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भिवानी में आठ दिनों से धरने पर बैठी हैं आशा वर्कर्स - भिवानी आशा वर्कर्स प्रदर्शन

भिवानी में ईएसआई, पीएफ समेत कई मांगों को लेकर आशा वर्कर्स पिछले 8 दिनों से धरने पर बैठी हैं. आशा वर्करों का कहना है कि अभी तक सरकार ने उनकी मांगों को सुना नहीं है.

asha workers protest in bhiwani
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Published : Aug 14, 2020, 8:06 PM IST

भिवानी: जिले में आशा वर्करों का धरना पिछले 8 दिनों से जारी है. इन आशा वर्करों की कई मांगें हैं, जिन्हें सरकार ने अभी तक सुना नहीं है. इस धरने को सम्बोधित करते हुए जिला उप प्रधान हुकम कौर ने मांग की है कि जनता को गुणवता स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने हेतु सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थायी किया जाए.

इसके अलावा कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये मासिक दिए जाएं. आशा वर्कर ने मांग की है कि कोविड-19 के लिए एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाए, गंभीर रूप से बीमार और दुर्घटना की शिकार आशाओं को पैनल अस्पतालों में इलाज की सुविधा दें और आशाओं को सामुदायिक स्तरीय, स्थाई कर्मचारी माना जाए.

ये भी पढ़ें- गिरफ्तारी देकर पीटीआई शिक्षक बोले, 'कम से कम जेल में रोटी तो मिलेगी'

उन्होंने कहा कि जब तक पक्का कर्मचारी नहीं माना जाता तब तक न्यूनतम वेतन दिया जाए और इसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए. इसके अलावा ईएसआई और पीएफ की सुविधा दी जाए. आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा भी दिया जाए और 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बने हुए निर्णयों को सरकार लागू करे.

भिवानी: जिले में आशा वर्करों का धरना पिछले 8 दिनों से जारी है. इन आशा वर्करों की कई मांगें हैं, जिन्हें सरकार ने अभी तक सुना नहीं है. इस धरने को सम्बोधित करते हुए जिला उप प्रधान हुकम कौर ने मांग की है कि जनता को गुणवता स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने हेतु सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थायी किया जाए.

इसके अलावा कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये मासिक दिए जाएं. आशा वर्कर ने मांग की है कि कोविड-19 के लिए एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाए, गंभीर रूप से बीमार और दुर्घटना की शिकार आशाओं को पैनल अस्पतालों में इलाज की सुविधा दें और आशाओं को सामुदायिक स्तरीय, स्थाई कर्मचारी माना जाए.

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उन्होंने कहा कि जब तक पक्का कर्मचारी नहीं माना जाता तब तक न्यूनतम वेतन दिया जाए और इसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए. इसके अलावा ईएसआई और पीएफ की सुविधा दी जाए. आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा भी दिया जाए और 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बने हुए निर्णयों को सरकार लागू करे.

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