भिवानी: केंद्र सरकार के नए कानून हिट एंड रन को लेकर ट्रक ड्राइवरों में रोष है. इस कानून का विरोध कर रहे अलग-अलग जिलों के ट्रक ड्राइवर रास्तों में ही ट्रकों को खड़ा कर भाग रहे हैं. वहीं, ट्रांसपोर्ट का कहना है कि जल्द ही सरकार इस कानून में संशोधन करे. वरना देशभर में इसका असर देखने को मिलेगा. बता दें कि एसोसिएशन इस कानून के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल करने की तैयारी में है.
इस कानून के विरोध में भिवानी कांग्रेस भी सड़कों पर उतरी और ट्रक ड्राइवरों का समर्थन किया. जिले में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के आह्वान पर भिवानी में जनता ट्रक यूनियन के बैनर तले सैंकड़ों ट्रक ड्राइवरों ने आज हड़ताल रखी और इस कानून के वापसी की मांग रखी.
भिवानी दि जनता ट्रक यूनियन के जिला प्रधान बिन्नू शेखावत ने बताया कि वे पीएम मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री से आह्वान करते हैं कि इस काले कानून को जल्द से जल्द वापस लिया जाए. वरना वे हड़ताल पर चले जाएंगे. ट्रक चालकों ने तर्क दिया कि ट्रक से दुर्घटना होने पर आम लोग ट्रक चालक को घेरकर पीटने की प्रवृति आम है. ऐसे में घायल को अस्पताल पहुंचाना उनके लिए संभव नहीं है. उन्होंने नए कानून के तहत ड्राइवरों के लिए सजा के प्रावधान को गलत करार दिया है.
ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि 10 से 15 हजार रुपये तनख्वाह मिलती है. ऐसे में 10 लाख जुर्माना भरना उनके लिए संभव नहीं होगा. वे सड़क पर चलते हुए चिड़िया को भी मारना नहीं चाहते, लेकिन दुर्घटना किसी भी गलती से हो सकती है. इसलिए इस कड़े कानून के तहत ट्रक ड्राइवरों को 5 से 7 साल तक की सजा व 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान सही नहीं है.
क्या है हिट एंड रन कानून: नए कानून के तहत कोई भी ट्रक चालक या वाहन से जब किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है, तो उस व्यक्ति को तुरंत अस्पताल में न पहुंचाए जाने का दोषी पाए जाने पर नए 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. भारत में 28 लाख से ज्यादा ट्रक चालक 100 अरब किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. इन ट्रकों पर 50 लाख से अधिक ड्राइवर काम करते हैं. ऐसे में ट्रकों के माध्यम से होने वाली सड़क दुर्घटनाएं भी देखने को मिलती है. ये कानून भारत देश में नए साल से शुरू होगा.
2 जनवरी को होगी बैठक!: बता दें कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की अगली बैठक 2 जनवरी को है. जिसमें इस बात का फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो किस तरह से सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जाए. ऐसी संभावना है कि आने वाले समय में संगठन हड़ताल कर सकते हैं. यह हड़ताल जनवरी के पहले और दूसरे सप्ताह में हो सकती है.
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