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भिवानी के वाटर टैंक में सड़ रही हैं मरी हुई मछलियां, आधे शहर में सप्लाई हो रहा है बदबूदार पानी - भिवानी जलघर मरी हुई मछलियां

अधिकारियों के इस मामले के संज्ञान में आने के बाद से ही हड़कंप मचा है. हाल ही में महम रोड स्थित पुराने जलघर के वाटर टैंकों की साफ सफाई भी कराई गई थी. इन टैंकों के अंदर कमल के फूलों की बेल प्रचूर मात्रा में थी. अब टैंक साफ कराए जाने के बाद इनके अंदर सैकड़ों मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है.

death of fish in bhiwani aquarium tank
भिवानी मुख्य जलघर के टैंक में मछलियों की मौत
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Published : Jan 25, 2020, 4:16 PM IST

भिवानी: जिले में जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है. पुराने शहर की आबादी की पेयजल आपूर्ति करने वाले वाटर टैंकों में मरी हुई मछलियां पड़ी हैं. इसकी वजह से जहां लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है, वहीं दुर्गंध के कारण वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. पानी क्लोरिफाइड प्रक्रिया से गुजरने के बाद पुराने शहर की कॉलोनियों में सप्लाई हो रहा है.

बावजूद इसके पानी से दुर्गंध कम नहीं हो रही. हालांकि अधिकारियों के इस मामले के संज्ञान में आने के बाद से ही हड़कंप मचा है. हाल ही में महम रोड स्थित पुराने जलघर के वाटर टैंकों की साफ सफाई भी कराई गई थी. इन टैंकों के अंदर कमल के फूलों की बेल प्रचूर मात्रा में थी. अब टैंक साफ कराए जाने के बाद इनके अंदर सैकड़ों मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है.

भिवानी मुख्य जलघर के टैंक में मछलियों की मौत

इन बूस्टिंग स्टेशन से कॉलोनियों में जाता है पानी
पुराना जलघर से घंटाघर बूस्टिंग स्टेशन, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पटेल नगर, विद्यानगर, हालु जोन व लोहड़ जोन, राजीव कॉलोनी, कीर्ति नगर, विजय नगर, जगत कॉलोनी, चिरंजीव कॉलोनी, लेबर कॉलोनी बुस्टिंग स्टेशन, बिचला बाजार सहित सरकुलर रोड के अंदर आने वाले करीबन पुराने शहर की अधिकांश कॉलोनियों में महम रोड जलघर वाटर टैंकों से पानी की आपूर्ति हो रही है.

20 एमएलडी की क्षमता के जलघर में बने हैं 9 टैंक
महम रोड स्थित पुराने जलघर के अंदर नौ पानी के बड़े टैंक बने हुए हैं. इन टैंकों में करीब 20 एमएलडी पानी की क्षमता है. हालांकि ये टैंक काफी पुराने होने की वजह से मिट्टी के कारण इनकी भंडारण क्षमता कम हुई है.

शहर के लोग भी डालते हैं मछलियों को दाना
महम रोड स्थित वाटर टैंकों के अंदर शहर के कुछ लोग भी मछलियों को दाना डालने यहां आते हैं. इन मछलियों को यहां रोटी, कच्चा आटा खिलाया जाता है. गांव तिगड़ाना निवासी रामबीर ने बताया कि वो यहां से गुजर रहे थे कि उन्हें टैंक में मछलियां मरी दिखाई दी. रामबीर ने बताया कि अगर वाटर टैंक में किसी ने कोई जहरीली चीज डाली है तो इसका असर इस पानी का सेवन करने वालों पर भी पड़ सकता है. इसलिए जल्द से जल्द इन टैंकों की सफाई जरूरी है.

तीन-तीन टैंकों की दीवारें तोड़कर किए गए हैं साझा
9 टैंकों में तीन-तीन टैंकों के तीन खंड बना रखे हैं. इसमें तीन-तीन टैंकों के बीच की दीवार तोड़कर इन्हें साझा किया हुआ है. जिससे एक टैंक में अगर मृत मछलियों के सड़ने से पानी दूषित होता है तो इसका असर अन्य टैंकों के पानी पर भी पड़ेगा.

गंदे पानी से बढ़ सकती है मरीजों की संख्या

इस बारे में डॉक्टर विनोद अंचल ने बताया कि पीने के पानी में मछलियों का मरना खरतनाक है. इससे पानी गंदा होता है और ऐसा पानी पीने से आंतों में सूजन, पीलिया, हैजा और टाइफाईड होने की पूरी-पूरी संभावना होती है. उन्होंने बताया कि खुले में मरी हुई मछली पड़ी होने से वायु प्रदूषण होता है और संक्रमण होने की संभावना होती है.

जनस्वास्थ्य विभाग के अधिराकारी रूपेश चंद ने माना कि कुछ मछलियां पानी के साथ आ जाती हैं और यहां टैंकों में पलने लगती हैं. उन्होंने कहा कि तापमान कम होने के चलते ये मछलियां मरी होंगी. वहीं उन्होंने कहा कि इन मछलियों को जल्द ही टैंकों के निकाल कर सुरक्षित स्थान पर दबाया जाएगा और आगे से मछलियां टैंकों में ना आए इसके लिए समाधान किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें: भिवानी: पॉश इलाके में पानी की पाइपलाइन का काम लटका, एक महीने से बह रहा सड़कों पर पानी

शहरी पेयजल शाखा के कार्यकारी अभियंता ने बताया कि ये मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है. तुरंत जेई से बात की गई है. जेई ने बताया कि कुछ लोग टैंकों में मछलियों को खाना डालने आते हैं, जिन्हें मना किए जाने संबंधी सख्त हिदायतें दी गई हैं और टैंक से मरी हुई मछलियों को जल्द निकलवाने के निर्देश दिए हैं.

भिवानी: जिले में जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है. पुराने शहर की आबादी की पेयजल आपूर्ति करने वाले वाटर टैंकों में मरी हुई मछलियां पड़ी हैं. इसकी वजह से जहां लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है, वहीं दुर्गंध के कारण वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. पानी क्लोरिफाइड प्रक्रिया से गुजरने के बाद पुराने शहर की कॉलोनियों में सप्लाई हो रहा है.

बावजूद इसके पानी से दुर्गंध कम नहीं हो रही. हालांकि अधिकारियों के इस मामले के संज्ञान में आने के बाद से ही हड़कंप मचा है. हाल ही में महम रोड स्थित पुराने जलघर के वाटर टैंकों की साफ सफाई भी कराई गई थी. इन टैंकों के अंदर कमल के फूलों की बेल प्रचूर मात्रा में थी. अब टैंक साफ कराए जाने के बाद इनके अंदर सैकड़ों मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है.

भिवानी मुख्य जलघर के टैंक में मछलियों की मौत

इन बूस्टिंग स्टेशन से कॉलोनियों में जाता है पानी
पुराना जलघर से घंटाघर बूस्टिंग स्टेशन, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पटेल नगर, विद्यानगर, हालु जोन व लोहड़ जोन, राजीव कॉलोनी, कीर्ति नगर, विजय नगर, जगत कॉलोनी, चिरंजीव कॉलोनी, लेबर कॉलोनी बुस्टिंग स्टेशन, बिचला बाजार सहित सरकुलर रोड के अंदर आने वाले करीबन पुराने शहर की अधिकांश कॉलोनियों में महम रोड जलघर वाटर टैंकों से पानी की आपूर्ति हो रही है.

20 एमएलडी की क्षमता के जलघर में बने हैं 9 टैंक
महम रोड स्थित पुराने जलघर के अंदर नौ पानी के बड़े टैंक बने हुए हैं. इन टैंकों में करीब 20 एमएलडी पानी की क्षमता है. हालांकि ये टैंक काफी पुराने होने की वजह से मिट्टी के कारण इनकी भंडारण क्षमता कम हुई है.

शहर के लोग भी डालते हैं मछलियों को दाना
महम रोड स्थित वाटर टैंकों के अंदर शहर के कुछ लोग भी मछलियों को दाना डालने यहां आते हैं. इन मछलियों को यहां रोटी, कच्चा आटा खिलाया जाता है. गांव तिगड़ाना निवासी रामबीर ने बताया कि वो यहां से गुजर रहे थे कि उन्हें टैंक में मछलियां मरी दिखाई दी. रामबीर ने बताया कि अगर वाटर टैंक में किसी ने कोई जहरीली चीज डाली है तो इसका असर इस पानी का सेवन करने वालों पर भी पड़ सकता है. इसलिए जल्द से जल्द इन टैंकों की सफाई जरूरी है.

तीन-तीन टैंकों की दीवारें तोड़कर किए गए हैं साझा
9 टैंकों में तीन-तीन टैंकों के तीन खंड बना रखे हैं. इसमें तीन-तीन टैंकों के बीच की दीवार तोड़कर इन्हें साझा किया हुआ है. जिससे एक टैंक में अगर मृत मछलियों के सड़ने से पानी दूषित होता है तो इसका असर अन्य टैंकों के पानी पर भी पड़ेगा.

गंदे पानी से बढ़ सकती है मरीजों की संख्या

इस बारे में डॉक्टर विनोद अंचल ने बताया कि पीने के पानी में मछलियों का मरना खरतनाक है. इससे पानी गंदा होता है और ऐसा पानी पीने से आंतों में सूजन, पीलिया, हैजा और टाइफाईड होने की पूरी-पूरी संभावना होती है. उन्होंने बताया कि खुले में मरी हुई मछली पड़ी होने से वायु प्रदूषण होता है और संक्रमण होने की संभावना होती है.

जनस्वास्थ्य विभाग के अधिराकारी रूपेश चंद ने माना कि कुछ मछलियां पानी के साथ आ जाती हैं और यहां टैंकों में पलने लगती हैं. उन्होंने कहा कि तापमान कम होने के चलते ये मछलियां मरी होंगी. वहीं उन्होंने कहा कि इन मछलियों को जल्द ही टैंकों के निकाल कर सुरक्षित स्थान पर दबाया जाएगा और आगे से मछलियां टैंकों में ना आए इसके लिए समाधान किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें: भिवानी: पॉश इलाके में पानी की पाइपलाइन का काम लटका, एक महीने से बह रहा सड़कों पर पानी

शहरी पेयजल शाखा के कार्यकारी अभियंता ने बताया कि ये मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है. तुरंत जेई से बात की गई है. जेई ने बताया कि कुछ लोग टैंकों में मछलियों को खाना डालने आते हैं, जिन्हें मना किए जाने संबंधी सख्त हिदायतें दी गई हैं और टैंक से मरी हुई मछलियों को जल्द निकलवाने के निर्देश दिए हैं.

Intro:जनस्वास्थ्य विभाग की जानलेवा लापरवाही आई सामने
मुख्य जलघर के टैंकों में कई दिनों से पड़ी हैं मरी हुई बड़ी-बड़ी मछलियां
शहर की आधे से ज्यादा आबादी को यहीं से होती है पेयजल की सप्लाई
हालात इतने खराब की यहां से गुजरने वालों ने दुर्गंध के चलते रास्ते बदले
नींद में सोये अधिकारी बोले : मामला संज्ञान में लाने पर मीडिया का धन्यवाद
मछलियों को निकालने, आगे से मछलियों के ना पलने का दिया आश्वासन
चिकित्सक भी हैरान, बोले : पीलिया, हैजा, टाईफाईड जैसी हो सकती हैं बीमारियां
भिवानी, 22 जनवरी : भिवानी में जनस्वास्थ्य विभाग की जानलेवा लापरवाही सामने आई है। शहर की आधी से ज्यादा आबादी को पेयजल सप्लाई करने वाले जलघर के टैंकों में कई दिनों से मरी हुई मछलियां पड़ी हुई हैं। हालात ये हैं कि टैंकों के आसपास दुर्गंध फैलने लगी है और यहां से गुजरने वाले लोगों ने अपना रास्त तक बदल लिया, लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं खुली। चिकित्सकों का कहना है कि मछलियां मरने से पानी गंदा होता है और ऐसा पानी पीने से अनेक तरह की बीमारियां और संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। मीडिया द्वारा मामला संज्ञान में लाने पर विभाग के अधिकारियों ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया है।
Body: शहर के मुख्य जलघर के टैंकों से सप्लाई होने वाले पानी को हर रोज एक लाख के करीब लोग पीते हैं। पर यहां पानी में जो कुछ है वो ना केवल हैरान कर देने वाला है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाला है। यहां चार-पांच टैंक हैं जो आपस में कनेक्ट हैं। इन सभी टैंकों में पिछले कई दिनों से बहुत बड़ी-बड़ी अनेक मछलियां मरी हुई हैं। कुछ मछलियों को टैंक से निकाल कर किनारे पर डाल दिया गया है तो बहुत सी टैंकों में ही मरी पड़ी हैं। आलम ये है कि यहां आसपास इतनी दुर्गंध है कि यहां से आने-जाने वाले लोग बेहद परेशान हैं। कुछ लोगों ने तो दुर्गंध के चलते अपना रस्ता भी बदल लिया है। स्थानीय लोगों ने जल्द टैंकों की सफाई करने की मांग की है।
जब इस बारे में चिकित्सकों से बात की तो बताया गया कि पीने के पानी में मछलियों का मरना बेहद ही खरतनाक है। इससे पानी गंदा होता है और ऐसा पानी पीने से आंतों में सोजन, पीलिया, हैजा व टाइफाईड होने की पूरी-पूरी संभावना होती है। वहीं खुले में मरी हुई मछली पड़ी होने से वायु प्रदुषण होता है और संक्रमण होने की संभावना होती है। चिकित्सक खुद हैरान है कि जलघर के टैंक में मछली कहां से आई और वो मर गई तो उनका कोई समाधान नहीं किया जा रहा।
हैरानी की बात है कि जनस्वास्थ्य विभाग के अधिराकारी रोज अपने कार्यालयों में आते हैं। कार्यालय टैंकों के पास ही हैं। बावजूद इसके वो इस पूरी घटना से बेखबर हैं। जब मीडिया द्वारा ये सारा मामला उनके संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने इसके लिए आभार जताया। एक्सईएन रूपेश चंद ने माना कि कुछ मछलियां पानी के साथ आ जाती हैं और यहां टैंकों में पलने लगती हैं। उन्होंने कहा कि तापमान कम होने के चलते ये मछलियां मरी होंगी। उन्होंने कहा कि इन मछलियों को जल्द ही टैंकों के निकाल कर सुरक्षित स्थान पर दबाया जाएगा और आगे से मछलियां टैंकों में ना आए इसके लिए समाधान किया जाएगा। साथ ही कहा कि कुछ लोग यहां मछलियों को दाना डालने आते हैं उन पर भी रोक लगाई जाएगी और ऐसे चेतावनी बोर्ड भी यहां लगाए जाएंगें।
Conclusion: अब सोचने वाली बात है कि यहां से गुजरने वाले लोग दुर्गंध से परेशान हुए तो विभाग के अधिकारी व कर्मचारी क्यों गहरी नींद में सोकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा तो नहीं कि इतनी बड़ी-बड़ी मछलियां चंद दिनों में हुई होंगी। इससे साफ जाहिर होता है कि विभाग ने कभी भी अपने टैंको के पानी को चैक ही नहीं किया। जो एक बड़ी और जानलेवा लापरवाही है। अब देखना होगा कि इसका समाधान कब तक होता है और भविष्य के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
बाइट- रोहित व सचिन (छात्र), डॉ. विनोद अंचल एवं रुपेश चंद (एक्सईएन)
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