भिवानी: देवउठनी एकादशी के दिन की शुरुआत हो गई है. इस दिन के बाद सारे शुभ कार्य संपंन्न किये जाते हैं. इसके शुरू होते ही बाजारों में रौनक लौट आई. आपको बता दें कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं.
इस दिन होती है शुभ कार्यों की शुरूआत
इसी के साथ ही शुभ कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाता है. इसके पहले ही दिन हजारों जोड़े विवाह के बंधन बंधते हैं. बाजार में विवाह से संबंधित सामग्री की खरीदारी तेज हो गई है. इन दिनों न हलवाई खाली है और न ही टैंट वाला, न कोई धर्मशाला खाली है और न कोई रिजोर्ट. अबूझ सावा होने के कारण जो लोग लेत लतीफी में रह गए, उनको खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.
बाजारों में लौटी रौनक
शुक्रवार सुबह से ही बाजार में गहमा गहमी थी. कोई दुल्हन के लिए गाड़ी सजवा रहा था, तो कोई दुल्हे के लिए सेहरा, नोटों की माला, तलवार व कटार खरीदने में व्यस्त हैं. फूल सज्जा के दुकानदार ने कि देवउठनी एकादशी के अबूझ सावे के कारण उनके पास न केवल एडवांस बुकिंग है, बल्कि गाड़ी सजवाने के लिए दुकान खुलने से पहले ही कतार लगी हुई हैं. बाजार में उत्साह का माहौल है. हर दुकानदार पिछले कई महीनों से सुस्ती की मार झेल रहा था, लेकिन बाजार में रंगत नजर आ रही हैं.
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ये है इस दिन का महत्व
मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु विश्राम से जागते हैं और सृष्टि का कार्य-भार देखते हैं. सभी मंगल कार्य इस एकादशी से शुरू होते है. कहा जाता है कि इस एकादशी में ही तुलसी विवाह भी किया जाता है. यह दिन तुलसी विवाह के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन पूजन के साथ ही यह कामना की जाती है कि घर में आने वाले मंगल कार्य संपन्न हों.