भिवानी: जिले में जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है. पुराने शहर की आबादी की पेयजल आपूर्ति करने वाले वाटर टैंकों में मरी हुई मछलियां पड़ी हैं. इसकी वजह से जहां लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है, वहीं दुर्गंध के कारण वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. पानी क्लोरिफाइड प्रक्रिया से गुजरने के बाद पुराने शहर की कॉलोनियों में सप्लाई हो रहा है.
बावजूद इसके पानी से दुर्गंध कम नहीं हो रही. हालांकि अधिकारियों के इस मामले के संज्ञान में आने के बाद से ही हड़कंप मचा है. हाल ही में महम रोड स्थित पुराने जलघर के वाटर टैंकों की साफ सफाई भी कराई गई थी. इन टैंकों के अंदर कमल के फूलों की बेल प्रचूर मात्रा में थी. अब टैंक साफ कराए जाने के बाद इनके अंदर सैकड़ों मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है.
इन बूस्टिंग स्टेशन से कॉलोनियों में जाता है पानी
पुराना जलघर से घंटाघर बूस्टिंग स्टेशन, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पटेल नगर, विद्यानगर, हालु जोन व लोहड़ जोन, राजीव कॉलोनी, कीर्ति नगर, विजय नगर, जगत कॉलोनी, चिरंजीव कॉलोनी, लेबर कॉलोनी बुस्टिंग स्टेशन, बिचला बाजार सहित सरकुलर रोड के अंदर आने वाले करीबन पुराने शहर की अधिकांश कॉलोनियों में महम रोड जलघर वाटर टैंकों से पानी की आपूर्ति हो रही है.
20 एमएलडी की क्षमता के जलघर में बने हैं 9 टैंक
महम रोड स्थित पुराने जलघर के अंदर नौ पानी के बड़े टैंक बने हुए हैं. इन टैंकों में करीब 20 एमएलडी पानी की क्षमता है. हालांकि ये टैंक काफी पुराने होने की वजह से मिट्टी के कारण इनकी भंडारण क्षमता कम हुई है.
शहर के लोग भी डालते हैं मछलियों को दाना
महम रोड स्थित वाटर टैंकों के अंदर शहर के कुछ लोग भी मछलियों को दाना डालने यहां आते हैं. इन मछलियों को यहां रोटी, कच्चा आटा खिलाया जाता है. गांव तिगड़ाना निवासी रामबीर ने बताया कि वो यहां से गुजर रहे थे कि उन्हें टैंक में मछलियां मरी दिखाई दी. रामबीर ने बताया कि अगर वाटर टैंक में किसी ने कोई जहरीली चीज डाली है तो इसका असर इस पानी का सेवन करने वालों पर भी पड़ सकता है. इसलिए जल्द से जल्द इन टैंकों की सफाई जरूरी है.
तीन-तीन टैंकों की दीवारें तोड़कर किए गए हैं साझा
9 टैंकों में तीन-तीन टैंकों के तीन खंड बना रखे हैं. इसमें तीन-तीन टैंकों के बीच की दीवार तोड़कर इन्हें साझा किया हुआ है. जिससे एक टैंक में अगर मृत मछलियों के सड़ने से पानी दूषित होता है तो इसका असर अन्य टैंकों के पानी पर भी पड़ेगा.
गंदे पानी से बढ़ सकती है मरीजों की संख्या
इस बारे में डॉक्टर विनोद अंचल ने बताया कि पीने के पानी में मछलियों का मरना खरतनाक है. इससे पानी गंदा होता है और ऐसा पानी पीने से आंतों में सूजन, पीलिया, हैजा और टाइफाईड होने की पूरी-पूरी संभावना होती है. उन्होंने बताया कि खुले में मरी हुई मछली पड़ी होने से वायु प्रदूषण होता है और संक्रमण होने की संभावना होती है.
जनस्वास्थ्य विभाग के अधिराकारी रूपेश चंद ने माना कि कुछ मछलियां पानी के साथ आ जाती हैं और यहां टैंकों में पलने लगती हैं. उन्होंने कहा कि तापमान कम होने के चलते ये मछलियां मरी होंगी. वहीं उन्होंने कहा कि इन मछलियों को जल्द ही टैंकों के निकाल कर सुरक्षित स्थान पर दबाया जाएगा और आगे से मछलियां टैंकों में ना आए इसके लिए समाधान किया जाएगा.
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शहरी पेयजल शाखा के कार्यकारी अभियंता ने बताया कि ये मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है. तुरंत जेई से बात की गई है. जेई ने बताया कि कुछ लोग टैंकों में मछलियों को खाना डालने आते हैं, जिन्हें मना किए जाने संबंधी सख्त हिदायतें दी गई हैं और टैंक से मरी हुई मछलियों को जल्द निकलवाने के निर्देश दिए हैं.