भिवानी: हरियाणा के भिवानी के गिगनाऊ गांव में अर्ध शुष्क बागवानी केंद्र के द्वारा किसानों के बीच उन्नत किस्म के सब्जी, फल-फूल, मसालों के पौधे बांटे गए. इन पौधों को इंडो इजराइल तकनीक पर विकसित किया गया है. इन पौधों की उत्पादकता भी अधिक है.
उन्नत किस्म के पौधों का वितरण: भारत सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के उद्देश्य से शुरू किए गए राष्ट्रीय बागवानी मिशन का असर अब दिखने लगा है. इस अभियान के तहत सब्जी, फल-फूल और मसालों की खेती को प्रोत्साहन देकर किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है. इसी के तहत भिवानी जिला के गिगनाऊ गांव में कम सिंचाई से भी तैयार होने वाली सब्जियों की छह लाख पौधे तैयार कर दक्षिण हरियाणा के किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई जा रही है.
इंडो इजराइल तकनीक का इस्तेमाल: भिवानी के गिगनाऊ गांव में स्थित अर्ध शुष्क बागवानी केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामस्वरूप साहू ने बताया कि इंडो इजराइल तकनीक पर आधारित सब्जियों की विभिन्न पौधे यहां तैयार की गई है. रामस्वरूप साहू के अनुसार ड्रिप इरीगेशन, नेट हाउस, पोली हाउस का प्रयोग करने के साथ ही इन पौधे को तैयार करने में ऑटो मिशन सिस्टम का प्रयोग किया गया है. इन पौधों की खास बात यह है कि इन्हें ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है. कम पानी के इस्तेमाल से भी उनकी उत्पादकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
75 प्रतिशत सब्सिडी पर पौधों का वितरण: पौधे लेने आए हुए किसानों ने बताया कि अब हम लोगों ने परंपरागत खेती की बजाए फलों व सब्जियों के उत्पादन का निर्णय लिया है।उन्हें यहां से 75 प्रतिशत सब्सिडी पर अच्छी क्वालिटी के फलों और सब्जियों की पौधे अर्धशुष्क बागवानी केंद्र द्वारा उपलब्ध करवाई गई हैं.किसान अनिल का कहना है कि सरकार की यह योजना बहुत अच्छी है. कम कीमत पर पौधों के वितरण से किसानों का बहुत फायदा होगा. पौधे लेने आए अनिल नाम के किसान के अनुसार अच्छी तकनीक का इस्तेमाल कर के इन पौधों को विकसित किया गया है.
किसानों की आय में होगी वृद्धि: किसानों का कहना है कि इस प्रकार की खेती से उनकी आय बढ़ेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी. इन पौधे की खास बात यह है कि वे कम पानी में भी तैयार हो सकेंगी और सामान्य से अधिक उत्पादन होगा. संजय नाम के किसान का कहना है कि तैयार पौधे मिलने से उन्हें बहुत सहायता मिली है. इसके उत्पादन में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा.पहले खुद से बीज लगाना पड़ता था जिसमें टाइम ज्यादा लगता था. संजय के अनुसार सही ढंग से इसका इस्तेमाल करने पर पैदावार कई गुणा बढ़ेगी जिससे किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा तथा उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.
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