सब्सिडी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि मत्स्य पालन में किसी प्रकार की दिक्कत आए तो वे विभाग के विशेषज्ञों से बात करें और अपना व्यवसाय बढ़ाएं.

दी जा रही है भारी सब्सिडी

जिला मत्स्य अधिकारी जय गोपाल वर्मा सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और योजना के बारे में अच्छे बताया. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन को 10 साल के लिए पट्टे पर लेकर मछली पालन का व्यवसाय कर सकता है और उस किसान को एक हैक्टेयर के प्रोजेक्ट पर 8.5 लाख रुपये धनराशि दी जाएगी. वाले किसानों को एक हैक्टेयर के प्रोजेक्ट पर 8.5 लाख रुपये धनराशि पर अलग अलग दर से सब्सिडी दी जाएगी.

इस में सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की दर से विभाग द्वारा अनुदान दिया जाता है. इसी प्रकार ग्राम पंचायतों के तालाबों को खुली बोली में पट्टे पर लेकर मत्स्य पालन का व्यवसाय करने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के किसानों को पट्टा राशि 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. मछली बीज एवं मछली फीड पर अनुमानित खर्च 1.50 लाख रुपये पर विभाग द्वारा 60 प्रतिशत की दर से 90 हजार रूपये अनुदान मत्स्य किसान को प्रदान किया जाता है.

ये भी पढ़ें- फतेहाबाद: स्कूल फीस आधी करने की मांग को लेकर अभिभावकों का प्रदर्शन

इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा मत्स्य किसानों को डीप टयूवैल लगाने पर लागत दो लाख रुपये, साल्व टयूवैल लगाने पर लागत धनराशि 50 हजार रुपये, तालाबों मे एरियटेर लगाने पर लागत धनराशि 40 हजार रुपये पर सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है.

भिवानी: जिले में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर तरह के कदम उठा रही है. डीसी अजय कुमार ने कहा कि स्व रोजगार के लिए प्रदेश सरकार कई योजनाए चला रही है. इस योजना में मछली पालन भी प्रमुख है. इसको लेकर डीसी ने भी कहा कि युवाओं को मछली पालन जैसा व्यवसाय अपनाकर अपनी आय बढ़ानी चाहिए.

मछली पालन को दे रही सरकार बढ़ावा

बता दें कि भिवानी में अब मछली पालन एक प्रमुख व्यवसाय बन गया है. डीसी ने मछली पालन के लिए हाल ही में प्रशिक्षण ले चुके व्यक्तियों, युवाओं व महिलाओं को प्रमाण-पत्र वितरित करने के दौरान अपना संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मछली पालन युवाओं के लिए स्वरोजगार का मुख्य व्यवसाय है, जिस में विभाग द्वारा अलग-अलग तरह से सब्सिडी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि मत्स्य पालन में किसी प्रकार की दिक्कत आए तो वे विभाग के विशेषज्ञों से बात करें और अपना व्यवसाय बढ़ाएं.

दी जा रही है भारी सब्सिडी

जिला मत्स्य अधिकारी जय गोपाल वर्मा सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और योजना के बारे में अच्छे बताया. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन को 10 साल के लिए पट्टे पर लेकर मछली पालन का व्यवसाय कर सकता है और उस किसान को एक हैक्टेयर के प्रोजेक्ट पर 8.5 लाख रुपये धनराशि दी जाएगी. वाले किसानों को एक हैक्टेयर के प्रोजेक्ट पर 8.5 लाख रुपये धनराशि पर अलग अलग दर से सब्सिडी दी जाएगी.

इस में सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की दर से विभाग द्वारा अनुदान दिया जाता है. इसी प्रकार ग्राम पंचायतों के तालाबों को खुली बोली में पट्टे पर लेकर मत्स्य पालन का व्यवसाय करने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के किसानों को पट्टा राशि 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. मछली बीज एवं मछली फीड पर अनुमानित खर्च 1.50 लाख रुपये पर विभाग द्वारा 60 प्रतिशत की दर से 90 हजार रूपये अनुदान मत्स्य किसान को प्रदान किया जाता है.

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इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा मत्स्य किसानों को डीप टयूवैल लगाने पर लागत दो लाख रुपये, साल्व टयूवैल लगाने पर लागत धनराशि 50 हजार रुपये, तालाबों मे एरियटेर लगाने पर लागत धनराशि 40 हजार रुपये पर सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है.

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